मणिपुर FIR: मैतेई महिलाओं ने मुझे पुरुषों को सौंपा, उन सब ने मेरा रेप किया

08:35 pm Jul 23, 2023 | सत्य ब्यूरो

मणिपुर से दहलाने वाली कहानियों का आना जारी है। सबसे शर्मनाक यह है कि अधिकांश मामलों में मैतेई महिलाओं ने कुकी महिलाओं को पकड़कर अपने पुरुषों के हवाले किया और उन्होंने कुकी महिलाओं के परिवारों के सामने गैंगरेप किया। द हिन्दू अखबार ने ऐसी ही एक घटना की रिपोर्ट छापी है। द हिन्दू अखबार की रिपोर्टर ने इस घटना से संबंधित दर्ज एफआईआर से भी काफी तथ्य जुटाए हैं।

द हिन्दू के मुताबिक मणिपुर में 18 साल की कुकी लड़की के साथ घटी यह घटना 15 मई की है। इससे संबंधित एफआईआर में कहा गया है कि एक मैतेई महिला समूह ने उसे चार हथियारबंद लोगों को सौंप दिया। उसके साथ क्रूरता की गई, गैंगरेप किया गया, हत्या की धमकियां दी गईं। घटना के बाद, वो लड़की बिष्णुपुर पुलिस स्टेशन पहुंची, लेकिन उसे घर तक साथ जाने के लिए मैतेई पुलिस पर भरोसा नहीं था।

द हिन्दू के मुताबिक एक पुलिस सूत्र ने बताया कि 15 मई को मणिपुर के इंफाल पूर्व में अपहरण, मारपीट और गैंगरेप की शिकार 18 वर्षीय लड़की ने 21 जुलाई को पुलिस से संपर्क किया, जिसके बाद जीरो एफआईआर दर्ज की गई है। एफआईआर के अनुसार, लड़की ने कहा कि महिलाओं के उस समूह को मणिपुर में मीरा पैबिस (महिला मशालधारी) या 'मदर्स ऑफ मणिपुर' भी कहा जाता है। लड़की ने आरोप में कहा कि उस मैतेई समूह की महिलाओं ने उसे काले कपड़े पहने चार हथियारबंद लोगों को सौंप दिया था। द हिंदू के पास उस एफआईआर की कॉपी है। 

पड़ोसी राज्य नागालैंड के एक अस्पताल में गंभीर हालत में भर्ती कराई गई इस बलात्कार पीड़िता ने शुक्रवार को कांगपोकपी पुलिस से संपर्क किया था। जिसके बाद "अज्ञात बदमाशों और मीरा पैबिस" के खिलाफ हमले, हत्या के प्रयास, अपहरण, गैंगरेप और अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ अत्याचार की विभिन्न धाराओं के तहत एक जीरो एफआईआर दर्ज की गई। एक पुलिस सूत्र ने द हिन्दू को शनिवार को बताया कि मामला इम्फाल ईस्ट थाने में ट्रांसफर कर दिया गया है।

महिलाओं का महिलाओं के खिलाफ इस्तेमाल की ऐसी यौन हिंसा के कई मामलों में से यह एक मामला है जो 3 मई को आदिवासी कुकी और बहुसंख्यक मैतेई समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़कने के बाद से राज्य से सामने आए हैं।

बुधवार को एक वीडियो वायरल होने के बाद पीड़ित लड़की शिकायत करने के लिए आगे आई। बता दें कि 4 मई को थौबल में तीन महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाया गया, जिनमें से एक के साथ गैंगरेप किया गया था। इस घटना पर देश-विदेश में तीखी प्रतिक्रिया हो रही है।

