भारतीयों को लाने के लिए यूक्रेन के पड़ोसी देशों में जाएंगे चार केंद्रीय मंत्री
यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों व अन्य नागरिकों के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को हाई लेवल बैठक बुलाई। इस बैठक में फैसला लिया गया कि चार केंद्रीय मंत्रियों को वहां फंसे भारतीयों को लाने के लिए यूक्रेन के पड़ोसी देशों में भेजा जाएगा। इन मंत्रियों में हरदीप सिंह पुरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, किरण रिजिजू और जनरल वीके सिंह शामिल हैं।
इस हाई लेवल बैठक में विदेश मंत्री एस. जयशंकर, विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल सहित भी मौजूद रहे।
बता दें कि यूक्रेन में फंसे भारतीयों की वापसी का मसला लगातार बढ़ता जा रहा है। यूक्रेन से आ रहे वीडियोज से पता चल रहा है कि वहां पर भारतीय छात्र बेहद मुश्किल में हैं, उनके साथ मारपीट की घटनाएं हुई हैं। वे लोग बंकरों-मेट्रो स्टेशनों में छुपे हुए हैं क्योंकि रूस और यूक्रेन की सेनाओं के बीच युद्ध चल रहा है।
इन लोगों के पास खाने-पीने का सामान भी लगभग खत्म हो गया है और वे लगातार सोशल मीडिया पर सरकार से उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने की गुहार लगा रहे हैं। उनके परिजन भी केंद्र सरकार से उन्हें सकुशल वापस लाने की मांग कर रहे हैं।
हालांकि बीते दिनों में कुछ विमानों में भारतीय वहां से लौटे हैं लेकिन अभी भी बहुत बड़ी संख्या में वे वहां फंसे हुए हैं। ऐसे लोगों की संख्या 20 हज़ार के आस-पास है।
छात्रा बोली- कुछ नहीं कर रही सरकार
यूक्रेन में फंसे छात्र लगातार वहां से वीडियो जारी कर रहे हैं। एक ताजा वीडियो में एक भारतीय छात्रा बता रही है कि वह भारतीय दूतावास के एक अधिकारी विक्रम कुमार को लगातार फोन कर रही है लेकिन वह फोन काट रहे हैं। छात्रा कहती है कि सारे देशों की सारी सरकारों ने यहां फंसे लोगों को निकाल लिया है लेकिन भारत सरकार कुछ नहीं कर रही है।
छात्रा का कहना है कि भारत सरकार कह रही है कि वह बॉर्डर से लोगों को निकाल रही है लेकिन जहां पर वे लोग मौजूद हैं, वहां से बॉर्डर 800 किलोमीटर दूर है लेकिन युद्ध के हालात के बीच वे लोग बॉर्डर तक कैसे पहुंचेंगे।
छात्रा फिर से कहती है कि भारत सरकार उनकी कोई मदद नहीं कर रही है और लोग भारत में प्रदर्शन करें और सरकार पर दबाव बनाएं जिससे वे यहां से निकल सकें।
रूस के हमले के बाद हजारों की संख्या में लोग यूक्रेन छोड़कर जा रहे हैं। इसमें बड़ी तादाद उन लोगों की है जो यूक्रेन के ही रहने वाले हैं। हजारों लोग यूक्रेन को छोड़कर पोलैंड, मोलदोवा, रोमानिया, हंगरी और स्लोवाकिया में पहुंचे हैं।
हमले के कारण यूक्रेन छोड़कर भाग रहे लोगों में से अधिकतर महिलाएं और बच्चे हैं। इनमें से ऐसे लोग भी हैं जिनके बच्चे सेना की मदद के लिए यूक्रेन में ही रुक गए हैं।