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मायावती ने उठाया महंगाई, बेरोजगारी का मुद्दा; बीजेपी 'बी टीम' होने का आरोप क्यों?

मायावती ने उठाया महंगाई, बेरोजगारी का मुद्दा; बीजेपी 'बी टीम' होने का आरोप क्यों?

जिन मायावती पर बीजेपी की बी टीम होने का आरोप लगता रहा है उन्होंने अब महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों को क्यों उठाया? जानिए, उन्होंने क्या कहा है। 

मायावती ने आरोप लगाया है कि बीजेपी देश के लोगों को बढ़ती महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी और पिछड़ेपन के अभिशाप से मुक्त नहीं करा पाई है। इसके साथ ही बीएसपी सुप्रीमो ने कहा है कि इन समस्याओं को तो दूर किया नहीं और ऊपर से ग़रीबों को थोड़ा सा राशन देने को भी 'भाजपा एंड कंपनी' के लोग चुनाव में भुनाने पर तुले हुए हैं।

मायावती ने बीजेपी पर तीखा हमला करते हुए कहा है कि लोगों को दिया जा रहा मुफ्त राशन बीजेपी या उसकी सरकार का उपकार नहीं है और यह लोगों द्वारा सरकार को दिया गया टैक्स है। मायावती ने यह भी कहा कि राशन के बदले वोट मांगकर गरीबों का मजाक उड़ाना शोभा नहीं देता है। 

मायावती का यह बयान तब आया है जब उस पर लगातार विपक्षी दलों की ओर से बीजेपी की 'बी टीम' होने का आरोप लगाया जा रहा है। हाल में ये आरोप तब और लगने लगे जब मायावती ने अपने भतीजे से पार्टी में कई अहम पद छीन लिए। मायावती ने क़रीब हफ्ते भर पहले ही बीजेपी पर हमलावर रहे अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी बनाने का फ़ैसला वापस ले लिया है। इसके अलावा आकाश को नेशनल कोऑर्डिनेटर पद से भी हटा दिया गया। 

अपने इस फ़ैसले को लेकर मायावती ने पार्टी को खड़ा करने और डॉ. भीमराव आंबेडकर के स्वाभिमान के लिए कांशीराम और खुद की मेहनत का हवाला दिया है। उन्होंने कहा है कि इस आंदोलन को गति देने के लिए नई पीढ़ी को भी तैयार किया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि इसी के तहत आकाश आनंद को नेशनल कोऑर्डिनेटर व अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। उन्होंने कहा कि अब वह अपना फ़ैसला वापस ले रही हैं। इसके पीछे वजह उन्होंने आकाश आनंद में पूरी परिपक्वता के अभाव को बताया है। 

लेकिन आरोप लगे कि आकाश पर कार्रवाई के पीछे कुछ और वजह है। आकाश आनंद के ख़िलाफ़ मायावती की वह कार्रवाई तब की गई जब हाल ही में यूपी में दिया उनका एक भाषण काफी सुर्खियों में था। 28 अप्रैल को सीतापुर में एक चुनावी रैली में आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने के आरोप में आकाश आनंद और चार अन्य के खिलाफ आदर्श आचार संहिता उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया था।

तब आकाशा ने कहा था, 'यह सरकार बुलडोजर सरकार और गद्दारों की सरकार है। जो पार्टी अपने युवाओं को भूखा छोड़ती है और बुजुर्गों को गुलाम बनाती है वह आतंकवादी सरकार है। तालिबान अफगानिस्तान में ऐसी सरकार चलाता है।' अपने संबोधन में आकाश आनंद ने राज्य में 16,000 अपहरण की घटनाओं की राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट का भी हवाला दिया था और सरकार पर महिलाओं और बच्चों को सुरक्षा देने में विफल रहने का आरोप भी लगाया था। 

इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर आकाश आनंद ने आरोप लगाया था कि 'भाजपा चोरों की पार्टी है जिसने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से 16,000 करोड़ रुपये लिए।'

2024 के लोकसभा चुनाव से पहले मायावती ने आकाश को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया था। यह घोषणा पिछले साल दिसंबर महीने में इस लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी की एक बैठक के दौरान की गई थी। बसपा प्रमुख ने आकाश को अपना उत्तराधिकारी बनाया और उन्हें उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बाहर के राज्यों में पार्टी को मजबूत करने की जिम्मेदारी दी थी।

आकाश आनंद को ऐसे व्यक्ति के रूप में देखा जा रहा था जो पार्टी नेता के रूप में बसपा अध्यक्ष का कार्यभार संभालता। उनके बारे में कहा जाता था कि वह पिछले साल से पार्टी मामलों के प्रभारी भी थे।

इससे पहले लोकसभा चुनाव में बसपा उम्मीदवारों को लेकर भी कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की ओर से सवाल खड़े किए गए और कहा गया कि मायावती के ऐसे उम्मीदवारों के पीछे कौन है। बसपा के 80 उम्मीदवारों में से मायावती ने 20 मुस्लिम चेहरों को मैदान में उतारा है। 

मायावती ने उन सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं, जहां मुस्लिम-दलित या मुस्लिम-ओबीसी (खासकर यादव) मतदाताओं का दबदबा है। ऐसे जातीय समीकरण वाली सीटों में मुरादाबाद, एटा, बदांयू, आंवला, पीलीभीत, कन्नौज, अंबेडकर नगर, श्रावस्ती, डुमरियागंज, संत कबीर नगर, महाराजगंज और आज़मगढ़ आदि शामिल हैं। इनमें से किसी भी सीट पर सपा ने कोई मुस्लिम चेहरा नहीं उतारा है। हालाँकि इन सीटों पर बसपा उम्मीदवारों की भाजपा या सपा से सीधी लड़ाई नहीं है। पर्यवेक्षकों का मानना है कि मुस्लिम-दलित या मुस्लिम-ओबीसी समीकरणों के माध्यम से बढ़त हासिल करने की बसपा की रणनीति काम नहीं करती दिख रही है।

पहले के चुनावों में ज़बर्दस्त हमलावर रही बीजेपी इस बार बीएसपी पर हमला भी नहीं कर रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक जैसे नेताओं की रैलियों में यह देखा गया है। इन नेताओं के भाषणों में संकेत मिलता है कि उनके लिए विपक्षी खेमे में केवल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी और उनके नेता शामिल हैं।

इससे पहले 2019 के चुनाव में बीजेपी के निशाने पर सपा के साथ बीएसपी भी थी। ये दोनों दल गठबंधन में चुनाव लड़ रहे थे। तब पीएम मोदी से लेकर अमित शाह और योगी आदित्यनाथ तक 'बुआ-बबुआ' या 'बुआ-भतीजा' कहकर निशाना साधते रहे थे। पिछले विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी नेताओं ने बीएसपी पर हमला किया था। लेकिन अब इस चुनाव में ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है। द इंडियन एक्सप्रेस ने बीजेपी के सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि वे मायावती पर हमला करने से बचने की कोशिश इसलिए कर रहे हैं ताकि जाटव, धोबी, पासी, अहिरवार, कुरील, दोहरे, डोम, दुसाध जैसी दलित उप-जातियों को लुभाया जा सके। 

हालाँकि बीजेपी बिल्कुल भी बीएसपी पर हमलावर नहीं है, लेकिन बीएसपी प्रमुख मायावती समय-समय पर बीजेपी के ख़िलाफ़ मुखर हो रही हैं। वैसे, मायावती सपा और कांग्रेस के ख़िलाफ़ ख़ूब हमलावर हैं। 

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