मराठा आरक्षण मुद्दे पर हिंसा बढ़ गई है। सोमवार को बीड जिले में एनसीपी विधायक प्रकाश सोलंके के घर में तोड़फोड़ की गई और आग लगा दी गई। प्रदर्शनकारी कथित तौर पर आरक्षण के समर्थक कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटिल की भूख हड़ताल पर एनसीपी (अजित) के नेता की टिप्पणी से नाराज थे। प्रदर्शनकारियों ने पथराव भी किया और सोलंके के घर के बाहर खड़े एक वाहन को भी क्षतिग्रस्त कर दिया।
हाल के दिनों में मराठा आरक्षण को लेकर छात्रों द्वारा खुदकुशी किए जाने के बाद से इस मामले ने तूल पकड़ा है। इसी बीच फिर से तेज हुए मराठा आंदोलन ने फिर से राज्य की कानून व्यवस्था के लिए दिक्कत खड़ी कर दी है।
सोशल मीडिया पर साझा किए गए वीडियो में देखा जा सकता है कि सफेद घर पूरी तरह से आग की लपटों में घिरा हुआ है। मराठा आरक्षण के लिए प्रदर्शन कर रहे लोग तब उग्र हो गए जब कथित तौर पर एनसीपी नेता का बयान आया था। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार एनसीपी विधायक सोलंके ने कहा, 'जब हमला हुआ तब मैं अपने घर के अंदर था। सौभाग्य से, मेरे परिवार या कर्मचारियों में से कोई भी घायल नहीं हुआ। हम सभी सुरक्षित हैं लेकिन संपत्ति का भारी नुकसान हुआ है।
इस आगजनी की घटना पर एनसीपी की नेता सुप्रिया सुले ने कहा, 'यह महाराष्ट्र के गृहमंत्री और सरकार की पूरी विफलता है। यह ट्रिपल इंजन सरकार की विफलता है। आज एक विधायक के घर में आग लगा दी गई, गृह मंत्रालय और गृह मंत्री क्या कर रहे हैं? यह उनकी जिम्मेदारी है।'
शिवसेना (यूबीटी) नेता अनिल देसाई ने कहा, 'ये छिटपुट घटनाएँ हो रही हैं। समाज में अशांति है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित मानदंडों और संविधान के अनुसार गैर-चुनौतीपूर्ण आरक्षण दिया जाना चाहिए।'
नेताओं पर बन रहे दबाव के बीच एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना से जुड़े हिंगोली से सांसद हेमंत पाटिल ने इस्तीफा देने का फैसला किया है। पाटिल ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र लिखकर कहा है कि उन्होंने लोकसभा के सदस्य के रूप में इस्तीफा दे दिया है।
मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को आगे बढ़ाने के लिए कुछ कार्यकर्ता पाटिल से मिलने पहुंचे और सांसद के इस्तीफे की मांग की। इसके बाद हेमंत पाटिल ने तुरंत कार्यकर्ताओं के सामने लोकसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा लिखा।
हेमंत पाटिल एक अनुभवी शिवसेना कार्यकर्ता हैं और उनका कार्यक्षेत्र नांदेड़ में है जहां उन्होंने नगरपालिका पार्षद, स्थायी समिति के अध्यक्ष और शिवसेना जिला प्रमुख के रूप में काम किया है। शुरुआत में हेमंत पाटिल राज ठाकरे के साथ जुड़े हुए थे, लेकिन बाद में उन्होंने उद्धव ठाकरे के साथ तालमेल बिठाया। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना में विभाजन के बाद पाटिल शिंदे गुट में शामिल हो गए थे।