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मोदी का 'विवादित भाषण' विदेशी मीडिया में छाया, पर आज टोंक में फिर वही बातें

मोदी का 'विवादित भाषण' विदेशी मीडिया में छाया, पर आज टोंक में फिर वही बातें

पीएम मोदी के भाषण को साम्प्रदायिक बताते हुए देश के 2300 लोगों ने केंद्रीय चुनाव आयोग को पत्र लिखे। कांग्रेस पार्टी ने चुनाव आयोग को ज्ञापन दिया। मंगलवार को अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड समेत कई देशों के अखबारों ने मोदी के भाषणों को साम्प्रदायिक बताते हुए कवरेज दी है। लेकिन मोदी हार नहीं मान रहे हैं। उन्होंने मंगलवार को राजस्थान के टोंक जिले में फिर से हनुमान चालीसा का जिक्र किया और कहा कि कांग्रेस राज में लोग हनुमान चालीसा भी नहीं पढ़ पाएंगे। जानिए पूरी कहानीः 

प्रधानमंत्री मोदी का भाषण मंगलवार को विदेशी अखबारों में पहले पन्नों पर जगह पा गया। लेकिन मोदी की मंगलवार को वही भाषा राजस्थान के टोंक रैली में थी। अमेरिका के प्रसिद्ध अखबार न्यू यॉर्क टाइम्स का शीर्षक है-  'मोदी ने मुसलमानों को 'घुसपैठिया' कहा जो भारत की संपत्ति ले लेंगे। अखबार ने लिखा है- देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक वर्ग के खिलाफ इस्तेमाल की गई सीधी भाषा विश्व मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि के विपरीत है।'  न्यू यॉर्क टाइम्स ने लिखा है- ''जब मोदी अपने तीसरे कार्यकाल के लिए प्रचार कर रहे हैं, तब उन्होंने स्वयं ऐसी भाषा का प्रयोग किया, जिससे यह चिंता पैदा हो गई कि इससे मुस्लिमों को निशाना बनाने वाले दक्षिणपंथी निगरानी समूह भड़क सकते हैं, और यह सवाल भी खड़ा हो गया कि किस वजह से उनकी कम्युनिकेशन शैली में बदलाव आया। आम तौर पर, मोदी "मुसलमान" शब्द का उपयोग करने से भी बचते हैं, वे अप्रत्यक्ष रूप से भारत के 20 करोड़ लोगों के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समूह को संदर्भित करने के तरीके ढूंढते हैं।''

द गार्डियन अखबार का शीर्षक है- भारत में चुनाव के बीच नरेंद्र मोदी पर तनाव फैलाने का आरोप लगा। अखबार ने मोदी का पूरा भाषण देते हुए लिखा है-  ''जब से भाजपा 2014 में हिंदू राष्ट्रवादी एजेंडे के साथ सत्ता में आई है, तब से उस पर ऐसी नीतियों और बयानबाजी का आरोप लगाया गया है, जिसमें अल्पसंख्यकों, विशेषकर मुसलमानों को निशाना बनाया गया है, जो कथित तौर पर राज्य और दक्षिणपंथी हिंदू निगरानीकर्ताओं द्वारा बढ़ती हिंसा और उत्पीड़न का शिकार हुए हैं। इस लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सिर्फ एक मुस्लिम को प्रत्याशी बनाया है।''

 

सीएनएन की स्टोरी का शीर्षक हैः  भारत के विशाल चुनाव में गहरे होते विभाजन के साथ ही मोदी की मुस्लिम टिप्पणियों से 'घृणास्पद भाषण' के आरोप। सीएनएन ने लिखा कि उसने भारत के चुनाव आयोग से मोदी के भाषणों पर टिप्पणी मांगी। लेकिन जवाब नहीं मिला। सीएनएन ने लिखा है-   पिछले दशक में, मोदी और उनकी भाजपा पर अपनी हिंदू राष्ट्रवादी नीतियों के साथ धार्मिक ध्रुवीकरण करने, दुनिया के सबसे बड़े धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र में इस्लामोफोबिया की लहर और घातक सांप्रदायिक झड़पों को बढ़ावा देने का आरोप है।

इनके अलावा वॉशिंगटन पोस्ट, वॉल स्ट्रीट जनरल, द टाइम्स, अल जजीरा आदि ने भी मोदी के भाषण को साम्प्रदायिक बताते हुए अपने विचारों के साथ रिपोर्ट प्रकाशित की है। नीचे एक ट्वीट है, जिसमें बताया गया है कि पश्चिमी मीडिया के किन किन आउटलेट ने मोदी के बारे में रिपोर्ट प्रकाशित की है।

टोंक में फिर वही भाषणपीएम मोदी ने मंगलवार को टोंक में हनुमान चालीसा और रामनवमी शोभा यात्रा का जिक्र छेड़ा। मोदी ने कहा- कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी के शासन में हनुमान चालीसा सुनना भी अपराध बन गया है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि कांग्रेस शासन में किसी आस्था का पालन करना मुश्किल है। उन्होंने कांग्रेस पर लोगों के धन को छीनने और इसे "चुनिंदा" लोगों के बीच वितरित करने की गहरी साजिश रचने का आरोप लगाया। 

पीएम मोदी ने कहा, ''कांग्रेस के राज में हनुमान चालीसा सुनना भी अपराध हो गया है। राजस्थान भी इसका पीड़ित रहा है। इस बार रामनवमी पर पहली बार राजस्थान में शोभा यात्रा निकाली गई। "राजस्थान जैसे राज्य में जहां लोग राम-राम जपते हैं, कांग्रेस ने रामनवमी पर प्रतिबंध लगा दिया था।" हालांकि मोदी का यह भाषण तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है। शोभायात्रा के दौरान हिंसा होने के बाद धारा 144 लागू की गई थी। लेकिन इसके बावजूद शोभा यात्राएं निकली थीं। 

पीएम मोदी ने टोंक में कहा- अगर कांग्रेस सत्ता में होती तो जम्मू-कश्मीर में अब भी पथराव होता रहता और दुश्मन अभी भी हमारे सैनिकों के सिर काट रहे होते। कांग्रेस होती तो देश में बम धमाके हो रहे होते। मोदी ने यह भी कहा कि "इन 10 वर्षों में आपने देखा है कि एक स्थिर और ईमानदार सरकार देश के विकास के लिए क्या कर सकती है।" 

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