आखिरकार, गुवाहाटी प्रकरण में भाजपा की धोती खुल ही गई। शिवसेना विधायकों की बगावत उनका अंदरूनी मामला है, ऐसा ये लोग दिनदहाड़े कह रहे थे। परंतु कहा जा रहा है कि वडोदरा में श्रीमंत देवेंद्र फडणवीस और अति श्रीमंत एकदास शिंदे की अंधेरे में गुप्त मीटिंग हुई। उस मुलाकात में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह शामिल थे।
उसके बाद तुरंत ही 15 बागी विधायकों को केंद्र सरकार द्वारा ‘वाई प्लस’ श्रेणी की विशेष सुरक्षा प्रदान करने का आदेश जारी किया गया। ये 15 विधायक मतलब मानो लोकतंत्र, आजादी के रखवाले हैं। इसलिए उनके बालों को भी नुकसान नहीं पहुंचने देंगे, ऐसा केंद्र को लगता है क्या?
असल में ये लोग 50-50 करोड़ रुपये में बेचे गए बैल अथवा ‘बिग बुल’ हैं। यह लोकतंत्र को लगा कलंक ही है। उस कलंक को सुरक्षित रखने के लिए ये क्या उठापटक है?
इन विधायकों को मुंबई-महाराष्ट्र में आने में डर लग रहा है या ये कैदी विधायक मुंबई में उतरते ही फिर से ‘कूदकर’ अपने घर भाग जाएंगे, ऐसी चिंता होने के कारण उन्हें सरकारी ‘केंद्रीय’ सुरक्षा तंत्र द्वारा बंदी बनाया गया है?
यही सवाल है। लेकिन इतना तय है कि महाराष्ट्र के सियासी लोकनाट्य में केंद्र की डफली, तंबूरे वाले कूद पड़े हैं और राज्य के ‘नचनिये’ विधायक उनकी ताल पर नाच रहे हैं। ये तमाम ‘नचनिये’ लोग वहां गुवाहाटी के एक पांच सितारा होटल में अपने महाराष्ट्र द्रोह का प्रदर्शन पूरे देश और दुनिया को करा रहे हैं। अब इस ‘पारंपरिक’ ड्रामे के सूत्रधार और निर्देशक निश्चित तौर पर कौन हैं, इसका खुलासा हो ही गया है।
केंद्र और महाराष्ट्र की भाजपा ने ही इन नचनियों को उकसाया है। उनकी नौटंकी का मंच उन्होंने ही बनाया व सजाया है और कथा-पटकथा भी भाजपा ने ही लिखी है यह अब छुपा नहीं रह गया है। ‘मी नाय त्यातली…’ उक्त मराठी कहावत की तर्ज पर अपने पसंदीदा तरीके से इन लोगों से हमारा कोई संबंध नहीं है, ऐसा दिखाने का प्रयास वे कर रहे हैं, परंतु अब इसका भी भंडाफोड़ हो गया है।
गुवाहाटी में करीब 15 महाराष्ट्र द्रोही विधायकों को ‘वाई प्लस’ सुरक्षा देने का निर्णय केंद्र सरकार ने लिया है। क्या तो कहा जा रहा है कि गुवाहाटी के कुछ गद्दारों के महाराष्ट्र स्थित कार्यालयों में तोड़-फोड़ हुई है। इसलिए इन विधायकों की सुरक्षा आदि की गहन समस्या निर्माण हो गई है। उनकी जान खतरे में पड़ सकती है इसलिए केंद्र सरकार ने उनमें से 15 लोगों को ‘वाई प्लस’ सुरक्षा देने का निर्णय लिया है। यह राज्य सरकार के अधिकारों में सीधे-सीधे हस्तक्षेप है। अर्थात केंद्र के विद्यमान शासकों की तानाशाही का यह कोई पहला नमूना नहीं है।
महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि पश्चिम बंगाल, झारखंड, पंजाब, दिल्ली आदि गैर भाजपा शासित राज्यों में केंद्र की भाजपा सरकार इस तरह के हस्तक्षेप हमेशा ही करती रही है। जिन राज्यों में भाजपा की सरकार नहीं है, उनके संवैधानिक अधिकारों में अलग-अलग तरह से हस्तक्षेप करना, उनकी संविधान प्रदत्त स्वतंत्रता का गला घोंटना, ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं।
