मणिपुर: प्रदेश अध्यक्ष ने दिया इस्तीफ़ा, कांग्रेस को बड़ा झटका
मणिपुर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंदास कौनथुजाम ने मंगलवार को अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है और राज्य में कांग्रेस के 8 विधायकों के मंगलवार को बीजेपी में शामिल होने की संभावना है। मणिपुर में 7 महीने बाद विधानसभा के चुनाव हैं और उससे पहले पार्टी के लिए यह एक बड़ा झटका है। कई राज्यों में सियासी घमासान से गुजर रही कांग्रेस के लिए यह सिलसिला शायद रुकने का नाम नहीं ले रहा है।
गोविंदास कौनथुजाम 6 बार विधायक रहे हैं और पूर्व में राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री भी। उन्हें बीते साल ही प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था।
कई राज्यों में घमासान
तीन महीने तक पंजाब के सियासी घमासान से जूझने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू के नाम का एलान करने वाली कांग्रेस के सामने पंजाब ही क्या राजस्थान से लेकर हरियाणा तक मुश्किलें मुंह बाएं खड़ी हैं। पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के खेमे का अगला क़दम क्या होगा और सात महीने बाद होने वाले चुनाव में क्या पार्टी जीत हासिल कर पाएगी, इसे लेकर हाईकमान परेशान है।
राजस्थान में अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट के खेमों के बीच चल रहा शीत युद्ध किस दिन सियासी रण का रूप अख़्तियार कर ले, कोई नहीं जानता। इसी तरह हरियाणा में वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग को लेकर लगभग 20 विधायक पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाक़ात कर चुके हैं।
कांग्रेस हाईकमान से सवाल
अगर मणिपुर के 8 विधायक बीजेपी में शामिल हो जाते हैं तो फिर सवाल कांग्रेस हाईकमान से पूछा जाएगा कि आख़िर इस पार्टी में नेता टिक क्यों नहीं रहे हैं। हर मामले में सिर्फ़ बीजेपी को ही दोष देकर या अपने नेताओं को मौक़ापरस्त बताकर काम नहीं चलेगा।
बीते सात सालों में गोवा से लेकर उत्तराखंड, मध्य प्रदेश से लेकर गुजरात, कर्नाटक से लेकर महाराष्ट्र तक कई विधायकों, बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ी है और हर बार कांग्रेस ने दोष बीजेपी पर मढ़ दिया है। हालांकि बीजेपी पर ऑपरेशन लोटस चलाने का इल्जाम है लेकिन अपना घर तो कांग्रेस को ख़ुद ही दुरुस्त करना पड़ेगा।
लोकसभा चुनाव के दो साल बाद भी पार्टी स्थायी अध्यक्ष तक नहीं चुन सकी है। सिंधिया, जितिन प्रसाद जैसे युवा चेहरे गए तो वरिष्ठ नेताओं में पूर्व विदेश मंत्री एसएम कृष्णा से लेकर, रीता बहुगुणा जोशी, चौधरी बीरेंद्र सिंह, जगदंबिका पाल, राधा कृष्ण विखे पाटिल और सोनिया गांधी के सबसे क़रीबी कहे जाने वाले टॉम वडक्कन से लेकर कई दिग्गज पार्टी छोड़ चुके हैं।