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महबूबा : हिज़बुल का साथ देने वाले देविंदर सिंह को जानबूझ कर छोड़ दिया सरकार ने

महबूबा : हिज़बुल का साथ देने वाले देविंदर सिंह को जानबूझ कर छोड़ दिया सरकार ने

हिज़बुल मुजाहिदीन के दो आतंकवादियों के साथ पकड़े गए तत्कालीन पुलिस सुपरिटेंडेंट देविंदर सिंह को नौकरी से तो बर्खास्त कर दिया गया, लेकिन उनके ख़िलाफ़ चल रही जाँच रोक दी गई। 

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने आरोप लगाया है कि सरकार ने आतंकवादियों का साथ देने के अभियुक्त देविंदर सिंह को जान बूझ कर छोड़ दिया है जबकि कश्मीरियों को तब तक दोषी माना जाता है जब वे ख़ुद को निर्दोष साबित न कर दें। 

जम्मू-कश्मीर पुलिस के पूर्व डिप्टी सुपरिटेंडेंट देविंदर सिंह जनवरी 2020 में हिज़बुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों के साथ पकड़े गए थे।

 उन पर आरोप लगा था कि इन आतंकवादियों को शोपियां से अपने घर जम्मू ले गए थे और अपने घर पर रात भर टिकाया था। 

यूएपीए

राष्ट्रीय जाँच एजेन्सी ने जुलाई 2020 में इस मामले में अदालत में चार्जशीट दाखिल किया था, जिसमें सिंह समेत पाँच लोगों पर अनलॉफ़ुल एक्टिविटीज़ प्रीवेन्शन एक्ट (यूएपीए) लगाया गया था। 

सिंह को मई 2021 में नौकरी से निकाल दिया गया। 

जम्मू-कश्मीर के लेफ़्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने बर्खास्तगी पत्र पर लिखा था कि वे इस बात से संतुष्ट हैं कि देविंदर सिंह के ख़िलाफ़ चल रही जाँच राष्ट्रहित में रोक दी जानी चाहिए।

क्या कहा लेफ़्टिनेंट गवर्नर ने?

संविधान के अनुच्छेद 311 (2 बी) के अनुसार, यदि राज्यपाल या राष्ट्रपति यह समझें कि यह राष्ट्र हित में ज़रूरी है तो किसी भी व्यक्ति के ख़िलाफ़ जाँच रोक दे सकते हैं। लेकिन इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। 

इसके पहले देविंदर सिंह की बर्खास्तगी का काग़ज़ सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और लोगों ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए इसे दोहरी मानसिकता बताया था। 

सोशल मीडिया पर सवाल

पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने ट्वीट कर कहा कि 'आतंकनिरोधी क़ानूनों में गिरफ़्तार निर्दोष कश्मीरी जेल में सालों सड़ते हैं, पर भारत सरकार ऐसे आदमी के ख़िलाफ़ जाँच नहीं चाहती जो आतंकवादियों के साथ रंगे हाथ पकड़ा गया था। क्या इसकी वजह यह है कि उसने सिस्टम के साथ मिल कर कुछ घपला किया था?'

कांग्रेस ने माँगी जानकारी

कांग्रेस ने भी सरकार के इस फ़ैसले पर सवालिया निशान लगाया है। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है कि देश को इस बारे में विस्तृत जानकारी माँगने का अधिकार है। 

कौन है देविंदर सिंह?

जनवरी 2020 में जिस समय देविंदर सिंह को कुलगाम ज़िले के वानपोह से पकड़ा गया था, वह हिज़बुल मुजाहिदीन के आतंकी नवीद बाबू और उसके एक साथी के साथ गाड़ी में थे।

नवीद पहले स्पेशल पुलिस ऑफ़िसियल यानी एसपीओ था और बाद में वह आतंकी संगठन से जुड़ गया था।

 नवीद 2019 के अक्टूबर और नवंबर में उन 11 मज़दूरों की हत्या में शामिल था जो जम्मू-कश्मीर के नहीं थे और जिनकी अलग-अलग समय में हत्या की गई थी। 

 - Satya Hindi

देविंदर सिंह पर आतंकवादियों से सांठगांठ के आरोप लगे थे।

देविंदर सिंह के तार

देविंदर और नवीद की गिरफ़्तारी और पूछताछ के बाद पुलिस ने श्रीनगर और दक्षिणी कश्मीर में कई जगहों पर छापे मारे थे।

पुलिस का दावा था कि इस छापे में उसने सिंह और आतंकवादी द्वारा जमा किए गए बड़ी मात्रा में घातक हथियार और गोला-बारूद बरामद किए थे।

पुलिस के अनुसार, नवीद के कबूलनामे के बाद बादामी बाग़ कैंटोनमेंट में दविंदर सिंह के घर से पुलिस ने एके-47 राइफ़ल और दो पिस्तौल बरामद किए हैं। 

एनडीटीवी' की रिपोर्ट के अनुसार, दविंदर सिंह तब सुर्खियों आए थे जब 2013 में संसद पर हमले के दोषी अफज़ल गुरु द्वारा लिखे गए एक पत्र में दावा किया गया था कि उन्होंने उसे संसद हमले के एक आरोपी को दिल्ली पहुँचाने और उसके वहाँ ठहरने की व्यवस्था करने को कहा था।

 बता दें कि संसद हमले में दोषी क़रार दिए गए अफजल गुरु को फाँसी दे दी गई थी। 

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