शिवसेना विधायकों के अयोग्यता मामले में अब तक फ़ैसला नहीं आने के लिए उद्धव ठाकरे ने पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ पर तीखे तंज कसे हैं। टीओआई को दिए गए एक साक्षात्कार में उद्धव ने कहा, 'चंद्रचूड़ न्याय देने के बजाय एक भाषण देने वाले बनकर रह गए।' उन्होंने आगे कहा कि अगर चंद्रचूड़ न्यायाधीश के बजाय कानून के व्याख्याता होते तो उन्हें अधिक प्रसिद्धि मिलती।
शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि वह हाल ही में सेवानिवृत्त हुए सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ से निराश हैं क्योंकि उन्होंने शिवसेना विधायकों की अयोग्यता मामले में फ़ैसला नहीं सुनाया। बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल पूरा हो गया है लेकिन शिवसेना से टूट कर अलग गुट बनाने वाले विधायकों की अयोग्यता पर कोर्ट का फ़ैसला नहीं आ पाया है। अब विधानसभा का कार्यकाल ख़त्म हो चुका है।
इस मामले की शुरुआत जून 2022 में तब हुई थी जब शिंदे और कई विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह कर दिया था। सोलह विधायक 'लापता' हो गए थे और विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं हुए थे। उद्धव ठाकरे द्वारा नामित पार्टी के मुख्य सचेतक ने तत्कालीन डिप्टी स्पीकर द्वारा बागी विधायकों को नोटिस जारी करके अयोग्यता की कार्यवाही शुरू करवाई थी।
बागियों ने तब अयोग्यता की कार्यवाही के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और दावा किया कि असली शिवसेना वे ही हैं।
इस बीच, राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे से विश्वास मत हासिल करने को कहा। हालाँकि, विश्वास मत से ठीक पहले उद्धव ने इस्तीफा दे दिया और राज्यपाल की कार्यवाही पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। हालाँकि बाद के फ़ैसलों में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्योंकि उद्धव ने इस्तीफा दे दिया था इसलिए उस मामले में कुछ और फ़ैसला देना ठीक नहीं है।
शिवसेना में विभाजन हो गया और महा विकास अघाड़ी सरकार गिर गई। उद्धव गुट की संविधान पीठ के समक्ष याचिकाओं में तब फ्लोर टेस्ट को रद्द करने की मांग की गई, जिसने एकनाथ शिंदे को सीएम की कुर्सी पर बिठाया था। उन्होंने यह भी मांग की कि विधायकों को पार्टी विरोधी गतिविधि की तारीख से अयोग्य माना जाए और इसलिए शिंदे को सीएम नहीं बनाया जा सकता था। जून 2022 में विद्रोह के बाद शिंदे भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बने थे।
विधायकों की इसी अयोग्यता वाले मामले में फ़ैसला लिया जाना है। लेकिन क़रीब ढाई साल में भी इसपर फ़ैसला नहीं आ पाया। पहले तो विधानसभा स्पीकर ने इस मामले को लटकाए रखा और बाद में सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई जल्दी नहीं हो पाई।
यह मामला दूसरी बार में सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने विस्तृत आदेश दिया था लेकिन सदस्यों की अयोग्यता का मसला विधानसभा स्पीकर पर छोड़ दिया था। लेकिन स्पीकर ने मामला लटकाए रखा और सुप्रीम कोर्ट की फटकार और बार बार आदेश के बाद 10 जनवरी 2024 को फ़ैसला दिया जिसमें एकनाथ शिंदे गुट को ही असली शिवसेना माना। फिर इस आदेश को चुनौती दी गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में तब से तारीख़ें लगती रही हैं और सुनवाई हुई ही नहीं है।
बहरहाल, वर्तमान भाजपा नेतृत्व को चालाक बताते हुए उद्धव ठाकरे ने टीओआई से इंटरव्यू में कहा कि उन्हें कांग्रेस नेतृत्व 'सम्मानजनक और आम सहमति वाला' लगा। उन्होंने कहा, 'राहुलजी, सोनियाजी, प्रियंकाजी और खड़गेजी... वे बहुत सम्मानीय रहे हैं। भले ही हम सत्ता में नहीं हैं। आज की भाजपा की तुलना में उनमें निश्चित रूप से अधिक मानवता है। आज की भाजपा केवल 'इस्तेमाल करो और फेंको' वाली है।' उन्होंने कहा कि अगर भाजपा के देवेंद्र फडणवीस फिर से सीएम बन गए, तो महाराष्ट्र तबाह हो जाएगा।
अडानी-धारावी मुद्दे पर उद्धव ने कहा कि वे किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं हैं लेकिन जिस तरह से मुंबई को अडानी को उपहार में दिया जा रहा है, वह स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने आगे कहा, 'जैसे अंग्रेजों के समय में मुंबई को दहेज के रूप में दिया गया था, हम मुंबई को किसी को उपहार में नहीं दे सकते। सरकार का फैसला जनता करेगी, अडानी नहीं। मैं जब सीएम था, तब गौतम अडानी से मिला था, लेकिन यह धारावी के लिए किसी टेंडर से संबंधित नहीं था। जिस तरह से मुंबई को अडानी को उपहार में दिया जा रहा है, यही कारण है कि मेरी सरकार गिरा दी गई।'
यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा का नारा 'बटेंगे तो कटेंगे' कारगर साबित होगा, उद्धव ने कहा कि भाजपा का नारा इस्तेमाल करेंगे और फेंकेंगे होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री बनने का सपना नहीं देख रहे हैं और उनकी प्राथमिकता महाराष्ट्र को लूटने वालों को हराना है। उन्होंने कहा, 'अमित शाह ने अब फडणवीस को संभावित मुख्यमंत्री के रूप में घोषित कर दिया है; क्या शिंदे और अजित पवार इससे सहमत हैं? क्या शिंदे भाजपा के नेतृत्व में डीसीएम बनेंगे?'