महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा यह पहेली अभी सुलझी नहीं है। लेकिन बुधवार को बीजेपी विधायक अपने दल का नेता चुनने जा रहे हैं। वहीं, मुख्यमंत्री पद को लेकर मातोश्री या यूं कह लें कि शिवसेना मुख्यालय की तरफ़ से जो जो संकेत आ रहे हैं, वह हैं - 'अभी नहीं तो कभी नहीं'। यानी शिवसेना इस अवसर को हर हाल में अपने पक्ष में करना चाहती है तथा आदित्य ठाकरे की ताजपोशी के हरसंभव प्रयास में जुटी है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के मंगलवार को दिये गये बयान कि - वह ही अगले पाँच साल तक मुख्यमंत्री रहेंगे, ने बीजेपी-शिवसेना के बीच चल रहे शीत युद्ध को एकदम से भड़का दिया था। मुख्यमंत्री के बयान कि 'लोकसभा चुनाव के गठबंधन के समय ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री पद या 50:50 के फ़ॉर्मूले जैसा कोई वायदा नहीं किया गया था' ने आग में घी का काम किया। शिवसेना ने मंगलवार शाम को दोनों पक्षों के दो-दो नेताओं के बीच होने वाली बैठक को इसी बयान के आधार पर रद्द कर दिया।
शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत की ओर से ‘और भी विकल्प हैं’ की बात कहे जाने पर बीजेपी नेताओं ने भी बयानबाज़ी शुरू कर दी है। सबसे पहले बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि शिवसेना किस बैठक की बात कह रही है, वह उसे ही पता होगा लेकिन इस प्रकार की कोई बैठक ही जब निर्धारित नहीं थी तो रद्द किसे किया गया।
वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने शिवसेना के ‘और भी विकल्प हैं’ वाले बयान को ‘विनाश काले विपरीत बुद्धि’ की उपमा दे दी। मामले को बिगड़ता देख मंगलवार देर शाम को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की तरफ़ से बयान आया। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव से पूर्व गठबंधन की बात करने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जब उद्धव ठाकरे के आवास मातोश्री पर गए थे तो वहां उनके सामने मुख्यमंत्री पद के बंटवारे को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई थी। बाद में ठाकरे और शाह ने अलग कमरे में मुलाक़ात की थी, यदि वहां इस प्रकार की कोई चर्चा हुई होगी तो उसकी जानकारी उन दोनों नेताओं को ही होगी।
बीजेपी की तरफ़ से दो केंद्रीय पर्यवेक्षक भी मंगलवार शाम को मुंबई पंहुच चुके हैं। इस उठापटक के चलते अमित शाह ने मुंबई दौरा रद्द कर दिया है और अब बताया जा रहा है कि पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा मध्यस्थता करने के लिए मुंबई आ सकते हैं क्योंकि शिवसेना, बीजेपी के महाराष्ट्र स्तर के पदाधिकारियों से बात करने के लिये भी तैयार नहीं है।
शिवसेना की तरफ़ से कहा जा रहा है कि वह वही बात कह रही है जो अमित शाह ने उससे कही थी। ऐसे में संदेश अब अमित शाह की तरफ़ से ही आना है। यह संदेश लेकर जेपी नड्डा आते हैं या और कोई नेता, इसका भी इंतजार है। वैसे, मंगलवार को दीपावली भोज के दौरान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पत्रकारों के माध्यम से सत्ता के समीकरण का जो संदेश शिवसेना को देने की कोशिश की थी उसने इस मामले को काफी भड़का दिया है।
बीजेपी के एक सांसद संजय काकडे ने भी बयान दे दिया कि शिवसेना के 45 विधायक उनके संपर्क में हैं और वे फडणवीस के नेतृत्व में सरकार बनाने के लिए नयी पार्टी बनाने के लिए तैयार हैं। इसके जवाब में संजय राउत ने मजाक उड़ाते हुए कहा था कि उनके पास बीजेपी के 75 विधायक हैं।
बीजेपी-शिवसेना के बीच चल रही यह जंग कौन सी करवट लेने वाली है, उसके लिए बुधवार का दिन बहुत महत्वपूर्ण साबित होने वाला है। दीपावली के बाद मंगलवार को भाऊ बीज (भैया दूज) का त्यौहार था, जिसे महाराष्ट्र में बहुत विशेष रूप से मनाया जाता है। एनसीपी के प्रमुख शरद पवार भी अपने गांव से त्यौहार मनाकर बुधवार को मुंबई लौटने वाले हैं।
बुधवार को एनसीपी के नव निर्वाचित विधायकों की बैठक भी विधानसभा भवन के हाल में रखी गयी है, जहां वे भी अपने विधायक दल का नेता चुनने वाले हैं। ऐसे में किसी नए विकल्प के गठन की सरगर्मियां भी बढ़ सकती हैं।
पृथ्वीराज चव्हाण का बयान अहम
कांग्रेस की तरफ़ से मंगलवार शाम को पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण का आया बयान भी काफ़ी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उन्होंने दोहराया कि यदि शिवसेना की तरफ़ से कोई प्रस्ताव आया तो उसे पार्टी हाई कमान को भेजकर उस पर चर्चा की जा सकती है। ऐसे में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बयान कि 'पिछले 30 वर्षों में उनकी पार्टी का सबसे बेहतर स्ट्राइक रेट है और उनके पास कोई प्लान B नहीं है, प्लान A ही है और उसी में वह सफल होंगे’, की अब अग्नि परीक्षा होने वाली है। क्या शिवसेना, फडणवीस के प्लान के अनुसार फिर से चलेगी या कोई नयी दिशा तय करेगी, सभी की निगाहें इस पर लगी हैं।