अनुच्छेद 370 हटाने की प्रक्रिया शुरू, केंद्र शासित प्रदेश होंगे जम्मू-कश्मीर, लद्दाख़
राज्यसभा में भारी शोर-शराबे के बीच सोमवार को गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की प्रक्रिया की शुरुआत की है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का संकल्प राज्यसभा में पेश करते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 का सिर्फ़ खंड एक लागू होगा और राष्ट्रपति ने इसे मंजूरी दे दी है। गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग कर दिया गया है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दोनों को अब केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है। संसद में विपक्षी दलों ने इसका जोरदार विरोध किया।
Constitution(application to Jammu and Kashmir) Order 2019 pic.twitter.com/ueZWl8VU59
— ANI (@ANI) August 5, 2019
राज्यसभा में प्रस्ताव पेश करने से पहले ही श्रीनगर में धारा 144 लागू कर दी गई थी। गृह मंत्री ने संसद में कहा कि जम्मू-कश्मीर से जुड़े 4 विधेयक उनके पास हैं और वह इस मुद्दे पर सभी सवालों का जवाब देने और हर मुद्दे पर बहस करने के लिए तैयार हैं। उनका ज़ोर इस बात पर था कि अनुच्छेद 370 अस्थायी प्रावधान ही है और इसे हटाया जाना स्वाभाविक है।
बता दें कि कश्मीर में केंद्र सरकार ने 35,000 से ज़्यादा जवानों की तैनाती की है। इस बात को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे थे कि केंद्र सरकार ने कश्मीर में इतनी बड़ी संख्या में अतिरिक्त जवानों की तैनाती क्यों की है। रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल, इंटेलीजेंस ब्यूरो के प्रमुख अरविंद कुमार, रॉ के सामंत गोयल, केंद्रीय गृह सचिव राजीव गाबा और मंत्रालय के अन्य अहम अधिकारियों के साथ बैठक भी की थी।
क्या है अनुच्छेद 35ए?
देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने एक आदेश से 35ए को 14 मई, 1954 को संविधान में शामिल किया था। यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को विशेष अधिकार और सुविधाएँ प्रदान करता है और इसके अंतर्गत राज्य के बाहर के व्यक्ति पर यहाँ कोई भी अचल संपत्ति ख़रीदने पर प्रतिबंध लगाता है। यह अनुच्छेद राज्य की विधानसभा को जम्मू-कश्मीर के ‘स्थाई निवासी’ को परिभाषित करने और उन्हें विशेष सुविधाएँ उपलब्ध कराने का अधिकार देता है।अनुच्छेद 370 की संवैधानिकता को पहले भी चुनौती दी गयी थी। उच्चतम न्यायालय की पाँच सदस्यीय संविधान पीठ ने अनुच्छेद 370 के तहत संविधान में सुधार करने के राष्ट्रपति के अधिकारों पर विचार किया। संविधान पीठ ने 1961 में अपने फ़ैसले में कहा था कि राष्ट्रपति अनुच्छेद 370 के तहत वर्तमान प्रावधान में सुधार कर सकते हैं, लेकिन फ़ैसले में इस सवाल पर ख़ामोशी थी कि क्या संसद की जानकारी के बग़ैर राष्ट्रपति संविधान में एक नया अनुच्छेद जोड़ सकते हैं।इसे लेकर पाकिस्तान में भी हड़कंप मचा हुआ है। पाकिस्तान की सरकार में मंत्री फवाद चौधरी ने सोमवार सुबह ट्वीट किया था कि कश्मीर में नेताओं को नज़रबंद किया जा रहा है। हुर्रियत से लेकर उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को भी हिरासत में लिया गया है।
Whole Indian Occupied Kashmir leadership is under arrest, apart from Hurriyat leaders people like Omar Abdullah and Mehbooba Mufti who traditionally favoured Indian mantra are under arrest, seems for Indian enterprise madness is new solution for Kashmir
— Ch Fawad Hussain (@fawadchaudhry) August 5, 2019