'रहस्य खुला', दिल्ली के प्रदूषण में पराली 4% ही ज़िम्मेदार: सुप्रीम कोर्ट
दिल्ली में प्रदूषण के लिए पराली जलाने को ज़िम्मेदार मानने वालों सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से मायूसी हो सकती है। इसने पूछा है कि क्या दिल्ली में प्रदूषण के लिए पराली जलाना प्रमुख कारण नहीं है? अदालत ने सोमवार को यह टिप्पणी तब कि जब सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दिल्ली के गंभीर प्रदूषण में पराली 10 प्रतिशत से भी कम ज़िम्मेदार है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि प्रदूषण में उद्योग और सड़क की धूल ने बड़ी भूमिका निभाई है।
इसके बाद जस्टिस सूर्यकांत ने केंद्र से पूछा, 'क्या आप सैद्धांतिक रूप से सहमत हैं कि पराली जलाना प्रमुख कारण नहीं है।' जब केंद्र सरकार के वकील ने इसे स्वीकार कर लिया तो जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि ऐसे में दिल्ली सरकार के हलफनामे का कोई मतलब नहीं है क्योंकि वे केवल किसानों को दोष दे रहे हैं।
पहले से ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कहते रहे हैं कि दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने में बड़ा हाथ पराली का भी है। हाल ही में उन्होंने पराली जलाने की सैटेलाइट से ली गईं दो दिन की तसवीरों को ट्वीट के साथ साझा किया था जिनमें दोनों राज्यों में पराली जलाने के मामले बहुत अधिक नज़र आ रहे थे। वह पराली को ज़िम्मेदार बताने वाली केंद्र की रिपोर्टों का भी हवाला देते रहे हैं।
लेकिन अब केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को जो रिपोर्ट दी है वह काफ़ी अलग तसवीर पेश करती है। केंद्र का हलफनामा एक वैज्ञानिक अध्ययन का हवाला देते हुए कहता है कि दिल्ली में पीएम 2.5 में हिस्सा पराली जलने के कारण सर्दियों में केवल 4 प्रतिशत और गर्मियों में 7 प्रतिशत है। पीएम 2.5 यानी पर्टिकुलेट मैटर वातावरण में मौजूद बहुत छोटे कण होते हैं जिन्हें आप साधारण आंखों से नहीं देख सकते। 'पीएम10' मोटे कण होते हैं।
इस रिपोर्ट पर जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, 'अब रहस्य खुलकर सामने आ गया है। किसानों की पराली जलाने का योगदान केवल 4% है। यह बहुत मामूली है।'
सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही यह भी कहा कि दिल्ली सरकार का बहाना अब नहीं चलेगा और वह ज़िम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ सकती है। इसने कहा कि प्रदूषण के लिए ज़िम्मेदार प्रमुख रूप से उद्योग, परिवहन और सड़क की धूल है और कुछ हिस्सा पराली जलाने का भी है।
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने आदेश में कहा, 'जहां पराली जलाना प्रमुख कारण नहीं है, वहीं पंजाब और हरियाणा में बहुत अधिक पराली जलाई जा रही है। हम राज्य सरकारों से अनुरोध करते हैं कि वे किसानों को एक सप्ताह तक जलाने से रोकें।' कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्र और राज्यों को दिल्ली और उसके आसपास अपने कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम पर विचार करना चाहिए। अदालत ने केंद्र को तत्काल क़दमों पर फ़ैसला करने के लिए राज्यों और अन्य अधिकारियों की मंगलवार को एक आपात बैठक बुलाने का भी निर्देश दिया।
दिल्ली की आम आदमी पार्टी ने केंद्र सरकार पर सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने का आरोप लगाया है। आप ने ट्वीट कर आरोप लगाया है कि केंद्र के खुद के हलफनामे में कहा गया है कि पराली जलाने से कुल प्रदूषण में 40 प्रतिशत का योगदान होता है, इसने अब यू-टर्न लिया और कहा कि पराली की भूमिका केवल 4 प्रतिशत है।
Modi govt misled SC on Stubble Burning!
— AAP (@AamAadmiParty) November 15, 2021
Pic 1) Centre's own affdavit states stubble burning contributing 40% of the total pollution
Pic 2) Centre then takes a U-turn & says stubble burning contributing merely 4%#ModiGovtLied pic.twitter.com/wXhrHv3kyt
कुछ ऐसा ही तर्क याचिकाकर्ताओं के वकील विकास सिंह ने भी बाद में दिया। उन्होंने केंद्र पर आगामी राज्य चुनावों को ध्यान में रखते हुए किसानों को बचाने की कोशिश करने का आरोप लगाया। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, सिंह ने कहा, 'हैरानी की बात है कि केंद्र सरकार भी किसानों को बचाने की कोशिश कर रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वह भी पंजाब सरकार की तरह किसानों को नाराज़ नहीं करना चाहती है। यह सब इसलिए है क्योंकि यह चुनावी साल है।'
उन्होंने कहा, केंद्र ने एक 'गलत बयान' दिया कि दिल्ली में प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान 10% से कम था। सिंह ने कहा, 'कल उनकी अपनी आपात बैठक में कहा गया था कि योगदान लगभग 35 प्रतिशत है। पराली जलाने पर तत्काल नियंत्रण किए जाने की आवश्यकता है।' उन्होंने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की एक बैठक का हवाला दिया जिसमें इस बात पर चर्चा की गई थी कि धान की पराली जलाने पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए।
बता दें कि पहले केंद्र के हलफनामे में कहा गया था कि पराली जलाने की घटनाओं को नियंत्रित करने के प्रयासों को तेज करने की ज़रूरत है क्योंकि वर्तमान में धान की पराली जलाने से दिल्ली-एनसीआर में कुल प्रदूषण में लगभग 35 से 40 प्रतिशत योगदान हो रहा है।