एनसीपी मुखिया पवार को मिला आयकर विभाग का नोटिस

10:20 am Jul 01, 2022 | सत्य ब्यूरो

एनसीपी के मुखिया शरद पवार को आयकर विभाग की ओर से नोटिस भेजा गया है। पवार ने गुरुवार को इस बात की जानकारी दी। उन्होंने इसे लव लेटर बताया।

पवार ने कहा कि उन्हें यह नोटिस 2004, 2009, 2014 और 2020 में उनके द्वारा दाखिल किए गए चुनावी हलफनामे में दी गई जानकारियों को लेकर भेजा गया है। पवार ने कहा कि इससे जुड़ी जानकारियां देने में उन्हें कोई परेशानी नहीं है।

बता दें कि शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत को भी ईडी ने पात्रा चॉल जमीन घोटाला मामले में समन किया है और उन्हें शुक्रवार को ही ईडी के सामने पेश होना है।

शरद पवार को यह नोटिस उस दिन मिला है जब शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है। शरद पवार ने ट्वीट कर कहा कि आयकर विभाग की कार्यकुशलता बढ़ी है और कुछ खास लोगों से जानकारी इकट्ठा करने पर ही आयकर विभाग का ध्यान केंद्रित करना एक रणनीतिक बदलाव लगता है। 

पवार और संजय राउत के खिलाफ लगभग एक ही समय में जांच एजेंसियों की कार्रवाई और उसी वक्त महाराष्ट्र में बीजेपी और एकनाथ शिंदे की मिली-जुली सरकार का बनना कुछ संदेह जरूर पैदा करता है।

महाराष्ट्र एनसीपी के प्रवक्ता महेश तापसे ने आयकर विभाग के नोटिस की टाइमिंग पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में सरकार बदलने के बाद पार्टी के मुखिया को पुराने चुनावी हलफनामे के लिए नोटिस मिलना क्या सिर्फ संयोग है या कुछ और।

शरद पवार को सितंबर, 2020 में भी उनके चुनावी हलफनामे के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए इसी तरह का नोटिस भेजा गया था। तब शरद पवार ने कहा था कि जांच एजेंसियों कुछ लोगों से प्यार करती हैं। शरद पवार के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उनके बेटे आदित्य ठाकरे और सांसद सुप्रिया सुले को भी आयकर विभाग की ओर से नोटिस भेजे गए थे।

मलिक, देशमुख जेल में 

नवंबर 2019 में महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी सरकार बनने के बाद से ही इसके कई नेताओं के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों ने नोटिस भेजे थे। वर्तमान में एनसीपी के दो नेता नवाब मलिक व अनिल देशमुख जेल में हैं और अब पार्टी के मुखिया शरद पवार को नोटिस भेजा गया है।

शरद पवार को महा विकास आघाडी सरकार का सियासी शिल्पकार माना गया था और वह ढाई साल तक चली सरकार के संकटमोचक थे। लेकिन शिवसेना में हुई बड़ी बगावत के बाद महा विकास आघाडी सरकार को जाना पड़ा।