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मप्र में बापू के ‘स्मरण’ के बिना 30 जनवरी को मौन…!

मप्र में बापू के ‘स्मरण’ के बिना 30 जनवरी को मौन…!

शिवराज सिंह चौहान सरकार के आदेश में महात्मा गांधी के बलिदान का, आजादी के आंदोलन में उनकी भूमिका का कहीं कोई जिक्र तक न होना, गंभीर सवाल खड़े करता है।

नाथूराम गोडसे के महिमा मंडन को लेकर सुर्खियों में रहने वाला मध्य प्रदेश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बलिदान दिवस 30 जनवरी के ठीक पहले पुनः चर्चाओं में है। चर्चा की वजह, राज्य सरकार का वह आदेश है जो शुक्रवार 28 जनवरी को जारी हुआ है। लंबे-चौड़े आदेश में तमाम दिशा-निर्देशों के साथ 30 जनवरी को दो मिनट का मौन रखे जाने का आह्वान है, लेकिन पूरे आदेश में बापू के नाम अथवा देश के लिए गांधी जी द्वारा अपने प्राणों की आहुति दे दिए जाने का कहीं भी उल्लेख नहीं है।

मध्य प्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी किए गए आदेश में कहा गया है, ‘भारत के स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों की स्मृति में 30 जनवरी को मौन धारण किया जाएगा।’

राज्य के सभी विभाग एवं विभागाध्यक्षों, संभागीय आयुक्तों और कलेक्टरों के नाम जारी दो पेज तथा कई बिन्दुओं वाले जीएडी के इस आर्डर में उल्लेखित है, ‘प्रत्येक वर्ष 30 जनवरी को प्रातः 11 बजे सारे देश में उन शहीदों की स्मृति में जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अपने जीवन का बलिदान दिया है, दो मिनट का मौन रखा जाता है। समस्त कार्य और गतिविधियां रोक दी जाती हैं।’

30 जनवरी के मौन हेतु हर साल जारी होने वाले इस पारंपरिक आदेश में आगे कहा गया है, इस दिन को व्यापक रूप से आम जनता की भागीदारी से मनाए जाने के लिए निम्नलिखित अनुदेश निर्धारित किए गए हैं:-

1. हर वर्ष की तरह 30 जनवरी को पूर्वान्ह 11 बजे प्रदेश भर में कार्य एवं गतिविधियां रोककर दो मिनट का मौन रखा जाना चाहिए।

2. दो मिनट का मौन शुरू होने तथा समाप्त होने की सूचना, जहां कहीं व्याव्हारिक हो - सायरन बजाकर अथवा सेना की तोप दागकर दी जानी चाहिए। 

3. सायरन/सिग्नल सुनकर और जहां यह व्यवस्था उपलब्ध नहीं है - वहां ठीक 11 बजे सभी व्यक्ति खड़े हो जाएं और मौन धारण करें।

आदेश में आगे कहा गया है, ‘विगत वर्षों में यह देखा गया है कि जिस समय कुछ कार्यालयों में दो मिनट का मौन रखा जा रहा होता है, उस समय लोग अपने दैनिक कार्य में लगे रहते हैं। इसलिए अनुरोध है कि शहीद दिवस को उचित गंभीरता के साथ मनाया जाए।’

आदेश में शहीद दिवस पर मौन के दौरान कोविड-19 प्रोटोकॉल संबंधी सभी दिशा-निर्देशों का पालन सख्ती से करे जाने की बात भी कही गई है।

दो पृष्ठों वाले इस आदेश में महात्मा गांधी के बलिदान अथवा 30 जनवरी को बापू की पुण्य तिथि होने संबंधी कोई भी जिक्र नहीं है। स्वतत्रंता में बापू के योगदान का उल्लेख इस पूरे आदेश में कहीं भी नहीं किया गया है।

गांधी के नाम से इतनी नफरत क्यों?

पूर्व केन्द्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अरूण यादव ने राज्य सरकार के दो पृष्ठ वाले आदेश को टैग करते हुए ट्वीट किया है। 

यादव ने अपने ट्वीट में सवाल उठाया है, ‘आखिर मप्र की भाजपा सरकार को महात्मा गांधी जी के नाम से इतनी नफरत क्यों हैं?’

यादव ने ट्वीट में कहा है, ‘सरकार ने 30 जनवरी को शहीद दिवस पर 2 मिनट का मौन रखने का आदेश जारी किया है, मगर पूरे आदेश में एक भी जगह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का नाम न होना, भाजपा की गोडसे विचारधारा को उजागर करता है।’

अरूण यादव ने ट्वीट के अंत में लिखा है, ‘महात्मा गांधी, अमर रहें।’

 - Satya Hindi

जीएडी के इस चर्चित आदेश को लेकर प्रतिक्रिया के लिये ‘सत्य हिन्दी’ ने प्रदेश सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा से संपर्क किया, लेकिन टिप्पणी के लिए वे उपलब्ध नहीं हो सके।

बापू को तीन गोलियां दाग़ीं थीं गोडसे ने

नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। बापू की पुण्यतिथि को हर साल शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेता थे। भारत की आजादी में गांधी जी ने बेहद अहम भूमिका निभाई थी। देश की आजादी के लिए गांधी जी कई बार जेल भी गए थे।

गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को बापू का सीना उस वक्‍त छलनी कर दिया था जब वे दिल्‍ली के बिड़ला भवन में शाम की प्रार्थना सभा से उठ रहे थे। गोडसे ने बापू के साथ खड़ी महिला को हटाया और अपनी सेमी ऑटोमैटिक पिस्टल से एक बाद के एक तीन गोली मारकर उनकी हत्‍या कर दी।

बता दें कि महात्मा गांधी की शवयात्रा को आजाद भारत की सबसे बड़ी शवयात्रा कहा जाता है। गांधी जी को अंतिम विदाई देने के लिए करीब दस लाख लोग साथ चल रहे थे और 15 लाख लोग रास्ते में खड़े थे।

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