मुसलिम महिलाओं का अपमान करते हैं पायल रोहतगी के ट्वीट्स: कोर्ट

06:37 pm Apr 06, 2021 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

मुंबई स्थित अंधेरी की एक अदालत ने जामिया मिल्लिया इसलामिया की छात्रा सफूरा ज़रगर के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक ट्वीट करने के मामले में फ़िल्म अभिनेत्री पायल रोहतगी के ख़िलाफ़ जांच करने का आदेश दिया है। 

अदालत ने पाया है कि पहली नज़र में पायल रोहतगी के ट्वीट मुसलिम महिलाओं और इस पूरे समुदाय का अपमान करते हैं। मेट्रोपोलिटिन मजिस्ट्रेट भगवत ज़िरापे ने अपने आदेश में कहा है, “हर शख़्स को अपने धर्म के प्रति आस्था रखने का अधिकार है और किसी को भी यह हक़ नहीं है कि वह किसी दूसरे समुदाय के रीति-रिवाजों या नियमों का मजाक बनाए।” 

पायल रोहतगी ने ये ट्वीट्स जून, 2020 में तब किए थे जब सफूरा ज़रगर दिल्ली दंगों के मामले में जेल में थी और उस वक़्त वह गर्भवती भी थी। सफ़ूरा जामिया से एम. फ़िल कर चुकी हैं। कुछ वक़्त बाद सफ़ूरा को मानवीय आधार पर जमानत दे दी गई थी। 

रोहतगी ने अपने ट्वीट्स में सफ़ूरा के धर्म को निशाना बनाया था। इस मामले में एडवोकेट अली काशिफ़ ख़ान देशमुख ने मुंबई की अंबोली पुलिस में एफ़आईआर दर्ज कराई थी। लेकिन पुलिस ने जब इस मामले का संज्ञान नहीं लिया था तो उन्होंने बीते साल दिसंबर में अंधेरी की अदालत का रुख़ किया था। 

सफ़ूरा ज़रगर।

एडवोकेट अली ने अपनी याचिका में कहा था कि रोहतगी के ट्वीट्स समाज में मुसलिम समुदाय के ख़िलाफ़ घृणा फैलाते हैं। उन्होंने आरोप लगाया था कि रोहतगी के ट्वीट्स मुसलिम महिलाओं को अपमानित करते हैं और इसके लिए रोहतगी के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया जाना चाहिए। 

30 मार्च को अदालत ने सीआरपीसी की धारा 202 के तहत आदेश दिया था कि पुलिस इस मामले में 30 अप्रैल, 2021 तक रिपोर्ट जमा करे। 

अदालत ने कहा कि रोहतगी के ट्वीट्स को लेकर तकनीकी जांच किए जाने की ज़रूरत है जिससे अभियुक्त के ख़िलाफ़ कार्रवाई आगे बढ़ाई जा सके और इस तरह की जांच पुलिस के द्वारा ही की जा सकती है। 

पायल रोहतगी के ख़िलाफ़ सामाजिक कार्यकर्ता लहर सेठी ने भी राष्ट्रीय महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी। सेठी ने दिल्ली की पटियाला कोर्ट में भी रोहतगी के इन ट्वीट्स को लेकर उसके ख़िलाफ़ आपराधिक मुक़दमा दर्ज कराया था। 

बीते साल सफ़ूरा ज़रगर के ख़िलाफ़ ट्विटर पर बेहद घृणित अभियान चला था और यह किसी भी महिला के सम्मान के पूरी तरह ख़िलाफ़ था।