महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। बागी विधायक संजय शिरसाट ने उद्धव ठाकरे को एक चिट्ठी लिखी है जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा बुधवार को दिए गए भावुक भाषण को लेकर उन पर निशाना साधा है।
चिट्ठी में शिरसाट ने कहा है कि आपने भले ही वर्षा बंगला छोड़ दिया हो और जनता के लिए दरवाजे खोल दिए हैं लेकिन अगर आपने ढाई साल पहले हमारे लिए दरवाजे खोल दिए होते तो फिर यह नौबत नहीं आती।
चिट्ठी में शिरसाट ने लिखा है कि खुद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अपने विधायकों पर भरोसा नहीं है। एकनाथ शिंदे ने इस चिट्ठी को जारी करते हुए कहा है कि यह सभी शिवसैनिकों की भावना है।
शिरसाट ने चिट्ठी में लिखा है कि उन्हें वर्षा के बंगले पर भीड़ देखकर खुशी हुई लेकिन अगर यही दरवाजे ढाई साल पहले शिवसेना के विधायकों के लिए खोल दिए जाते तो आज मुख्यमंत्री को वर्षा बंगला छोड़ने की जरूरत नहीं पड़ती।
चिट्ठी में आगे लिखा गया है कि आपके आसपास जो लोग हैं, वे हर समय आपके कान भरते रहते हैं और अपने आप को चाणक्य समझते हैं। वे लोग राज्यसभा और विधान परिषद के चुनाव परिणामों का अवलोकन करें कि इन चुनावों में क्या हुआ।
मिलने का समय नहीं दिया
शिरसाट ने चिट्ठी में कहा है कि जब से उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और वर्षा के बंगले में रहने के लिए गए तब से हमको बंगले के अंदर जाने की इजाजत ही नहीं मिली। आप दूसरी पार्टियों के नेताओं से मिलते रहे लेकिन हमसे मिलने के लिए आपने कोई समय नहीं दिया और ना ही आप कभी मंत्रालय गए।
हमारे निर्वाचन क्षेत्र के कामों और आने वाली अड़चनों को लेकर हमने आपसे कई बार मिलने की कोशिश की। वर्षा बंगले के बाहर हमको घंटों तक इंतजार कराया गया लेकिन आप से मुलाकात नहीं हो सकी।
शिंदे ने खोले दरवाजे
शिरसाट ने चिट्ठी में आगे लिखा कि तीन से चार लाख मतदाताओं वाली विधानसभा से जीत कर आने वाले विधायक का अपमान आपने क्यों किया। यह सिर्फ मेरा ही हाल नहीं है यह हाल उन सभी विधायकों का है जो इस वक्त आप से खफा होकर एकनाथ शिंदे के साथ हैं। जब आपसे मुलाकात नहीं होती थी तो एकनाथ शिंदे जी के दरवाजे हमेशा हमारे लिए खुले होते थे।
चिट्ठी में लिखा गया है कि जब कांग्रेस और एनसीपी के नेता हमारा अपमान करते थे तो एकनाथ शिंदे उसका सही रास्ता निकाल कर हमें न्याय दिलाने का काम किया करते थे।
अयोध्या जाने से रोकने का आरोप
शिरसाट ने चिट्ठी में लिखा कि शिवसेना के प्रमुख मुद्दे हिंदुत्व, अयोध्या और राम मंदिर माने जाते थे लेकिन जब आदित्य ठाकरे अयोध्या जाने की तैयारी में थे तो आपने खुद कई विधायकों को फोन करके अयोध्या नहीं जाने की सलाह दी थी। मुंबई एयरपोर्ट पर आपने कई विधायकों को उस समय वापस बुला लिया था जब उन्होंने अपना सामान हवाई जहाज में चेकइन कर दिया था।
आपने एकनाथ शिंदे जी को फोन करके हमें अयोध्या नहीं जाने को कहा था। आपने यह सब इसलिए किया था कि राज्यसभा चुनाव में एक भी विधायक नहीं टूटे। हमको आपने रामलला के दर्शन करने से रोक दिया।
बाग़ी विधायक ने चिट्ठी में लिखा है कि उद्धव ठाकरे कांग्रेस और एनसीपी के विधायकों से वर्षा बंगले पर मिला करते थे और हमसे मिलने के लिए उनके पास समय नहीं होता था जिसकी वजह से हमारे निर्वाचन क्षेत्र के काम रुक गए। हमको विधायक निधि भी नहीं मिली। जब आप हमसे मिलते ही नहीं थे तो हम उस स्थिति में अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को क्या जवाब देते।
तब उस कठिन समय में बाला साहेब ठाकरे और धर्मवीर आनंद दिघे साहब के हिंदुत्व को जपने वाले एकनाथ शिंदे ने हमारा साथ दिया। हमारे कठिन समय में उन्होंने अपने दरवाजे खोल दिए इसलिए आज हम पूरे विश्वास के साथ एकनाथ शिंदे के साथ खड़े हुए हैं।
विधायक ने लिखा है कि मुख्यमंत्री का भाषण काफी भावनात्मक था, पर हमें अपने सवालों का उत्तर अभी तक नहीं मिला है। इसलिए हमने अपनी भावना रखने के लिए आपको यह चिट्ठी लिखी है। अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की तरफ से इस चिट्ठी का क्या जवाब दिया जाता है।