मना करने के बाद भी सावरकर पर टिप्पणी कर गए राहुल गांधी?

05:04 pm Nov 19, 2022 | सत्य ब्यूरो

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के द्वारा विनायक दामोदर सावरकर के बारे में की गई टिप्पणी को लेकर महाराष्ट्र के अंदर सियासी घमासान जोरों पर है। बीजेपी और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट ने तो राहुल गांधी पर हमला बोला ही है, महा विकास आघाडी में शामिल शिवसेना का उद्धव गुट भी राहुल गांधी के बयान से असहमति जता चुका है। 

उद्धव गुट के राज्यसभा सांसद संजय राउत तो यहां तक कह चुके हैं कि राहुल गांधी के बयान के बाद महा विकास आघाडी में दरार भी पड़ सकती है। 

द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं ने राहुल गांधी से स्पष्ट रूप से मना किया था कि वह यात्रा के दौरान सावरकर की दया याचिकाओं के मुद्दे को ना उठाएं। अखबार के मुताबिक, कांग्रेस के तीन वरिष्ठ नेताओं ने राहुल गांधी को यह सलाह दी थी और इसके पीछे एक बड़ी वजह यह थी कि ऐसी किसी टिप्पणी को लेकर उद्धव ठाकरे गुट की विपरीत प्रतिक्रिया सामने आएगी और ऐसा ही हुआ। 

महाराष्ट्र कांग्रेस के एक नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि महाराष्ट्र इकाई के नेता किसी भी तरह के विवाद से बचना चाहते थे और उन्होंने राहुल गांधी से कहा था कि अपना फोकस केवल बेरोजगारी, महंगाई और कृषि संकट से जुड़े मुद्दों पर ही रखें। 

एआईसीसी के एक नेता ने अखबार से कहा कि इस सलाह के बावजूद राहुल गांधी ने सावरकर के मुद्दे को उठा लिया और प्रेस कॉन्फ्रेंस में जिस तरह उन्होंने सावरकर की दया याचिका को दिखाया, उससे यह साफ होता है कि वह इस हमले के लिए पूरी तैयारी करके आए थे।

एफआईआर दर्ज 

बताना होगा कि राहुल गांधी की इस टिप्पणी के बाद उनके खिलाफ शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट यानी बालासाहेबची शिवसेना की नेता वंदना सुहास डोंगरे ने एफआईआर दर्ज कराई है। एफआईआर में कहा गया है कि राहुल गांधी ने जो बयान दिया है उससे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सावरकर का अपमान हुआ है और इससे स्थानीय लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। 

गिरफ्तार करने की मांग 

राहुल गांधी की टिप्पणी के बाद विनायक दामोदर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने राहुल गांधी के खिलाफ मुंबई के शिवाजी पार्क पुलिस थाने में शिकायत दी है और उन्हें गिरफ्तार किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने यह बयान अपने राजनीतिक फायदे के लिए दिया है। 

यात्रा से दूर रहे उद्धव 

भारत जोड़ो यात्रा ने जब महाराष्ट्र में प्रवेश किया था तो इसे महा विकास आघाडी में शामिल एनसीपी और शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट का भी समर्थन मिला था। एनसीपी के नेता जयंत पाटिल और सुप्रिया सुले के साथ ही उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में चले थे। खबरों के मुताबिक, उद्धव ठाकरे को भी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी के साथ एक सभा में शामिल होना था लेकिन सावरकर को लेकर की गई टिप्पणी की वजह से हुए विवाद के बाद उन्होंने इससे दूर रहना ही बेहतर समझा। 

जयराम रमेश की सफाई

राहुल गांधी की टिप्पणी के बाद हुए विवाद को कांग्रेस शांत करने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस के संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने कहा है कि राहुल गांधी आदिवासी आइकॉन बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर बात कर रहे थे और उन्होंने सावरकर का उल्लेख इस संदर्भ में किया कि किस तरह बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों के साथ समझौता नहीं किया जबकि सावरकर ने दया याचिका पर हस्ताक्षर किए थे। जयराम रमेश ने कहा कि यह बात सच है। जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस और शिवसेना के उद्धव गुट के बीच इस मुद्दे पर राय अलग-अलग है लेकिन इसका महा विकास आघाडी के गठबंधन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। जयराम रमेश ने इस मुद्दे पर संजय राउत के साथ भी बातचीत की है। 

संजय राउत ने कहा था कि राहुल गांधी को इस तरह का बयान देने की कोई जरूरत नहीं थी। उन्होंने कहा था कि भारत जोड़ो यात्रा को अन्य प्रदेशों के साथ ही महाराष्ट्र में भी अच्छा समर्थन मिल रहा है और ऐसे में सावरकर का मुद्दा लाने की कोई जरूरत नहीं थी।

राहुल गांधी ने पिछले कई मौकों की तरह इस बार भी जिस तरह सावरकर के मुद्दे को उठाया, उससे लगता है कि वह सावरकर को लेकर अपना आक्रामक रुख बनाए रखेंगे। लेकिन महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं के लिए इस मुद्दे पर ज्यादा कुछ बोल पाना आसान नहीं है। क्योंकि सावरकर को हिंदुत्व का आइकॉन माना जाता है और हिंदू राष्ट्रवाद के लिए उनके योगदान से अधिक उनका सम्मान कविताओं के संदर्भ में मराठी संस्कृति में उनके योगदान और मराठी भाषा को शुद्ध करने के उनके प्रयास के लिए किया जाता है। 

बीजेपी और शिवसेना दोनों ही सावरकर का सम्मान करते हैं जबकि कांग्रेस उन्हें माफ़ी वीर बताती है। 

बीएमसी चुनाव 

महाराष्ट्र में बहुत जल्द बृहन्मुंबई महानगरपालिका यानी बीएमसी के चुनाव होने हैं। जून में शिवसेना में हुई बगावत के बाद शिवसेना काफी कमजोर हो चुकी है और डेढ़ साल के भीतर राज्य में लोकसभा के और 2 साल के भीतर विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी गठबंधन के सामने चुनौतियां ज्यादा हैं और ऐसी स्थिति में राहुल गांधी के द्वारा सावरकर को लेकर की गई टिप्पणी को बीजेपी-एकनाथ शिंदे सरकार और हिंदुत्ववादी संगठन बीएमसी के चुनाव में भी मुद्दा बना सकते हैं और इससे महा विकास आघाडी को नुकसान हो सकता है।