शहला राशिद के खिलाफ ज़ी न्यूज़ विवादास्पद कार्यक्रम का लिंक हटाएः NBDSA

06:49 pm Apr 06, 2022 | सत्य ब्यूरो

जेएनयू की पूर्व छात्र नेता शहला राशिद के बारे में विवादास्पद कार्यक्रम के लिंक को हटाने का निर्देश एक टीवी चैनल को दिया गया है। न्यूज ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीडीएसए) ने ज़ी न्यूज़ से कहा है कि वो शहला राशिद के बारे विवादास्पद शो के लिंक को हटा ले। अथॉरिटी ने कहा कि उस कार्यक्रम में निष्पक्षता की कमी थी और उसने 'कहानी का एक पक्ष' प्रस्तुत किया था।यह कार्यक्रम 30 नवंबर 2020 को प्रसारित हुआ था। सुधीर चौधरी कार्यक्रम के होस्ट थे। शहला ने सुधीर चौधरी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। सुधीर चौधरी ने शो में राशिद के पिता का इंटरव्यू लिया था। उस शो में शहला के पिता ने उनकी मां और उन पर आरोप लगाए। हालांकि शहला के पिता उनकी मां से अलग हो चुके थे। शहला के पिता ने बिना किसी सबूत के बेबुनियाद आरोप लगाए थे। शहला राशिद ने अपनी शिकायत में कहा कि शो के एंकर ने भी आग में घी डालने का काम किया। एंकर ने कहा कि शहला राशिद राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में शामिल थीं और टेरर फंडिंग" कर रही थीं।

एनबीडीएसए ने 31 मार्च, 2022 के अपने आदेश में कहा है कि शहला राशिद के पिता को बिना सबूत या पूछताछ के आरोप लगाने की अनुमति देकर, ज़ी न्यूज़ ने "कहानी का सिर्फ एक पक्ष" पेश किया था। लाइव लॉ के मुताबिक आदेश में कहा गया है कि ब्रॉडकास्टर ज़ी न्यूज़ शिकायतकर्ता से संपर्क करने में विफल रहा था, बल्कि विवादित कार्यक्रम को प्रसारित करने से पहले उसका पक्ष तक नहीं जाना। ब्रॉडकास्टर ने किसी भी रूप में उसके सोशल मीडिया पोस्ट में शिकायतकर्ता के पक्ष को प्रसारित करने के लिए पर्याप्त दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया था।आदेश में एनबीडीएसए के अध्यक्ष जस्टिस (रिटायर्ड) ए.के. सीकरी ने यह भी कहा कि ज़ी न्यूज़ ने राशिद के पिता के शब्दों के साथ-साथ जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) कैंपस की फुटेज का इस्तेमाल किया गया, उनका उनके कहने से कोई लेना-देना नहीं था। आदेश में कहा गया है कि चैनल को भविष्य में सावधान रहना चाहिए ताकि यह तय किया जा सके कि वह दर्शकों को लुभाने के लिए इस तरह के बेबुनियाद, व्यापक आरोप नहीं लगाए।

अथॉरिटी ने पाया कि इस तरह के जनरल बयान आचार संहिता और प्रसारण मानकों और रिपोर्टिंग से संबंधित दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हैं। ब्रॉडकास्टर को भविष्य में अपने किसी भी प्रसारण में जनरल आरोप लगाने वाले बयान देते समय सावधान रहना चाहिए।

आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए, शहला राशिद ने कहा कि वह हैरान हैं कि उनकी शिकायत को सही पाए जाने और उनके पक्ष में फैसला सुनाए जाने के बावजूद, एनबीडीएसए ने ज़ी न्यूज़ को सार्वजनिक माफी मांगने या किसी मुआवजा के लिए नहीं कहा था। उसने कहा कि चैनल ने उसकी प्रतिक्रिया मांगने के लिए उससे संपर्क करने का बिल्कुल भी प्रयास नहीं किया। शहला ने कहा कि हालांकि यह आदेश मेरे पक्ष में है, लेकिन यह पर्याप्त भी नहीं है। ज़ी न्यूज़ ने मुझ पर बेबुनियाद आरोप लगाए, जिसमें राष्ट्रविरोधी होने के अलावा ऐसे नारों के आरोप लगाए जिन्हें सिर्फ ज़ी न्यूज़ ही जानता होगा, टेरर फंडिंग जैसे घटिया आरोप लगाए गए। एक इंसान के रूप में, मैं हर दिन इसका नतीजा भुगतती हूं। मेरी इस वजह से सेहत खराब हो गई और मैंने करियर के मौकों को गवां दिया। तमाम लोग मेरी प्रोफाइल के साथ इस लिंक को खोज लेते हैं और मेरे बारे में गलत धारणा बना लेते हैं। शहला ने कहा- 

इस तरह की खबरें अभी भी मुझे सता रही हैं। ऑपइंडिया के जनवरी 2022 के एक लेख में आरोप लगाया गया था कि मैंने धन का दुरुपयोग किया था। ऐसे हमले पिछले तीन वर्षों से राजनीति या सार्वजनिक जीवन में सक्रिय नहीं होने के बावजूद बंद नहीं हुए हैं।


-शहला राशिद, पूर्व छात्र नेता, जेएनयू

जेएनयू से पीएचडी करने वाली शहला राशिद, आईएएस शाह फैसल की जम्मू-कश्मीर पीपुल्स पार्टी से जुड़ी थीं। फिर उन्होंने अक्टूबर 2019 में चुनावी राजनीति से दूर जाने का फैसला किया। जिस समय ज़ी न्यूज़ का कार्यक्रम प्रसारित हुआ, उस समय राशिद के पिता उन पर, उनकी माँ और उनकी बहन पर रोजाना से आरोप लगा रहे थे। दिसंबर 2020 में, श्रीनगर की एक अदालत ने उनके पिता और मीडिया को उनके निजी जीवन के विवरण प्रकाशित करने पर रोक लगा दिया था।