महाराष्ट्र में बीजेपी ने राज ठाकरे की पार्टी से मिलाया हाथ; फ़ायदे में कौन?
महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी और राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना में पिछले काफ़ी दिनों से गठबंधन को लेकर चले आ रहे कयासों पर अब मुहर लग चुकी है। दोनों ही पार्टियों ने महाराष्ट्र के ज़िला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव एक साथ लड़ने का फ़ैसला किया है। बीजेपी और एमएनएस महाराष्ट्र के पालघर ज़िला परिषद की 15 सीट और पंचायत समिति की 14 सीटों के उपचुनाव में साथ-साथ रहेंगे। दोनों ही दलों में इस चुनाव को लेकर सीटों के बँटवारे पर सहमति बन गयी है।
पिछले काफ़ी दिनों से महाराष्ट्र की राजनीति में यह चर्चा का विषय बना हुआ था कि महा विकास आघाडी को टक्कर देने के लिए बीजेपी राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस से समझौता कर सकती है। इसी को लेकर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने राज ठाकरे से कुछ दिनों पहले मुलाक़ात की थी। इसके बाद महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील ने पुणे में राज ठाकरे से मुलाक़ात करके इस बात को और तूल दे दिया था कि बीजेपी और एमएनएस आगामी स्थानीय चुनावों में गठबंधन कर सकते हैं। हालाँकि दोनों ही पार्टियाँ यह कहने से बचती रहीं कि बीजेपी और मनसे आपस में मिलकर चुनाव लड़ेंगे।
इसी महीने महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील और मनसे प्रमुख राज ठाकरे से मुलाक़ात करने के लिए उनके घर पहुँच गए थे। इस मुलाक़ात को भले ही चंद्रकांत पाटील ने एक औपचारिक मुलाक़ात बताया था लेकिन बीजेपी सूत्रों का कहना है कि इसी बैठक में पालघर के ज़िला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव एक साथ लड़ने को लेकर फ़ैसला हो गया था।
राजनीतिक विश्लेषक तुलसीदास भोईटे का कहना है कि महाराष्ट्र में बीजेपी जब से शिवसेना से अलग हुई है तभी से उसका मराठी वोट बैंक थोड़ा कमजोर हुआ है। यही कारण है कि मराठी मानुष के मुद्दे को लेकर बीजेपी राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस के ज़रिए उस वोट बैंक पर कब्जा जमाना चाहती है। तुलसीदास का कहना है कि बीजेपी और एमएनएस पहले एक दो चुनाव एक साथ लड़कर यह देखना चाहती हैं कि उन्हें कितना फायदा होता है और कितना नुक़सान।
महाराष्ट्र बीजेपी के बड़े उत्तर भारतीय नेता और पूर्व विधायक ठाकुर रमेश सिंह का कहना है कि पिछले कुछ महीनों में एमएनएस ने अपनी पुरानी छवि में काफ़ी बदलाव किया है।
बीजेपी नेता रमेश सिंह ने कहा कि उत्तर भारतीयों के ख़िलाफ़ लगातार जहर उगलने वाली राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस ने हाल में उत्तर भारतीयों के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी बंद कर दी है। जिसका नतीजा है कि बीजेपी से क़रीबी दिखाई दे रही है।
रमेश सिंह का कहना है कि एमएनएस पिछले काफ़ी समय से हिंदुत्व के मुद्दे को लेकर आगे बढ़ रही है, यही कारण है कि बीजेपी ने पालघर के स्थानीय निकाय चुनाव में उतरने का फ़ैसला किया है। रमेश सिंह का कहना है कि इसे गठबंधन के नज़रिए से न देखा जाए बल्कि ऐसा समझा जाए कि जिस सीट पर बीजेपी ने अपने उम्मीदवार उतारने का फ़ैसला किया है उस सीट पर एमएनएस अपने प्रत्याशी खड़ा नहीं करेगी।
बीजेपी को महा विकास आघाडी को अगर हराना है तो फिर उसे राज ठाकरे का साथ लेना ही पड़ेगा, लेकिन बीजेपी को यह भी डर सता रहा है कि अगर उसने उत्तर भारतीयों के ख़िलाफ़ हमले करने वाली पार्टी एमएनएस से समझौता कर लिया तो कहीं बीजेपी का उत्तर भारतीय वोट बैंक उससे दूर ना हो जाए। अगले साल मुंबई महानगरपलिका, नवी मुंबई और ठाणे महानगरपालिका के चुनाव हैं। ऐसे में उत्तर भारतीय मतदाताओं को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। यही कारण है कि बीजेपी अभी एमएनएस के साथ चुनाव लड़ने को लेकर फूंक-फूंककर क़दम रख रही है।
साल 2009 में एमएनएस ने विधानसभा चुनाव में 7 सीटें जीती थीं लेकिन 2014 और 2019 के चुनाव में राज ठाकरे की पार्टी का वर्चस्व ही ख़त्म हो गया और सिर्फ़ एक विधायक ही चुनकर आ सका। 2019 के चुनाव में मिली हार के बाद राज ठाकरे ने हिंदुत्व के मुद्दे को लेकर शिवसेना पर हमला भी बोला। पिछले काफ़ी समय से एमएनएस ने महाराष्ट्र के कई ज़िलों में ज़मीनी स्तर पर भी काम करना शुरू कर दिया है। बीजेपी भली भांति जानती है कि राज ठाकरे को जितनी ताक़त दी जाएगी वो शिवसेना को उतना ही नुक़सान करेगी। जिसका फ़ायदा बीजेपी को हो सकता है। पालघर ज़िला परिषद की 15 सीटों और पंचायत समिति की 14 सीटों पर हो रहे उपचुनाव के लिए 5 अक्टूबर को मतदान होना है।