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सिसोदिया छापेमारी: सीबीआई की एफआईआर में क्या हैं आरोप?

सिसोदिया छापेमारी: सीबीआई की एफआईआर में क्या हैं आरोप?

सीबीआई ने अपनी एफआईआर में क्या कहा है? क्या मनीष सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। 

दिल्ली सरकार की आबकारी नीति को लेकर सीबीआई ने उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर पर छापेमारी करने के साथ ही उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की है। एफआईआर में कुल 15 लोगों के नाम हैं और मनीष सिसोदिया को अभियुक्तों की सूची में पहले नंबर पर रखा गया है। एफआईआर कुल 11 पन्नों की है और इसमें भ्रष्टाचार, आपराधिक साजिश रचने और खातों की जालसाजी करने जैसे कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। 

हालांकि उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने 14 घंटे तक चली सीबीआई की छापेमारी के बाद कहा है कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है और बीजेपी राजनीतिक मकसद से केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। 

केजरीवाल सरकार और आम आदमी पार्टी भी पूरी ताकत से मनीष सिसोदिया के पीछे खड़ी है। 

सीबीआई के द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में तीन अफसरों के भी नाम हैं। ये अफसर पूर्व आबकारी आयुक्त ए. गोपी कृष्णा, उपायुक्त आनंद तिवारी और सहायक आयुक्त पंकज भटनागर हैं। 

सीबीआई ने एफआईआर में आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार की आबकारी नीति को लागू करने में हुई गड़बड़ियों में शराब कंपनियों और बिचौलियों की सक्रिय भूमिका थी। 

एजेंसी ने यह भी दावा किया है कि मनीष सिसोदिया के करीबियों अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडे ने शराब लाइसेंसधारियों से कमीशन इकट्ठा किया।

एफआईआर में आरोप लगाया है कि शराब कारोबारी समीर महेंद्रु ने दिनेश अरोड़ा के द्वारा चलाई जा रही एक कंपनी को 1 करोड़ रुपए दिए और इसी कारोबारी ने अर्जुन पांडे और उसके सहयोगियों को दो से चार करोड़ रुपए दिए। 

एफआईआर में विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि विजय नायर, मनोज राय, अमनदीप ढल और समीर समीर महेंद्रु दिल्ली की नई आबकारी नीति बनाने और इसे लागू करने के काम में हुई गड़बड़ियों में शामिल हैं।

 - Satya Hindi

बीजेपी का आरोप 

यहां बताना होगा कि दिल्ली सरकार ने पिछले साल नवंबर में नई आबकारी नीति को लोगों के सामने रखा था लेकिन इस पर अच्छा खासा विवाद होने के बाद इसे इस साल 30 जुलाई को वापस ले लिया गया था। बीजेपी ने कहा है कि जब आबकारी नीति में किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं थी तो फिर केजरीवाल सरकार ने इसे वापस क्यों लिया। दिल्ली बीजेपी के नेताओं का कहना है कि नई आबकारी नीति के जरिए केजरीवाल सरकार ने शराब माफियाओं को फायदा पहुंचाया और शराब लाइसेंसधारियों का 144 करोड़ रुपए माफ कर दिया। 

एफआईआर के मुताबिक, महादेव लिकर्स नाम की कंपनी को L1 लाइसेंस दिया गया और सन्नी मारवाह इस कंपनी अधिकारी हैं। सन्नी मारवाह बड़े शराब कारोबारी रहे पोंटी चड्ढा की कंपनियों के भी निदेशक हैं। एफआईआर में कहा गया है कि अरुण रामचंद्र पिल्लई समीर महेंद्रु से पैसा लेते थे। 

सीबीआई ने यह एफआईआर दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के द्वारा आबकारी नीति की सीबीआई जांच की सिफारिश करने के संदर्भ में दर्ज की है।

आम आदमी पार्टी के आरोप 

आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि मनीष सिसोदिया को केंद्र सरकार के द्वारा निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि अमेरिका के प्रतिष्ठित अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स के फ्रंट पेज पर दिल्ली सरकार के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कामों की तारीफ की गई है। बताना होगा कि मनीष सिसोदिया दिल्ली के शिक्षा मंत्री भी हैं। 

आम आदमी पार्टी ने यह भी कहा है कि बीजेपी और केंद्र सरकार इस बात से डरी हुई है कि अरविंद केजरीवाल 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने चुनौती बनकर उभर रहे हैं। 

आईएएस अफसरों का तबादला

उधर, दिल्ली सरकार ने मनीष सिसोदिया के आवास पर छापेमारी के बाद एक दर्जन आईएएस अफसरों का तबादला कर दिया है। जिन अफसरों का तबादला किया गया है उनमें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के विशेष सचिव उदित प्रकाश राय का भी नाम है। उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय से उदित प्रकाश राय के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा था। उदित प्रकाश राय पर आरोप है कि उन्होंने एक इंजीनियर से 50 लाख रुपए की रिश्वत ली। 

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