सरकार चाहे जो दावे करे, सच यह है कि अर्थव्यवस्था की रफ़्तार बहुत ही धीमी हो चुकी है और मंदी की ओर तेज़ी से बढ़ रही है। नए-नए आँकड़े और तमाम आर्थिक इन्डीकेटर इसी सच की ओर इशारा करते हैं। ताज़ा आँकड़ा यह है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर यानी उत्पादन क्षेत्र दो साल के न्यूनतम स्तर पर पहुँच चुका है। आईएचएस मार्केट इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई इनडेक्स अक्टूबर में 50.6 पर जा पहुँचा। यह दो साल का न्यूनतम स्तर है। इसके एक महीने पहले पीएमआई 51.4 पर था।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने ख़बर दी है कि उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में वृद्धि नहीं हुई है, कैपिटल गुड्स, जैसे मशनीवरी वगैरह, उसका उत्पादन बढ़ा है।
बता दें कि पीएमआई का आकलन 400 बड़ी कंपनियों की खरीद के आधार पर तय किया जाता है। इसके मोटे तौर पर 8 वर्ग होते हैं। ये हैं-बुनियादी धातु, रसायन व प्लास्टिक, बिजली के सामान, खाने-पीने की चीजें, इंजीनियरिंग सामान, कपड़ा व तैयार कपड़े, लकड़ी, काग़ज़ और परिवहन।
गुरुवार को जारी आँकड़ों के मुताबिक़, सितंबर में कोर सेक्टर उत्पादन 5.2 प्रतिशत गिरा। यह 14 साल का न्यूनतम प्रदर्शन है। अगस्त में कोर सेक्टर का कारोबार 1.1 प्रतिशत कम हो गया था।
जीएसटी उगाही
अर्थव्यवस्था कैसा काम कर रही है, इसे जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स की उगाही से भी समझा जा सकता है। जितना ज़्यादा जीएसटी राजस्व होगा, बिक्री भी उतनी ही ज़्यादा होगी। इसका मतलब माँग, खपत और उत्पादन भी उतना ही ज़्यादा होगा।दुर्गापूजा, दीवाली और छठ जैसे उत्सवों की खरीदारी का मौसम होने के बावजूद जीएसटी उगाही पहले से कम हुई है और एक लाख करोड़ रुपए के सामान्य औसत से भी कम रहा। अक्टूबर का जीएसटी राजस्व 95,380 करोड़ रुपये हुआ, जो सितंबर के 91,916 करोड़ रुपये से अधिक है। पर यह पिछले साल के 1,00,710 करोड़ से कम है। इसके साथ ही अक्टूबर का जीएसटी राजस्व एक लाख करोड़ रुपए के आँकड़े को नहीं छू पाया।
सितंबर के जीएसटी संग्रह के आंकड़ों में गिरावट देखने को मिली थी। आंकड़ों के मुताबिक़, यह 19 महीने में सबसे बड़ी गिरावट है। सितंबर में जीएसटी संग्रह घटकर 91,916 करोड़ रुपये रहा है। जबकि अगस्त के महीने में यह 98,202 करोड़ रुपये था। पिछले साल सितंबर में जीएसटी संग्रह 94,442 करोड़ रुपये था।
सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में प्रत्यक्ष कर उगाही राजस्व में 17.30 प्रतिशत की बढ़ोतरी और कुल 13.35 लाख करोड़ रुपये की उगाही का लक्ष्य रखा था लेकिन अप्रैल से 15 सितंबर तक सिर्फ़ 4.40 लाख करोड़ रुपये की कर उगाही हो सकी।