अपनी लिव-इन पार्टनर श्रद्धा वालकर की हत्या के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला का परिवार क़रीब एक पखवाड़े पहले मुंबई के पास अपना घर छोड़कर चला गया था। आफ़ताब ने अपने परिवार को शिफ़्ट करने में मदद भी की थी। ऐसा उसके पड़ोसियों का ही कहना है। यह मामला तब का है जब आफताब गिरफ़्तार नहीं हुआ था। हालाँकि श्रद्धा की हत्या हो चुकी थी, उसकी शिकायत भी पुलिस के पास पहुँच चुकी थी और पुलिस ने जाँच भी शुरू कर दी थी।
श्रद्धा वालकर की हत्या 18 मई को हुई थी। आरोपी आफताब शव को 35 टुकड़े कर शवों को कुछ दिनों में ही ठिकाने भी लगा चुका था। उसके एक दोस्त ने सबसे पहले सितंबर में महाराष्ट्र के पालघर इलाक़े में रहने वाले उसके परिवार को उसकी 'लापता' स्थिति के बारे में बताया था। इसके बाद ही इस मामले में हरकत हुई। पुलिस जाँच में जुटी थी।
अब जो खुलासा हुआ वह झकझोरने वाला है। आफताब ने पुलिस को बताया कि 18 मई को भी उन दोनों के बीच बहस हुई। उस दिन आफताब ने श्रद्धा की गला दबाकर हत्या कर दी। इसके बाद आफताब ने धारदार हथियार से श्रद्धा के शरीर के 35 टुकड़े कर दिए।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार आफताब ने पुलिस के सामने कबूल किया है कि उसने श्रद्धा के शव को टुकड़ों में काट दिया और बदबू नहीं आए इसलिए फ्रीज़ में स्टोर करने की तरकीब निकाली।
आफताब ने 300 लीटर वाला एक नया फ्रिज खरीदा था। पकड़ा न जाए इसलिए एक-एक टुकड़े को ठिकाने लगाने की योजना बनाई। वह हर रात 2 बजे बाहर टुकड़े लेकर बाहर निकलता था। सबूत नष्ट करने की उम्मीद में उसने उन टुकड़ों को आवारा जानवरों को भी खिलाया। ऐसा क़रीब 18 दिन तक चलता रहा। घर में बदबू नहीं आए इसके लिए वह ढेर सारे अगरबत्ती जलाता था। पुलिस ने बताया कि वह अमेरिकी वेब सीरीज 'डेक्सटर' देखकर हत्या की प्लानिंग की थी।
बहरहाल, आफताब के परिवार के पड़ोसियों ने कहा कि हाल ही में घर आने के दौरान वह बेहद सामान्य दिख रहा था। उन्होंने यह भी कहा कि वे श्रद्धा को जानते हैं जो कई बार उनके घर आ चुकी हैं। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, हाउसिंग सोसाइटी के अध्यक्ष रामदास केवट ने कहा, 'आफताब का परिवार इस सोसायटी में क़रीब 20 साल से रह रहा है। वह यहीं पला-बढ़ा है।' उन्होंने कहा, 'हम गहरे सदमे में हैं।'
आफताब के पिता मुंबई में काम करते हैं। पड़ोसियों का कहना है कि जब उन्होंने उससे पूछा कि वे घर क्यों छोड़ रहे हैं, तो उसके पिता ने कहा कि वे मुंबई जा रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार सोसायटी के सचिव अब्दुल्ला खान ने कहा, 'आफताब के छोटे भाई को हाल ही में मुंबई में नौकरी मिली है। जब मैंने उसके पिता से पूछा कि वे क्यों जा रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि चूंकि वह और उसका छोटा बेटा दोनों मुंबई में काम करते हैं, इसलिए शहर में शिफ्ट होना ठीक रहेगा।'