एमसीडी चुनाव: मेयर को मिलेंगे सीएम जैसे अधिकार?
दिल्ली में नगर निगम चुनाव को लेकर इन दिनों आम आदमी पार्टी केंद्र की सरकार पर हमलावर है। आम आदमी पार्टी के मुखिया और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सहित पार्टी के कई नेता मोदी सरकार पर निगम चुनाव को टालने का आरोप लगा रहे हैं। इस बीच, खबर यह है कि केंद्र सरकार तीनों नगर निगमों के एकीकरण में जुटी हुई है।
इसके अलावा दिल्ली नगर निगम अधिनियम यानी डीएमसी एक्ट में कई बदलाव किए जाने की भी तैयारी है।
अमर उजाला के मुताबिक, केंद्र सरकार महापौर को मुख्यमंत्री की तरह अधिकार देने पर विचार कर रही है। इसके अलावा नगर निगम में स्थाई समितियों को खत्म करने और पार्षदों को वेतन देने का प्रावधान करने के बारे में भी विचार किया जा रहा है।
अमर उजाला ने कहा है कि ऐसे प्रावधान लगभग 8 साल पहले दिल्ली राज्य निर्वाचन आयोग ने डीएमसी एक्ट में परिवर्तन कराने के लिए तैयार किए गए ड्राफ्ट में शामिल किए थे। दिल्ली बीजेपी के नेता केंद्र सरकार से इस ड्राफ्ट के अधिकतर प्रावधानों को लागू करने की मांग कर रहे हैं।
ड्राफ्ट में प्रत्येक पार्षद को प्रतिमाह 10 हजार रुपये वेतन देने का सुझाव है। इसके अलावा उन्हें विधायकों की तरह भत्ते देने पर भी जोर दिया गया है। पार्षद लंबे वक्त से वेतन और कई तरह के भत्ते देने की मांग कर रहे हैं।
वार्डों का फिर से गठन
यह भी कहा गया है कि केंद्र सरकार तीनों नगर निगमों का विलय करने के साथ-साथ दिल्ली के वार्डों का नए सिरे से गठन करने पर भी विचार कर रही है। खबर के मुताबिक बीजेपी के कुछ नेता चाहते हैं कि नए सिरे से वार्ड बनाने के दौरान विधानसभा क्षेत्र की सीमा का प्रावधान खत्म किया जाए और एक लाख की आबादी पर एक वार्ड बनाया जाए।
इस बात की चर्चा बीते कई महीनों से थी कि दिल्ली में तीनों नगर निगमों को एक किए जाने की तैयारी है। इस संबंध में बीजेपी के कई नेताओं के बयान भी सामने आ चुके हैं।
पंजाब के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने के बाद आम आदमी पार्टी दिल्ली में नगर निगमों को फतह करना चाहती है। अभी पूर्वी, उत्तरी और दक्षिणी तीनों नगर निगमों में बीजेपी सत्ता में है।
आम आदमी पार्टी का आरोप है कि नगर निगमों में जबरदस्त भ्रष्टाचार है और बीजेपी के नेता इसमें शामिल हैं। बीजेपी साल 2020 का विधानसभा का चुनाव बुरी तरह हार चुकी है और उसे इस बात का डर है कि वह नगर निगमों में अपनी सत्ता को गंवा सकती है। ऐसे में कहा जा रहा है कि वह नगर निगमों का एकीकरण कर सकती है।
साल 2012 से पहले दिल्ली में एकीकृत नगर निगम ही हुआ करता था। नगर निगम भी फंड की कमी से जूझ रहे हैं। खास तौर पर उत्तरी दिल्ली नगर निगम और पूर्वी दिल्ली नगर निगम में विकास कार्यों के लिए पैसे की कमी की खासी दिक्कत है।