विधानसभा में पहली परीक्षा पास करने यानी बहुमत साबित करने के बाद उत्साह से लबरेज शिवसेना नेता संजय राउत ने रविवार को फिर से बीजेपी और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि देवेंद्र फडणवीस की सत्ता हथियाने की जल्दबाज़ी और उनकी 'बचकानी बयानबाज़ी' ने बीजेपी को महाराष्ट्र में ले डूबा व उन्हें विपक्ष में बैठने को मजबूर होना पड़ा। उन्होंने बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व पर भी हमला किया। उन्होंने बिना नाम लिए कहा कि दिल्ली में जिस तरह से 'भीड़-शासन' काम कर रहा है उसके सामने महाराष्ट्र नहीं झुका।
शनिवार को उद्धव ठाकरे द्वारा बहुमत साबित करने के अगले दिन यानी रविवार को राउत ने शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में लेख लिखकर बीजेपी पर तो निशाना साधा ही, महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर चली पूरी सियासत पर भी टिप्पणी की है। उन्होंने मोदी-शाह का नाम लेकर लिखा कि जो महत्वपूर्ण बात है वह यह कि उद्धव ठाकरे ने शक्तिशाली 'मोदी-शाह की पकड़' को हटाकर सत्ता पर क़ब्ज़ा जमाया है।
बता दें कि 24 अक्टूबर को चुनाव नतीजे आने के बाद से ही महाराष्ट्र में बहुमत का आँकड़ा जुटाने को लेकर लड़ाई चल रही थी। भले ही ख़बरों में नहीं रहे हों, लेकिन कई मीडिया रिपोर्टें आईं कि शाह पर्दे के पीछे से सरकार बीजेपी की सरकार बनवाने में लगे हैं। चुनाव प्रचार के दौरान भी अमित शाह और नरेंद्र मोदी ने अग्रणी भूमिका निभाई थी। वे दोनों स्टार प्रचारक तो थे ही। चुनाव बाद आख़िरी समय में जब देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजीत पवार को उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई थी तब भी बीजेपी बहुमत साबित नहीं कर पाई थी। कई दौर की बैठकों के बाद शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस में सरकार बनाने को लेकर सहमति बनी।
इसके साथ ही संजय राउत ने यह भी लिखा कि शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन सरकार पूरे पाँच साल रहेगी। उन्होंने लिखा है कि शिवसेना के उद्धव ठाकरे, एनसीपी प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी का साथ आना महाराष्ट्र ही नहीं, पूरे देश को भी स्वीकार्य है। बता दें कि काफ़ी लंबी बातचीत के बाद तीनों दलों में सहमति बनी है। शिवसेना की विचारधारा एनसीपी और कांग्रेस से काफ़ी अलग है, इसीलिए यह संदेह जताया जा रहा है कि वे आपस में कितने लंबे समय तक साथ रह पाएँगे।
राउत ने उन बयानों का भी ज़िक्र किया जिसमें अजीत पवार के बीजेपी के साथ हाथ मिलाने की बात कही गयी थी। उन्होंने कहा, 'मुझे यह देखकर हास्यास्पद लगा कि जिन लोगों ने फडणवीस के साथ अजीत पवार के गठजोड़ को शरद पवार की 'स्क्रिप्टेड' योजना क़रार दिया था, वे अब (महा विकास अघाडी) सरकार बनने के बाद राकांपा प्रमुख के सामने हार मान रहे हैं।'
बता दें कि एनसीपी के विधायक दल के नेता के तौर पर अजीत पवार ने बीजेपी का समर्थन किया था और देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजीत पवार को उप मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ दिलाई गई थी। बीजेपी को उम्मीद थी कि अजीत पवार अपने साथ एनसीपी के कुछ विधायकों को तोड़कर लाएँगे। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। हालाँकि पहले यह कहा गया था कि अजीत पवार के पास 22 विधायक हैं, लेकिन 24 घंटे के अंदर ही लगभग सभी विधायक एनसीपी में वापस चले गए थे। इस कारण फ़्लोर टेस्ट से पहले ही दोनों नेताओं को इस्तीफ़ा देना पड़ा था।
राउत ने यह भी लिखा कि विधानसभा चुनाव के पहले फडणवीस ने 'राज्य में कोई भी विपक्षी दल नहीं बचेगा' जैसा 'बचकाना बयान' दिया था...। उन्होंने कहा कि लेकिन फडणवीस ख़ुद विपक्षी नेता बन गए। उन्होंने टिप्पणी की, 'फडणवीस ने कहा था कि वह वापसी करेंगे, लेकिन सत्ता हथियारे की उनकी जल्दबाज़ी में बीजेपी 80 घंटे के अंदर ही डूब गई।'
शिवसेना जब बीजेपी के साथ गठबंधन में थी तो संजय राउत लगातार यह कहते रहे थे कि 50-50 के फ़ॉर्मूले के तहत राज्य में मुख्यमंत्री का पद ढाई-ढाई साल के लिए शिवसेना और बीजेपी, दोनों दलों के पास रहना था। उन्होंने कहा था कि बीजेपी ने तब इस पर सहमति जताई थी लेकिन अब वह इससे मुकर गई है। जबकि अमित शाह ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा था कि उनका शिवसेना के साथ इस तरह का कोई समझौता नहीं हुआ था। इसी बात को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच रिश्ते ख़राब हो गए और शिवसेना ने एनसीपी-कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया।