पश्चिम बंगाल में 12 साल से राज करने वाली ममता बनर्जी की कांग्रेस ने पूर्वोत्तर के खासकर त्रिपुरा और मेघालय में बड़े पैमाने पर मैदान में उतरने का फैसला किया है. लेकिन पूरब का स्कॉटलैंड कहे जाने वाले मेघालय में पार्टी को बाहरी के तमगे से जूझना पड़ रहा है. ध्यान रहे कि वर्ष 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा पर भी बाहरी होने का आरोप लगाया था.
राज्य के राजनीतिक हलकों में सवाल उठ रहा है कि क्या गोवा की तरह यहां भी तृणमूल कांग्रेस विपक्ष को हराने के लिए चुनाव लड़ रही है? पांच साल से सरकार चलाने वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने तो आरोप लगाया है कि तृणमूल की जीत के बाद मेघालय भी बंगाल की तरह बांग्लादेशी नागरिकों का अड्डा बन जाएगा.
दरअसल, तृणमूल कांग्रेस का पिछला इतिहास देखें तो यहां उठने सवाल गैर-वाजिब नहीं हैं. पार्टी ने पहले कभी यहां कोई चुनाव नहीं लड़ा. लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा के नेतृत्व में कांग्रेस के 17 में से 12 विधायकों को तोड़ कर तृणमूल कांग्रेस फिलहाल राज्य की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है. हालांकि इनमें से तीन विधायक उससे नाता तोड़ चुके हैं. यानी अब राज्य में उसके नौ विधायक ही बचे हैं. लेकिन अबकी बार वह यहां सरकार बनाने के सपने देख रही है. इसी लिहाज से उसने अपने चुनाव घोषणापत्र में भी कई लुभावने वादे किए हैं. पार्टी ने राज्य की 60 में से 52 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है.
राज्य में सत्तारूढ़ एनपीपी ने तृणमूल कांग्रेस की खिंचाई करते हुए कहा है कि वह बांग्लादेश के अवैध प्रवासियों को राज्य में भरना चाहती है. तृणमूल कांग्रेस ने एनपीपी पर हमला करते हुए सेव मेघालय के नारे के साथ अपना चुनाव अभियान शुरू किया है. लेकिन एनपीपी के प्रवक्ता बाजोप पिंगरोप कहते हैं, "हम मेघालय को अवैध घुसपैठ से बचाएंगे. तृणमूल कांग्रेस बांग्लादेशियों को अवैध रूप से राज्य में बसाने का प्रयास कर रही है. वह प्रमुख विपक्ष पार्टी होने का दावा भले करें, राज्य में उसका कोई आधार नहीं है."
पार्टी प्रवक्ता ने माना कि गारो हिल्स में तृणमूल का कोई अस्तित्व नहीं है. वहां एनपीपी का मुकाबला कांग्रेस से है.
मेघालय प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष विंसेंट एच पाला ने तो तृणमूल कांग्रेस पर भाजपा के साथ गोपनीय तालमेल का आरोप लगाया है ताकि वोटों के विभाजन के जरिए भगवा पार्टी को फायदा पहुंचा कर कांग्रेस को सत्ता में आने से रोका जा सके. उनका कहना है कि ममता बनर्जी बंगाल में भले भाजपा-विरोधी होने का दिखावा करें, यहां दोनों मिले हुए हैं. राज्य में हर आदमी यह बात जानता है कि तृणमूल कांग्रेस का उम्मीदवार जीतने के बाद भाजपा का दामन थाम लेंगे.
दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी की ओर से शिलांग में जारी घोषणा पत्र में 10 वादे किए गए हैं. पार्टी ने 21 वर्ष से 40 वर्ष के बेरोजगार युवाओं और महिलाओं को हर महीने एक हजार रुपए रुपये देने का वादा किया है. उन्होंने कहा कि अगर तृणमूल सरकार बनती है तो वह मेघालय की जनता के लिए काम करेगी. शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार के साथ महिला सशक्तिकरण ही हमारा मुख्य लक्ष्य है.
लेकिन भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस पर हवाई वादे करने का आरोप लगाया है. भाजपा की मेघालय इकाई के प्रमुख अर्नेस्ट मावरी कहते हैं, "तृणमूल ने यह खुलासा नहीं किया है कि वह इस योजना के लिए धन कैसे जुटाएगा. ऐसी योजना को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धाराओं के तहत एक भ्रष्ट और अनैतिक कार्य के रूप में देखा जाना चाहिए. पार्टी का इरादा मतदाताओं को रिश्वत देना है."