महाराष्ट्र जैसा छत्रपति शिवराय की विरासत को आगे बढ़ानेवाला स्वाभिमानी राज्य भी केंद्र की इस मुगलाई से बचा नहीं है। अभी भी महाराष्ट्र से बेईमानी करनेवाले 15 गद्दार विधायकों को सीधे ‘वाई प्लस’ सुरक्षा देने का केंद्र का निर्णय इसी अंधेरगर्दी का हिस्सा है। मूलत: इन सभी लोगों ने पार्टी से, राज्य से, उन्हें चुननेवाले मतदाताओं से धोखा किया है। फिर भी राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार ने उन्हें दी गई सुरक्षा वापस नहीं ली है।
ये गद्दार बेईमान हो गए होंगे, फिर भी राज्य सरकार ने अपना धर्म नहीं छोड़ा है। ‘हमारी और हमारे परिवार की सुरक्षा राज्य सरकार ने छीन लीऽऽऽ’ ऐसा ‘हवाबाण’ दो दिन पहले हवा में छोड़ा गया था, यह सही है लेकिन राज्य के गृहमंत्री ने ही उसकी हवा निकालते हुए बाण को मोड़कर तोड़ दिया था। राज्य सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था हटाई नहीं है, ऐसा उन्होंने स्पष्ट किया था। असल में राज्य सरकार ने ऐसा कोई निर्णय यदि लिया भी होता तो उसे बदले की भावना से की गई कार्रवाई नहीं कहा जा सकता था। परंतु राज्य सरकार ने अपनी नैतिकता और ईमानदारी नहीं त्यागी। दुष्टता नहीं की।
ऐसा होने के बाद भी अब केंद्र सरकार ने गुवाहाटी के 15 गद्दारों को ‘वाई प्लस’ सुरक्षा प्रदान करने की खुराफात की है। केंद्र की भाजपा सरकार का यह महाराष्ट्र द्वेष नया नहीं है। इससे पहले भी मुंबई और महाराष्ट्र से खुला द्रोह करनेवालों को केंद्र सरकार ने ‘वाई’ से ‘जेड’ तक सुरक्षा दी ही है।
महाराष्ट्र पर कीचड़ फेंकनेवाली बेसिर-पैर का आरोप लगानेवाली अभिनेत्री कंगना रनौत, महाविकास आघाड़ी के नेताओं पर झूठे आरोप लगाकर कीचड़ उछालने का ठेका लेनेवाले ‘महात्मा’ किरीट सोमैया, पवार परिवार के खिलाफ बेसिर-पैर के आरोप लगानेवाले सदाभाऊ खोत आदि सहित कई लोगों को केंद्र सरकार ने अब तक होलसेल में ‘वाई’ श्रेणी की सुरक्षा दी है।
राजनीतिक विरोधियों के विरोध में झूठे आरोप लगानेवाले, धमकी देनेवाले भाजपा समर्थित लोगों को ‘वाई’ से ‘जेड’ तक सुरक्षा देने का सत्र ही केंद्र की भाजपा सरकार ने चलाया है। देशभर में ऐसे ‘वाई’ वालों की फौज ही उन्हें खड़ी करनी है क्या?
उनकी इसी फौज में अब गुवाहाटी में रह रहे 15 गद्दार ‘नचनिए’ भी बढ़ गए हैं। उन्हें भी केंद्र ने ‘वाई प्लस’ सुरक्षा देने की घोषणा की है। मोदी सरकार का निर्णय केंद्रीय सुरक्षा की ‘वाई जेड’ करनेवाला है ही, इसके अलावा गुवाहाटी में चल रहे महाराष्ट्र द्रोह की नौटंकी भाजपा के प्रशिक्षण में ही चल रहा है, इसका प्रमाण भी है। भाजपा के महाराष्ट्र द्रोह की पोल इससे पूरी तरह खुल गई है। कम-से-कम अब तो महाराष्ट्र द्रोह से हमारा कोई संबंध नहीं है, ऐसा दिखावा न करें।
महाराष्ट्र द्रोहियों को बेवजह ‘वाई प्लस’ सुरक्षा देने का केंद्र का निर्णय भी द्रोह ही है। इसकी कीमत भविष्य में उन्हें चुकानी ही होगी।
शिवसेना के मुखपत्र सामना से साभार।