संसद के विशेष सत्र के चौथे दिन गुरुवार को राज्यसभा में महिला आरक्षण विधेयक (नारी शक्ति वंदन विधेयक) पर चर्चा हुई।
इस पर कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मोदी सरकार महिला आरक्षण बिल को टाल रही है।
जब पंचायत और जिला पंचायत में महिलाओं के लिए आरक्षण होता है, तो संसद और विधानसभा में महिला आरक्षण क्यों नहीं हो रहा? महिला आरक्षण विधेयक को आज लागू कीजिए।
खड़गे ने इस मौके पर कबीर का दोहा ‘काल करे सो, आज कर’ सुना कर तुरंत महिला आरक्षण लागू करने की मांग की है।
इससे पहले राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने महिला आरक्षण विधेयक पेश किया। इसके बाद कांग्रेस की सांसद रंजीत रंजन ने चर्चा की शुरुआत की। उन्होंने विधेयक के नाम पर आपत्ति जताते हुए कहा कि महिलाओं को वंदन नहीं, समानता चाहिए।
नो-नो’ करने वालों को शासन करना नहीं आया
कांग्रेस नेता सांसद रंजीत रंजन के इस कथन पर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि यह विधेयक महिलाओं पर अहसान नहीं, बल्कि उनका वंदन और अभिनंदन है।अगर ये विधेयक आज पास होता है तो 2029 तक 33 प्रतिशत महिलाएं सांसद बनकर संसद आ जाएंगी। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की मांग पर जेपी नड्डा ने कहा कि भाजपा का उद्देश्य इस विधेयक से राजनीतिक फायदा लेने का नहीं है।
राज्यसभा में महिला आरक्षण विधेयक या नारी शक्ति वंदन अधिनियम को लागू करने को लेकर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच तीखी बहस हुई।
उन्होंने कहा कि सरकार नियमों से काम करती है और पक्का काम करने में विश्वास रखती है। जेपी नड्डा के इस कथन पर जब विपक्षी सांसद ‘नो-नो’ कहने लगे तो नड्डा ने कहा कि कि ‘नो-नो’ करने वालों को शासन करना नहीं आया।
अगर इन्हें शासन करना आता तो पता होता कि नियम-कानून भी कोई चीज होती है। जेपी नड्डा ने राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जो चांदी के चम्मच के साथ पैदा होते हैं, उन्हें गरीबों की परेशानियां नहीं पता होतीं। उन्होंने कहा कि एक लीडर को लीडर बनना पड़ता है, सिखाए हुए बयान देने से काम नहीं चलता है।
विपक्ष ने इस विधेयक के तहत अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और एससी/एसटी समुदायों को शामिल करने की मांग की, है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच विवाद का दूसरा कारण विधेयक के कार्यान्वयन की समयसीमा थी, विपक्षी दल इस कानून को अगले साल के आम चुनाव से पहले लागू करने की मांग कर रहे थे।
लोकसभा से बुधवार को पास हुआ है यह विधेयक
लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत सीटें देने वाला महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा ने बुधवार को पारित कर दिया था। 454 सांसदों ने बिल के पक्ष में वोट किया था, जिसमें 2 सांसदों ने इसके खिलाफ वोट किया था। लोकसभा सांसदों ने एक विपक्षी सांसद की मांग पर विधेयक के खंडों पर भी मतदान किया।केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मंगलवार को लोकसभा में महिला आरक्षण से जुड़ा 128वां संविधान संशोधन 'नारी शक्ति वंदन विधेयक-2023' पेश किया था। बिल विशेष सत्र के चौथे दिन गुरुवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। हालांकि, यह आरक्षण जनगणना और परिसीमन के बाद ही लागू हो सकता है।
इसका मतलब है कि विधेयक कई साल बाद ही लागू हो पाएगा। संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) विधेयक, 2023 पर बहस का सरकार की ओर से अमित शाह ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि चुनाव के ठीक बाद महिला आरक्षण विधेयक को लागू करने के लिए जनगणना कराई जाएगी।
विधेयक पास होने से पहले अमित शाह ने लोकसभा सदस्यों से पूछा, 'अगर आप महिला कोटा का समर्थन नहीं करते हैं तो क्या ओबीसी, मुस्लिम आरक्षण जल्दी होगा?'अमित शाह का यह बयान तब आया जब महिला आरक्षण विधेयक पर लोकसभा में चल रही बहस के बीच विपक्षी दल कोटा के भीतर कोटा की अपनी मांग पर अड़े रहे। सोनिया गांधी ने बुधवार को विधेयक का समर्थन करते हुए कहा था कि 'अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी की महिलाओं के लिए आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए जाति जनगणना होनी चाहिए'।
बुधवार को सोनिया ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा था कि 'ये बिल राजीव गांधी का सपना है। इस बिल के पास होने से हमें खुशी होगी। यह मेरी जिंदगी का मार्मिक क्षण है।' उन्होंने कहा कि 'भारतीय महिला में समुद्र की तरह धैर्य है। उन्होंने नदी की तरह सभी की भलाई के लिए काम किया है। महिलाओं के धैर्य की सीमा का अनुमान लगाना कठिन है, वे कभी आराम करने के बारे में नहीं सोचती हैं।