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मराठा कोटा आंदोलन: मराठों को कुनबी प्रमाणपत्र देने का फैसला, नहीं थमी हिंसा

मराठा कोटा आंदोलन: मराठों को कुनबी प्रमाणपत्र देने का फैसला, नहीं थमी हिंसा

महाराष्ट्र में मराठा कोटा आंदोलन और भड़क गया है। बीड में तमाम नेताओं के घरों पर हमले हो रहे हैं या आग लगाई जा रही है। सरकार ने कई जगह कर्फ्यू लगा दिया है। शिंदे कैबिनेट ने बैठक की और आंदोलनकारी नेता मनोज जारांगे पाटिल से बात की। 

महाराष्ट्र सरकार ने मराठा रिजर्वेशन पर मंगलवार को भरोसा देने की कोशिश की। उसने ऐसा दिखाया कि वो कुछ आगे बढ़ रही है। महाराष्ट्र कैबिनेट की बैठक के दौरान मराठा समुदाय को आरक्षण देने पर जस्टिस संदीप शिंदे समिति की अंतरिम रिपोर्ट को कैबिनेट ने मंगलवार को स्वीकार कर लिया। बैठक में निर्णय लिया गया कि मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया शुरू होगी। कैबिनेट बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि पिछड़ा वर्ग आयोग मराठा समुदाय की सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति का आकलन करने के लिए ताजा डेटा एकत्र करेगा।

कैबिनेट बैठक के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मराठा कोटा कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटिल से फोन पर बात की। पाटिल का आमरण अनशन सातवें दिन में प्रवेश कर गया है। सीएम एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी सरकार समुदाय के लिए आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है और उन्हें शांति की अपील करनी चाहिए। यह फोन कॉल 20-25 मिनट तक चली। राज्य में कई स्थानों पर आंदोलन के हिंसक हो जाने के बाद शिंदे ने जारांगे-पाटिल को फोन किया। राज्य में हालात खराब हैं। राज्य में कई जगह आंदोलनकारी सड़कों पर बैठे हुए हैं। टायर जला रहे हैं। कई जगह सड़कें बंद हैं। कुछ जिलों में बस सेवाएं स्थगित कर दी गई हैं।

मराठा आरक्षण आंदोलन तेज होने के बाद महाराष्ट्र के बीड और धाराशिव में कर्फ्यू लगा दिया गया है। धारा 144 के तहत लोगों के एकत्र होने पर रोक भी लगा दी गई है। लेकिन हालात काबू नहीं हो पा रहे हैं। राजनीतिक दलों के नेताओं के घरों को निशाना बनाया जा रहा है। पीटीआई के मुताबिक बीड हिंसा में 49 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे ने मराठा आरक्षण पर चर्चा के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है।

मराठवाड़ा क्षेत्र के हिंगोली में भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में अज्ञात व्यक्तियों ने आग लगा दी। भाजपा पदाधिकारियों के अनुसार, दो से तीन अज्ञात व्यक्ति पार्टी कार्यालय में घुस आए और भागने से पहले उसमें आग लगा दी। उन्होंने बताया कि सुरक्षा गार्ड और पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और आग पर काबू पा लिया।

हिंसा के बीच मंगलवार 31 अक्टूबर को बीड में बीजेपी विधायक लक्ष्मण माधवराव पवार और एनसीपी जिला अध्यक्ष राजेश्वर चव्हाण ने इस्तीफा दे दिया। इससे एक दिन पहले प्रदर्शनकारियों के घेराव करने पर शिंदे वाली शिवसेना के सांसद हेमंत पाटिल ने अपना इस्तीफा लोकसभा स्पीकर को भेज दिया था। इस आंदोलन ने एक बात साफ कर दी है कि आंदोलनकारी नेताओं से ज्यादा ही नाराज लग रहे हैं।


युवा आंदोलनकारियों की नजर नेताओं के घरों पर है। एनसीपी के दो विधायकों और एक पूर्व मंत्री के घरों में आग लगा दी गई।प्रदर्शनकारियों ने बीड जिले में एनसीपी विधायक संदीप क्षीरसागर के घर में आग लगा दी। उनके घर पर खड़ी गाड़ियों को भी आग के हवाले कर दिया गया। पुलिस के मुताबिक, अभी तक किसी के घायल होने की खबर नहीं है।

इससे पहले बीड जिले में एक अन्य एनसीपी विधायक प्रकाश सोलंके के घर में भी प्रदर्शनकारियों ने तोड़फोड़ की और आग लगा दी। सोलंके अजित पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी से हैं। बीड में पूर्व मंत्री जयदत्तजी क्षीरसागर के कार्यालय में भी आग लगा दी गई। वह एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट के सदस्य हैं। शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट द्वारा संचालित एक एनसीपी कार्यालय को भी मंगलवार 31 अक्टूबर की सुबह आग लगा दी गई।

आंदोलनकारियों ने वडगांव निंबालकर गांव में उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के पोस्टरों को फाड़ डाला और उनका पुतला जलाया।

मराठा समुदाय के सदस्य अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग को लेकर महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटिल द्वारा जालना जिले में 25 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन अनशन शुरू करने के बाद आंदोलन तेज हो गया। कार्यकर्ता 29 अगस्त से 14 सितंबर तक भूख हड़ताल पर थे और राज्य सरकार द्वारा उनकी कोटा मांग पर विचार करने का आश्वासन देने के बाद उन्होंने अपना आंदोलन बंद कर दिया।

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