लखीमपुर खीरी की घटना के विरोध में महाराष्ट्र विकास अघाडी सरकार में शामिल तीनों दलों की ओर से बुलाए गए महाराष्ट्र बंद का खासा असर दिखा है। इस दौरान महाराष्ट्र में लगभग सभी जगहों पर दुकानें पूरी तरह बंद हैं।
लखीमपुर की घटना में 8 लोगों की मौत हुई थी, इनमें 4 किसान भी शामिल हैं। इस घटना के बाद से ही केंद्र की मोदी सरकार, बीजेपी और योगी सरकार सवालों के घेरे में हैं। सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले में योगी सरकार को लताड़ लगा चुका है।
महा विकास अघाडी सरकार में शामिल शिव सेना, एनसीपी और कांग्रेस के कार्यकर्ता बंद के दौरान सड़कों पर उतरे हैं। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मुंबई में स्थित राजभवन के बाहर प्रदर्शन किया। शिव सैनिकों ने टायर जलाए और विक्रोली में ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे को जाम कर दिया। ठाणे में बंद के दौरान चल रहे ऑटो, कैब को भी निशाना बनाया गया है। आम लोगों का कहना है कि ऑटो ड्राइवर बढ़ा हुआ किराया ले रहे हैं।
बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि राज्य सरकार पुलिस, जीएसटी अफ़सरों के जरिये जबरन दुकानों को बंद करा रही है।
बंद के दौरान परिवहन, ज़रूरी तथा ग़ैर ज़रूरी वस्तुओं की सेवाएं प्रभावित हुई हैं। बसें नहीं चल रही हैं। सब्जी, फलों की रेहड़ियां भी नहीं लगी हैं।
गर्म है सियासी माहौल
लखीमपुर की घटना के बाद से ही उत्तर प्रदेश सहित देश के कई राज्यों का सियासी माहौल बेहद गर्म है। कांग्रेस, एसपी, आम आदमी पार्टी सहित कई दलों के नेता लखीमपुर जाकर पीड़ित परिवारों से मिल चुके हैं और किसानों को रौंद डालने की घटना के अभियुक्तों को सजा दिलाने की मांग को लेकर मुखर हैं।
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, लखीमपुर खीरी की घटना में किसानों को रौंदे जाने के जो वीडियो सामने आए हैं, उन्हें लेकर विपक्ष और आम लोग सरकार से लगातार सवाल पूछ रहे हैं।
लगातार बढ़ रहे किसान आंदोलन की वजह से निश्चित रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा प्रदेश के अन्य इलाक़ों में भी बीजेपी को सियासी नुक़सान हो सकता है। क्योंकि लखीमपुर खीरी की घटना के बाद किसान पूरी ताक़त के साथ एकजुट हुए हैं।
देश भर में ले जाएंगे राख
उधर, किसान आंदोलन की क़यादत कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने मांग की है कि अजय मिश्रा टेनी को मोदी कैबिनेट से हटाया जाए। अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर 18 अक्टूबर को सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक रेल रोको आंदोलन किया जाएगा। इसके बाद 26 अक्टूबर को लखनऊ में मुज़फ्फरनगर की महापंचायत की तर्ज पर रैली की जाएगी।
लखीमपुर में इकट्ठे हों
किसान नेताओं ने आह्वान किया है कि सभी आंदोलनकारी किसान 12 अक्टूबर को लखीमपुर के तिकुनिया में इकट्ठे हों। उस दिन लखीमपुर की घटना में मारे गए किसानों की अंतिम अरदास है। इसके बाद किसानों के शरीर की राख को उत्तर प्रदेश के सभी जिलों, पंजाब के गुरुद्वारों और देश के सभी राज्यों में ले जाया जाएगा।
मोर्चा का कहना है कि इसके जरिये यह संदेश दिया जाएगा कि बीजेपी सरकार किसानों को आतंकित कर रही है।