एफआईआर में कहा गया है कि 15 मई को शाम करीब 5 बजे चार लोगों ने बैंगनी रंग की कार में लड़की का अपहरण कर वांगखेई अयांगपाली ले गए, जहां उन्होंने उसे पीटा। फिर उन्होंने मीरा पैबिस संगठन की महिलाओं और कई स्थानीय लोगों को बुलाया, जिन्होंने बारी-बारी से मुझे थप्पड़ और मुक्के मारे। फिर चार लोग काली शर्ट में अपनी पीठ पर कुछ लादे हुए आए और उन सभी के पास बंदूकें थीं।'' लड़की ने एफआईआर में आरोप लगाया कि दो लोगों की उम्र 30 के बीच थी, जबकि दो की उम्र 50 के आसपास थी। उसने कहा कि भीड़ में से एक महिला ने चार लोगों को उसे मारने का स्पष्ट निर्देश दिया। इसके बाद चारों लोगों ने उसे दूसरी कार में धकेल दिया और चले गए। फिर उन लोगों ने मुझसे लगातार बेतरतीब सवाल पूछे और चाहे मैं कुछ भी जवाब दूं या चुप रहने की कोशिश करूं, वे मुझे थप्पड़ मार देते थे और कई बार अपनी बंदूकों की बट से भी मुझे मारते थे। फिर हम एक जगह पहुंचे जो थोड़ी पहाड़ी की चोटी पर थी, जहां उन्होंने मुझे मारने का फैसला किया।

लड़की ने फिर उनमें से एक को कहते सुना कि मारने पर पुलिस कार्रवाई हो सकती है। फिर मैं उन चार लोगों में सबसे बुजुर्ग के पैरों पर गिर पड़ी और अपनी जान की भीख मांगी। मैंने उनसे यह भी वादा किया कि मैं इम्फाल कभी नहीं लौटूंगी, बस मुझे जाने दो; मैं अपने माता-पिता से मिलना चाहती हूं। उन्होंने मुझे फिर से कार में बिठाया और मुझे मारने के लिए बेहतर स्थान की तलाश में मुझे इधर-उधर घुमाया। कुछ देर इधर-उधर घूमने के बाद उन्होंने फिर से पहाड़ी इलाके में कार रोकी। उन्होंने मुझे कार से बाहर खींच लिया और लात, थप्पड़, मुक्का आदि से मुझ पर शारीरिक हमला करना शुरू कर दिया। बंदूक की बट से मेरे चेहरे पर एक वार इतना जोरदार था कि मैं कुछ देर के लिए बेहोश हो गई। 

एफआईआर में लड़की ने कहा - मेरी आंखें तब खुलीं जब मैंने अपने चेहरे पर बारिश की बूंदें महसूस कीं।' इसके बाद चार में से तीन लोगों ने बारी-बारी से उसके साथ रेप किया। उस समय तक मेरे कान, चेहरे और सिर से इस हद तक खून बह रहा था कि मेरे कपड़े और चेहरा खून से भीग गए थे। फिर जिन तीन लोगों ने मेरे साथ रेप किया और जिन्होंने नहीं किया, उनके बीच यह बहस हुई कि मुझे मार दिया जाना चाहिए...।

एफआईआर के मुताबिक उन्होंने कहा कि अगर हम तुम्हें जाने देंगे तो तुम पुलिस के पास एफआईआर दर्ज कराने जाओगी लेकिन निश्चिंत रहो अगर तुम पुलिस के पास जाओगी तो हम तुम्हें ढूंढ लेंगे और मार डालेंगे। जबकि वे इस बात पर बहस कर रहे थे कि मुझे जाने दिया जाए या मार दिया जाए। उनमें से एक कार को मोड़ने की कोशिश कर रहा था और उसने मुझे टक्कर मार दी और मैं उस पहाड़ी की चोटी से नाले में गिर गई।

'मुझे पुलिस पर भरोसा नहीं है'

लड़की ने एफआईआर में बताया कि चोट लगने के बाद वो सड़क पर पहुंची, जहां उसने एक ऑटोरिक्शा से मदद मांगी। मुझे उस हालत में देखकर ऑटो रिक्शा चालक मुझे बिष्णुपुर पुलिस स्टेशन ले गया। उसने मुझे अपने साथ ले जा रहे सब्जियों के ढेर के नीचे छिपा दिया। पुलिस स्टेशन पहुंचने पर मैंने सुना कि जो पुलिसकर्मी मुझे घर तक छोड़ेगी, वो मैतेई समुदाय से हैं। मैंने ड्राइवर से विनती की कि वह मुझे घर यानी न्यू लाम्बुलेन इलाके में छोड़ दे क्योंकि मुझे पुलिस पर भरोसा नहीं है। 16 मई को, मैं सुबह लगभग 4.30 बजे इम्फाल से निकली और सापोरमीना आ गई। इसके बाद, मैं इलाज के लिए कांगपोकपी जिला अस्पताल गई लेकिन मेरी हालत गंभीर होने के कारण उन्होंने मुझे कोहिमा अस्पताल रेफर कर दिया।