असम राइफल्स ने इंफाल में एक प्रभावशाली नागरिक समाज समूह, मणिपुर इंटीग्रिटी (COCOMI) के समन्वय समिति के प्रमुख के खिलाफ राजद्रोह और मानहानि का मामला दर्ज किया है। एक रक्षा सूत्र ने कहा कि 10 जुलाई को COCOMI के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। क्योंकि संगठन ने लूटे गए "हथियार नहीं सौंपने" का आह्वान लोगों से किया था।
द हिन्दू अखबार की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 3 मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद, 4,000 से अधिक हथियार और लाखों गोला-बारूद या तो लूट लिए गए या पुलिस शस्त्रागार से छीन लिए गए। गृह मंत्री अमित शाह ने 29 मई से 1 जून तक राज्य का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने भी लूटे गए हथियार जमा करने की अपील की थी। इसके बावजूद, पुलिस ने सिर्फ 1,600 से अधिक हथियार बरामद किए गए हैं या जनता द्वारा सरेंडर किए गए हैं। बड़ी संख्या में हथियार अभी भी जनता के पास हैं। यह सुरक्षा बलों की चिंता का कारण बन गया है।
COCOMI के संयोजक जितेंद्र निंगोम्बा के खिलाफ आईपीसी की धारा 124 ए के तहत चुराचांदपुर पुलिस स्टेशन में 'राजद्रोह, दुश्मनी को बढ़ावा देना' जैसे आरोपों में एफआईआर की गई है। जितेंद्र निंगोम्बा पर आईपीसी की धारा 153 ए, धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना जैसे आरोप हैं। इसी तरह आईपीसी की धारा 500 (मानहानि) और पूजा स्थल में अपराध के लिए आईपीसी की धारा 505 लगाई गई है। जितेंद्र निंगोम्बा ने कहा कि उन्हें मामले की जानकारी नहीं है।
कहानी में नया मोड़ः COCOMI ने आरोप लगाया है कि 30 जून को बिष्णुपुर के मोइरांग इलाके में भारतीय सेना ने बड़ी संख्या में महिला प्रदर्शनकारियों पर हमला किया गया था। हालांकि सेना ने आरोप से इनकार किया है। 4 जून को गृह मंत्री को एक ज्ञापन में, COCOMI ने मांग की कि असम राइफल्स को किसी अन्य केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल से बदल दिया जाए और कहा कि स्थानीय युवा "कुकी आतंकवादियों" के हमलों के बीच हथियार आत्मसमर्पण करने को तैयार नहीं हैं।
सरकार और नागाओं के साथ समझौता
COCOMI ने हाल ही में मणिपुर सरकार और नागाओं से समझौता किया है। 15 जुलाई को इंफाल पूर्व में एक नागा महिला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना की COCOMI संगठन ने नैतिक जिम्मेदारी ली और यूनाइटेड नागा काउंसिल और मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के सचिव एन. जेफ्री के साथ एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए। समझौते में कहा गया कि राज्य सरकार मृतक के परिजनों को ₹10 लाख का मुआवजा देगी और संगठन यह सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में किसी भी समुदाय के साथ ऐसी कोई अप्रिय घटना या उत्पीड़न न हो।
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द हिन्दू की रिपोर्ट कहती है कि COCOMI मूल रूप से जून में राज्यपाल अनुसुइया उइके द्वारा गठित शांति समिति का हिस्सा था, लेकिन उसने "नार्को आतंकवादियों और म्यांमार के अवैध अप्रवासियों" के खिलाफ कार्रवाई होने तक शांति समिति में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया था।
इससे पहले इम्फाल के एक राजनेता के खिलाफ एक ओपिनियन कॉलम लिखने के लिए एक आपराधिक मामला भी दर्ज किया गया था। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि मणिपुर में वर्तमान संकट मंत्रीपुखरी में असम राइफल्स यूनिट का निर्माण था।
इंफाल स्थित एक समाचार पत्र और समाचार पोर्टल में प्रकाशित कॉलम में आरोप लगाया गया था कि म्यांमार स्थित "कुकी आतंकवादी संगठनों" को असम राइफल्स द्वारा संरक्षण दिया जा रहा है। इससे पहले, असम राइफल्स की शिकायत पर इम्फाल पश्चिम पुलिस स्टेशन में इंडिजिनियस पीपुल्स फ्रंट (आईपीएफ) के सलाहकार और मणिपुर के सीएम के सहयोगी जगत थौदाम के खिलाफ राजद्रोह और समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का मामला दर्ज किया था।