शरद पवार को मिला जन समर्थन लेकिन अजित के इस्तीफ़े से मुसीबत

07:19 am Sep 28, 2019 | संजय राय - सत्य हिन्दी

को-ऑपरेटिव बैंक घोटाला मामले में जाँच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के केस दर्ज करने के बाद शरद पवार के सियासी दाँव ने जहाँ प्रदेश में उनके प्रति जन समर्थन तैयार करने का काम किया वहीं शुक्रवार शाम को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में भूकंप आ गया। हुआ यूं कि शरद पवार के भतीजे और पूर्व उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने विधायक पद से इस्तीफ़ा दे दिया। अजित भी को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले में अभियुक्त हैं। 

 

शुक्रवार को जब पार्टी के सभी प्रमुख नेता शरद पवार से मुंबई स्थित उनके आवास पर मिल रहे थे तो अजित  पवार इतने बड़े घटनाक्रम में कहीं नज़र नहीं आ रहे थे। शायद उसी समय अजित विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय जा रहे थे और वहाँ जाकर उन्होंने अपना इस्तीफ़ा दे दिया। इस्तीफ़ा देने के बाद शाम साढ़े छह बजे अजित पवार ने अपना मोबाइल भी बंद कर दिया और उनसे संपर्क पूरी तरह टूट गया है। 

अजित के इस्तीफ़े को लेकर अनेक कयास लगाए जा रहे हैं। कुछ लोग इसे पवार परिवार में कलह बता रहे हैं तो कुछ यह कह रहे हैं कि पार्टी मुख्यमंत्री पद के रूप में उन्हें प्रोजेक्ट नहीं कर रही थी, इसलिए वह नाराज थे। 

कुछ लोग इसे लोकसभा चुनाव में अजित पवार के बेटे पार्थ पवार की हार से भी जोड़ रहे हैं। बताया जा रहा है कि ईडी के नोटिस को लेकर शरद पवार की बेटी सांसद सुप्रिया सुले और अजित पवार में भी कुछ तकरार हुई है और शायद यह भी इस्तीफ़े का कारण हो सकता है।

शुक्रवार रात साढ़े आठ बजे शरद पवार ने पुणे में अपने आवास पर पत्रकार परिषद बुलाकर अजित पवार के इस्तीफ़े के बारे में ख़ुलासा किया। पवार ने कहा कि ईडी के प्रकरण की वजह से वह मुंबई में थे और गुरुवार रात को अजित पवार ने उन्हें फ़ोन करके पुणे में बादल फटने की घटना और उसके बाद बाढ़ और राहत कार्यों के बारे में बताया था।  पवार ने बताया कि शुक्रवार को जब वह पुणे आये तो पार्थ पवार ने उन्हें बताया कि अजित पवार ने राजनीति से संन्यास लेने की इच्छा जताई है। इसके पीछे अजित पवार ने प्रदेश की राजनीति के गिरते स्तर को कारण बताया। 

शरद पवार ने कहा कि अजित पवार को इस बात से बहुत दुख पहुंचा है कि बैंक घोटाले से उनका (शरद पवार) का नाम जोड़ा जा रहा है और ईडी ने केस भी दर्ज किया है। शरद पवार ने कहा कि अजित काफ़ी भावुक और स्पष्ट वक्ता हैं और अपनी प्रतिक्रिया सीधे शब्दों में देने के लिए जाने जाते हैं। पवार ने कहा कि उनकी अजित से मुलाक़ात नहीं हुई है और ना ही फ़ोन से संपर्क हो पाया है। 

एनसीपी प्रमुख ने कहा कि वह पवार परिवार के मुखिया हैं और अजित उनके आदेश का आजतक पालन करते रहे हैं और वह उम्मीद करते हैं कि इस बार भी अजित ऐसा ही करेंगे। इससे पहले शुक्रवार को सुबह से शाम तक महाराष्ट्र की राजनीति का तापमान चढ़ता रहा। 

शरद पवार के समर्थन में पार्टी कार्यकर्ता मुंबई और प्रदेश भर में प्रदर्शन करते रहे। जगह-जगह गिरफ्तारियां हुईं। हालात ज़्यादा नहीं बिगड़ जायें, इसलिए मुंबई पुलिस आयुक्त ने पवार से उनके घर जाकर भेंट की और उनसे ईडी कार्यालय नहीं जाने का अनुरोध किया।

पुलिस आयुक्त ने पवार से कहा कि शहर के हालात बिगड़ सकते हैं, इसलिए आप शान्ति बनाये रखने की अपील करें और ईडी के कार्यालय नहीं जाएँ। इस पर शरद पवार ने अपना निर्णय बदल दिया लेकिन एनसीपी के कार्यकर्ता दिन भर जिस जोश के साथ सड़कों पर उतरे उसने एनसीपी -कांग्रेस को महाराष्ट्र चुनाव के ऐन मौक़े पर संजीवनी दे दी। 

शरद पवार का यह दांव काफ़ी सटीक पड़ा और यह संदेश लोगों के बीच गया कि उन्होंने ईडी की चुनौती का आगे बढ़कर जवाब दिया। अब देखना यह है कि अब जब शरद पवार ने चुनौती दे दी है तो आने वाले दिनों में महाराष्ट्र के राजनीतिक माहौल पर इसका क्या असर होता है।