9 दिसंबर तक वानखेड़े के परिवार के ख़िलाफ़ कोई बयान नहीं देंगे नवाब मलिक 

04:29 pm Nov 25, 2021 | सत्य ब्यूरो

महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक ने बॉम्बे हाई कोर्ट से कहा है कि वह 9 दिसंबर समीर वानखेड़े के पिता ज्ञानदेव वानखेड़े और उनके परिवार को लेकर न तो कोई ट्वीट करेंगे और न ही बयान देंगे। जस्टिस एस जे कथावाला और एम एन जाधव की डिवीजन बेंच से नवाब मलिक ने यह बात गुरूवार को कही। बेंच ज्ञानदेव वानखेड़े की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। 

पिछली सुनवाई में अदालत ने नवाब मलिक को आगाह किया था कि वे किसी सामग्री को सार्वजनिक करने के पहले उसकी अच्छी तरह से पड़ताल कर लें और उसे सत्यापित भी कर लें। 

मलिक आर्यन ख़ान क्रूज़ ड्रग्स मामले में एनसीबी के अफ़सर समीर वानखेड़े के ख़िलाफ़ लगातार हमला बोल रहे हैं। समीर वानखेड़े के पिता ने नवाब मलिक पर मानहानि का मुक़दमा किया है और कहा है कि मलिक ने उनके और उनके परिवार के ख़िलाफ़ झूठे आरोप लगाए हैं। 

मलिक का हमला जारी 

उधर, गुरूवार को नवाब मलिक ने वानखेड़े पर एक और फर्जीवाड़े का आरोप लगाया है। उन्होंने समीर वानखेड़े की मां जाहिदा का मृत्यु प्रमाण पत्र शेयर किया है। नवाब मलिक ने इसके ज़रिए दावा किया है कि वैसे तो वानखेड़े ने अपनी मां जाहिदा को ओशिवारा के कब्रिस्तान में दफनाया था लेकिन जब मृत्यु प्रमाण पत्र बीएमसी से हासिल किया तो उसमें हिंदू दिखाया गया। 

मलिक का कहना है कि जाहिदा की मौत 16 अप्रैल 2015 को हुई थी। पहला सर्टिफिकेट 16 अप्रैल 2015 को बनाया गया जिसे मुंबई के ओशिवारा कब्रिस्तान से जारी किया गया था जिसमें जाहिदा का धर्म मुसलिम बताया गया था। जबकि दूसरा सर्टिफिकेट 17 अप्रैल 2015 को बनवाया गया जिसमें जाहिदा का धर्म हिंदू बताया गया। 

मलिक ने कुछ दिन पहले वानखेड़े का स्कूल में दाख़िला लेने और इसे छोड़ने का सर्टिफ़िकेट जारी किया था। सर्टिफ़िकेट में वानखेड़े के धर्म के आगे मुसलिम लिखा गया है। इससे पहले वानखेड़े के जन्म प्रमाण पत्र को लेकर भी खासा विवाद हुआ था। 

मलिक लगातार इस बात का दावा कर रहे हैं कि समीर वानखेड़े मुसलिम हैं। मलिक का कहना है कि मुसलिम होने के बावजूद वानखेड़े ने फर्जीवाड़ा कर दलित कोटे से सरकारी नौकरी हासिल की। हालांकि समीर वानखेड़े और उनके परिवार ने मलिक के दावों और आरोपों को पूरी तरह ग़लत बताया है। 

जारी किया था निकाहनामा 

नवाब मलिक ने कुछ दिन पहले एक निकाहनामा ट्वीट किया था और कहा था कि यह समीर दाऊद वानखेड़े और शबाना क़ुरैशी का निकाहनामा है और यह एनसीबी अफ़सर की पहली शादी थी। 

काज़ी का दावा 

इसके बाद काज़ी मुजम्मिल अहमद सामने आए थे। उन्होंने ‘आज तक’ के साथ बातचीत में कहा था कि यह निकाहनामा पूरी तरह सही है और निकाह के वक़्त समीर वानखेड़े, शबाना, समीर के माता-पिता और पूरा खानदान मुसलमान था। उन्होंने कहा था कि लोखंडवाला में 2006 में यह शादी बहुत धूमधाम से हुई थी। 

शबाना क़ुरैशी के पिता डॉ. ज़ाहिद क़ुरैशी ने भी कहा था कि समीर का पूरा परिवार इसलामिक नियमों को मानता था और शादी इसलामिक रीति-रिवाज़ से सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में हुई थी।