शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को उनके गृह क्षेत्र में जाकर उनकी तीखी आलोचना की। उन्होंने शिंदे का नाम लिए बिना शिवसेना के साथ-साथ महाराष्ट्र से 'विश्वासघात' करने के लिए आड़े हाथ लिया और कहा कि पूरा देश जानता है कि वे 'बिके हुए' हैं और कितने में बिके हैं।
उद्धव ठाकरे ने यह हमला उस मामले को लेकर किया जिसमें शिंदे ने पूर्ववर्ती उद्धव ठाकरे सरकार से बगावत कर दी थी। शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के लगभग 40 विधायकों के पार्टी नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह करने से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार संकट में आ गई थी। एकनाथ शिंदे ने 30 जून को एमवीए सरकार के पतन के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, जबकि वरिष्ठ बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने उनके डिप्टी के रूप में शपथ ली थी।
पिछले साल शिवसेना के विभाजन के बाद ठाणे की अपनी पहली यात्रा में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने गुरुवार को शिंदे के गुरु माने जाने वाले दिवंगत लोकप्रिय शिवसेना नेता आनंद दिघे के स्मारक पर भी श्रद्धांजलि अर्पित की। ठाणे वर्षों से एकजुट शिवसेना का गढ़ रहा था। लेकिन शिंदे के साथ जाने वाले अधिकांश समर्थकों के बाद उद्धव ठाकरे उस क्षेत्र में अपनी पार्टी को मज़बूत करना चाहते हैं। उनकी इस यात्रा को उसी संदर्भ में देखा जा रहा है।
ठाकरे की यात्रा और उनकी टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर शिंदे ने कहा कि लोकतंत्र में हर किसी को अपनी पार्टी के लिए प्रचार करने और उसके विस्तार के लिए काम करने का अधिकार है।
ठाकरे दीघे की जयंती की पूर्व संध्या पर शिवाजी मैदान में स्थानीय सांसद राजन विचारे द्वारा आयोजित एक चिकित्सा शिविर का उद्घाटन करने के लिए ठाणे में थे। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार यह कहते हुए कि वह भाषण देने के लिए नहीं आए हैं, उद्धव ने कहा, 'मैं यहां हमारे सांसद द्वारा आयोजित स्वास्थ्य शिविर और कुछ अन्य कार्यों में भाग लेने के लिए आया हूं। मैं आज नागरिकों के स्वास्थ्य का ध्यान रखने आया हूं। जल्द ही, मैं (राजनीतिक) भाषण देने के लिए वापस आऊंगा और थानेकर (ठाणे निवासी) के राजनीतिक स्वास्थ्य का ध्यान रखूंगा।'
ठाकरे ने बाद में आनंद आश्रम के पास दीघे की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की और जैन समुदाय द्वारा आयोजित एक समारोह में भी भाग लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि राजनीति में बढ़ती गंदगी के बावजूद उन्हें गर्व है कि शिवसेना अपने लक्ष्य को नहीं भूली है। उन्होंने कहा, 'अन्याय से लड़ना शिवसेना का आदर्श वाक्य है, हमें शिवसेना प्रमुख ने भी सिखाया था कि सार्वजनिक जीवन 80 प्रतिशत सामाजिक कार्य और 20 प्रतिशत राजनीति है।' उन्होंने कहा कि राजन और अन्य, जो वफादार शिवसैनिक हैं, यहां हमारे साथ हैं।
शिंदे धड़े का नाम लिए बिना ठाकरे ने कहा कि हर कोई 'दूसरों' को जानता है जो 'बिक चुके' हैं। उन्होंने कहा, 'हम जानते हैं कि उन्हें किस कीमत पर बेचा गया है। मुझे आपको यह बताने की ज़रूरत नहीं है।' ठाकरे ने कहा कि यह नारा देश के कोने-कोने में पहुंच गया है और शिवसेना में फूट ने न केवल पार्टी बल्कि महाराष्ट्र को भी बदनाम किया है।