रिपब्लिक टीवी चैनल के प्रमुख संपादक अर्णब गोस्वामी को पिछले साल आए टीआरपी स्कैम के मामले में अब आरोपी बनाया गया है। इस मामले में क़रीब 9 महीने पहले ही एफ़आईआर दर्ज की जा चुकी है, लेकिन तब अर्णब का एफ़आईआर में नाम नहीं आया था। हालाँकि उनके चैनल का और उनका नाम जुड़ ज़रूर रहा था। अब पुलिस ने इस मामले में सप्लीमेंट्री चार्जशीट यानी पूरक आरोप पत्र दाखिल किया है।
पुलिस के इस पूरक आरोप पत्र में अर्णब के साथ ही एआरजी आउटलायर मीडिया के चार अन्य लोगों का भी नाम है। एआरजी आउटलायर मीडिया का ही रिपब्लिक टीवी चैनल है। अन्य आरोपियों में सीओओ प्रिया मुखर्जी, शिवेंदु मुलेकर और शिव सुंदरम शामिल हैं। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट में दाखिल पूरक आरोप पत्र 1800 पन्नों का है। इसमें धोखाधड़ी, जालसाजी, आपराधिक साज़िश आदि से जुड़े आरोप लगाए गए हैं।
इस मामले में अब तक 15 लोगों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दाखिल कर दी गई है। इसमें ब्रॉडकास्ट ऑडिएंस रिसर्च काउंसिल यानी बार्क के पूर्व सीईओ पार्थ दासगुप्ता और रिपब्लिक टीवी के सीईओ विकास खंचानदानी का भी नाम है। पार्थो दासगुप्ता वही हैं जिनका नाम इससे पहले जनवरी में दायर की गई एक दूसरे पूरक आरोप पत्र में आया था।
बार्क के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता ने कथित तौर पर टीआरपी रेटिंग में गड़बड़ी कर अर्णब गोस्वामी की सहायता की थी। उस पहले के पूरक आरोप पत्र में उनके बयान से अर्णब की मुश्किलें बढ़ने की आशंका जताई गई थी।
पार्थो दासगुप्ता ने पुलिस को लिखित में बयान दिया था। बयान में उन्होंने अर्णब से घूस लेने की बात स्वीकारी थी। रिपोर्टों के अनुसार उन्होंने टीआरपी में गड़बड़ी करने के लिए तीन साल में 40 लाख रुपये और दो बार होलीडे के लिए 12 हज़ार यूएस डॉलर यानी क़रीब साढ़े आठ लाख रुपये लेने की बात मानी थी। हालाँकि वह लिखित बयान तब का था जब 11 जनवरी को मुंबई पुलिस ने सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की थी।
वह सप्लीमेंट्री चार्जशीट यानी पूरक आरोप पत्र वही थी जिसमें वाट्सऐप चैट लीक हुई थी और देश भर में इस पर हंगामा मचा था। वह वाट्सऐप चैट कथित तौर पर पार्थो दासगुप्ता और अर्णब गोस्वामी के बीच की थी।
उस चैट में दोनों के बीच नज़दीकी संबंध, एक-दूसरे के लिए फायदे और ग़लत तरीक़े से फ़ैसलों को प्रभावित करने की बात उजागर हुई थी।
इस बीच मार्च महीने में अर्णब गोस्वामी ने कोर्ट से अपनी गिरफ़्तारी से सुरक्षा मांगी थी और आरोप लगाया था कि उनके ख़िलाफ़ साज़िश रची जा रही है। उन्होंने तब के मुंबई पुलिस प्रमुख परमबीर सिंह के ख़िलाफ़ भी कई आरोप लगाए थे। उन्होंने कोर्ट में याचिका दायर की थी कि 6 अक्टूबर 2020 को दर्ज की गई एफ़आईआर और उसके बाद दायर किए गए दो आरोप पत्र को रद्द किया जाए। तब अर्णब और एआरजी आउटलायर मीडिया ने दावा किया था कि एफ़आईआर में नाम नहीं होने के बावजूद उनके नाम को घसीटा जा रहा है और उनका कथित तौर पर उत्पीड़न किया जा रहा है।
लेकिन अब नये पूरक आरोप पत्र के बाद एफ़आईआर में अर्णब का भी नाम शामिल कर लिया गया है।
बता दें कि टीआरपी में गड़बड़ी का यह मामला 8 अक्टूबर को तब सामने आया जब मुंबई पुलिस ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस की थी। 6 अक्टूबर को केस दर्ज किया गया था। मुंबई पुलिस का दावा है कि कुछ टीवी चैनल पैसे देकर अपनी टीआरपी बढ़ाया करते थे। इस मामले में रिपब्लिक टीवी पर भी गंभीर आरोप लगे हैं।