मिजोरमः 40 सीटों पर मतदान कल, कांग्रेस-MNF सीधे मुकाबले में, भाजपा भी मैदान में
मिजोरम में सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) और विपक्षी ज़ोरम पीपुल्स पार्टी (जेडपीएम) और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला मंगलवार को होने वाला है। राज्य की 40 विधानसभा क्षेत्रों के लिए मंगलवार 7 नवंबर को मतदान होगा। ईसाई बहुल राज्य में चुनाव प्रचार चर्चों में प्रार्थनाओं के साथ खत्म हो चुका है। 18 महिलाओं सहित कुल 174 उम्मीदवार मैदान में हैं।
चुनावी सर्वे में एमएनएफ की सत्ता में वापसी की बात कही गई है। एमएनएफ भी मुख्य रूप से पड़ोसी म्यांमार और मणिपुर में संघर्षों के मद्देनजर अपने "मिजो-समर्थक" रुख के कारण सत्ता में बने रहने को लेकर आश्वस्त है, अपेक्षाकृत नई क्षेत्रीय पार्टी जेडपीएम ने मतदाताओं से "नई प्रणाली" देने और भ्रष्टाचार खत्म करने का वादा किया है। उसने बदलाव के लिए वोट करने का आग्रह किया है। कांग्रेस, जो 2018 में एमएनएफ से हार गई थी, इस बार सत्ता में वापस आने को लेकर आश्वस्त है।
2018 में, एमएनएफ ने 10 साल बाद 26 सीटों के साथ सत्ता में वापसी की, जबकि कांग्रेस सिर्फ पांच सीटों के साथ तीसरे स्थान पर पहुंच गई। निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने वाले ZPM उम्मीदवारों ने सात सीटें जीतकर कई लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया था।
एमएनएफ, जेडपीएम और कांग्रेस सभी 40 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं जबकि भाजपा ने केवल 23 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। भाजपा ने दावा किया है कि किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलेगा और नई सरकार बनाने के लिए उसके समर्थन की आवश्यकता होगी। हालाँकि, विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा इस चुनाव में कुछ भी हासिल नहीं कर पाएगी, क्योंकि मिजोरम के 87 प्रतिशत लोग ईसाई हैं। हाल ही में मिजोरम के मुख्यमंत्री ने पीएम मोदी के साथ मंच शेयर करने से मना कर दिया था। एक विश्लेषक ने कहा कि राज्य में एमएनएफ और जेडपीएम के बीच कांटे का मुकाबला है।
हालाँकि, कांग्रेस का दावा है कि मिजोरम पूर्वोत्तर का पहला राज्य होगा जो अगले साल लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें सत्ता में चुनेगा। पार्टी ने भाजपा को ईसाई मिज़ोस के लिए ख़तरे के रूप में पेश करने की कोशिश की है और एमएनएफ और ज़ेडपीएम दोनों को भाजपा के लिए "एंट्री प्वाइंट" कहा है। कांग्रेस ने कर्नाटक, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की तर्ज पर यहां कई योजनाओं की घोषणा की है।
कांग्रेस की ओर से शशि थरूर ने अंतिम चरण में जाकर प्रचार किया। जबकि इससे पहले राहुल गांधी ने राज्य में रैलियों को संबोधित किया। राज्य की जनता का मूड पड़ोसी राज्य मणिपुर में हुई जातीय हिंसा को लेकर काफी आहत है और चुनाव पर उसकी छाया साफ दिखी। राज्य में नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे।