महाराष्ट्र में एनसीपी को टूटे हुए आज तीसरा दिन है। डिप्टी सीएम अजित पवार ने समानान्तर एनसीपी खड़ी कर ली है। लेकिन इस बीच उनके साथ आए दो विधायक और एक सांसद वापस शरद पवार के पास लौट चुके हैं। दूसरी तरफ अजित पवार ने जिन 40 एनसीपी विधायकों के उनके खेमे में आने का दावा किया था, वो अभी कागजों तक सीमित है। एनसीपी के बाकी विधायकों को लेकर स्थिति अभी भी साफ नहीं है। अजित पवार ने अभी तक बागी विधायकों की कोई परेड मीडिया के सामने नहीं कराई है।
अजित पवार ने जब रविवार को एनसीपी तोड़ने का धमाका किया तो उससे पहले तीन दर्जन विधायकों से उन्होंने संपर्क किया। रविवार को जब उन्होंने अपने आवास पर एनसीपी के सभी विधायकों की बैठक बुलाई तो सारे उस बैठक में पहुंचे भी। लेकिन जब अजित पवार का काफिला राजभवन जाने के लिए निकला तो एनसीपी विधायक एक-एक कर बिछड़ते गए यानी अजित पवार के काफिले से निकलते गए। अंत में अजित पवार सहित कुल 11 विधायक बचे। जिनमें से पवार सहित 9 ने शपथ ले ली लेकिन सतारा के विधायक मकरंद पाटिल, उत्तरी कराड विधायक बाला साहिब पाटिल रविवार शाम को शरद पवार खेमे में लौट आए। उसके बाद कल सोमवार को जब शरद पवार सतारा जिले में पार्टी कार्यकर्ताओं और कराड में जनसभा करने पहुंचे तो दोनों विधायक शरद पवार के साथ-साथ थे।
इतना ही नहीं राजभवन में सिरूर से एनसीपी सांसद अमोल कोल्हे भी मौजूद थे। लेकिन कोल्हे को जल्द समझ आ गया कि जब सारे विधायक राजभवन ही नहीं पहुंचे तो आगे अजित पवार को समर्थन मिलना मुश्किल है। माहौल देखकर अमोल कोल्हे ने सोमवार को ही शरद पवार खेमे में लौटने की घोषणा कर दी।
बहरहाल, किसी को नहीं पता कि एनसीपी के कितने विधायक पार्टी छोड़कर चले गए हैं क्योंकि न तो शरद पवार और न ही अजित पवार ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बारे में कुछ बताया। हालांकि रविवार को राज्यपाल रमेश बैस को उनके द्वारा दिए गए पत्र के अनुसार, अजित पवार ने दावा किया था कि उनके पास 40 विधायकों और छह एमएलसी का समर्थन है। उसके बाद मीडिया ने अजित पवार से बाकी विधायकों के नाम और राज्यपाल को सौंपे गए नामों की सूची मांगी लेकिन मीडिया को वो सूची नहीं दी गई। दावों के विपरीत अजित पवार के साथ अभी बाकी एनसीपी विधायक देखे भी नहीं गए।
महाराष्ट्र में एनसीपी के 53 विधायक और नौ एमएलसी हैं, जिनमें से अजित पवार समेत नौ विधायक एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फड़णवीस सरकार में शामिल हो गए हैं। शुरुआत में जब एनसीपी टूटने की खबरें आईं थीं तो अजित पवार के पास 29 विधायकों के समर्थन का दावा किया गया था। तब यह भी कहा गया था कि एक-दो दिनों में यह संख्या बढ़ सकती है। लेकिन वो सिर्फ इंतजार रहा। संख्या का दूर-दूर तक पता नहीं है।
शिंदे जैसी रणनीतिः कहीं अजित पवार की यह रणनीति शिंदे की तरह तो नहीं है। जब उन्होंने एक दर्जन विधायकों के साथ शिवसेना को तोड़ दिया और गुवाहाटी चले गए थे। शिंदे ने कुल मिलाकर 40 विधायकों का समर्थन हासिल कर लिया था।
मुंबई में अजित पवार जितने आश्वस्त दिख रहे हैं, असलियत वो नहीं है। पार्टी कार्यकर्ताओं ने कल जिस तरह दलबदलू नेताओं के पोस्टरों पर काली स्याही पोती है, उससे वो हिल गए हैं। इसके अलावा शरद पवार ने भी कल सतारा और कराड में अपनी ताकत का प्रदर्शन कर दिया है।
बहरहाल, भुजबल ने मीडिया से कहा, हमारे साथ सभी विधायक हैं। लेकिन भुजबल के इस बयान का क्या मतलब लगाया जाए। अगर आपके पास सभी विधायक हैं तो उनकी मीडिया के सामने परेड कराइए। सिर्फ दावा करने से सच सामने नहीं आता। भुजबल के बयान का अजित पवार के पद छोड़ने के बाद नेता विपक्ष जितेंद्र अव्हाड ने स्पष्ट रूप से खंडन किया और कहा कि अजित पवार के पास सिर्फ 8 विधायक ही हैं। सभी विधायकों को मेरे व्हिप का पालन करना होगा। आव्हाड़ के बयान से साफ है कि एनसीपी छोड़कर जाने वाले विधायकों पर कड़ी कार्रवाई का मन शरद पवार ने बना लिया है।