महाराष्ट्र में बीजेपी के राज्यसभा सांसद उदयनराजे भोंसले ने पिछले दो हफ्तों से राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। सांसद ने छत्रपति शिवाजी पर विवादित टिप्पणी करने वाले कोश्यारी के खिलाफ रायगढ़ में रैली निकालकर प्रदर्शन किया और उनका इस्तीफा मांगा। 3 दिसंबर को उन्होंने कहा कि वो चुप नहीं बैठेंगे, कोश्यारी को जाना होगा। अभी पिछले शुक्रवार यानी 9 दिसंबर को उन्होंने राष्ट्रपति मुर्मू, प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को अलग-अलग ज्ञापन देकर कोश्यारी को हटाने की मांग की। यह छोटी घटना नहीं है।
बीजेपी खुद को अनुशासित पार्टी मानते हुए ऐसे मामलों में फौरन कार्रवाई कर देती है। लेकिन सांसद भोंसले को तो एक के बाद एक छूट मिल रही है कि कोश्यारी के खिलाफ जितना चाहो बालो। यानी अगर भोंसले के बयानों पर जाएं तो बीजेपी भी अब कोश्यारी से छुटकारा चाहती है। लेकिन कोश्यारी राजनीति के पक्के खिलाड़ी हैं। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह के पाले में गेंद डालते हुए उचित मार्गदर्शन की जो सलाह मांगी है, वो बीजेपी को परेशान कर सकती है।
बीजेपी उदयन राजे भोंसले को नजरन्दाज नहीं कर सकती। भोंसले सीधे छत्रपति शिवाजी के परिवार से आते हैं। नवंबर में कोश्यारी ने औरंगाबाद स्थित बाबा साहब मराठवाड़ा आंबेडकर यूनिवर्सिटी में कहा था कि शिवाजी को पुराने युग का आदर्श बताते हुए नितिन गडकरी को नए युग का आदर्श बता दिया। इसी प्रोग्राम में उन्होंने गडकरी और शरद पवार को डीलिट की उपाधि से सम्मानित भी किया। दोनों ने कोश्यारी के बयान पर उस कार्यक्रम में तो कुछ नहीं कहा लेकिन बाद में शरद पवार ने इसे महाराष्ट्र और शिवाजी का अपमान बताते हुए मुद्दा बना दिया। इसके बाद उद्धव ठाकरे की पार्टी और उसके सांसद संजय राउत ने इस पर बयान देना शुरू किया। कांग्रेस के नाना पटोले और बाकी नेता भी खुलकर आ गए।
पिछले लगभग एक महीने से महाराष्ट्र में कोश्यारी के बयान पर हर पार्टी के लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन बीजेपी आला कमान मूक दर्शक बना हुआ था। लेकिन बीजेपी ने जब देखा कि गवर्नर के बयान को लेकर महाराष्ट्र में आम लोग भी नाराज हैं तो पिछले दो हफ्ते से सीन में बीजेपी के राज्यसभा सांसद उदयन राजे भोंसले का प्रवेश हो गया है। इस राजनीति को समझना मुश्किल नहीं है। महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी को जो सम्मान प्राप्त है, उसे नजरन्दाज करके आप अपनी राजनीतिक दुकान नहीं चला सकते। इसलिए लगता यही है कि बीजेपी अब राज्यपाल कोश्यारी से छुटकारा पाना चाहती है। वो चाहती है कि कोश्यारी खुद ही इस्तीफा देकर किनारे हो जाएं। लेकिन कोश्यारी अड़ते हुए नजर आ रहे हैं। अमित शाह को लिखा हुआ उनका पत्र जो सामने आया है, उसमें उन्होंने बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किए जाने का आरोप लगाया और अमित शाह से पूछा है कि आप उचित मार्गदर्शन करें।
कोश्यारी हालांकि यह पत्र राष्ट्रपति को लिखकर उनसे भी सलाह मांग सकते थे लेकिन उन्होंने अमित शाह से सलाह मांगी है। उनका यह तरीका बताता है कि वो दरअसल आला कमान का रुख जानना चाहते हैं। इस समय मोदी और अमित शाह ही बीजेपी के आलाकमान हैं तो एक तरह से कोश्यारी ने सही जगह से सलाह मांगी है। लेकिन इससे आलाकमान पसोपेश में पड़ सकता है। क्योंकि अगर कोश्यारी नाराज होकर उत्तराखंड लौटे तो राजनीति करने से पीछे नहीं हटेंगे। इसलिए मनन इस बात पर हो रहा लगता है कि कोश्यारी को कैसे एडजस्ट किया जाए। कोश्यारी को जाना है यह बीजेपी सांसद के एक्शन से ही तय हो गया है लेकिन सम्मानजनक विदाई का रास्ता तलाशा जा रहा है। बीजेपी सांसद उदयनराजे भोंसले ने पहला पत्र राष्ट्रपति को 23 नवंबर को लिखा था, जिसमें कोश्यारी पर कार्रवाई की मांग की गई थी। नीचे उनका ट्वीट देखिए-
कोश्यारी का विवादित बयान नया नहीं है। हर 15-20 दिनों बाद उनका कोई न कोई रोचक बयान नजर आ जाता है या फिर बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रानौत के साथ उनका फोटो नजर आ जाता है। मौजूदा समय में उन्हें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से कम सुर्खियां नहीं मिल रही हैं। पिछले दिनों जब उन्होंने कहा कि मुंबई और ठाणे से गुजरातियों और राजस्थानियों को निकाल दो तो यहां पैसा बचेगा ही नहीं। मुंबई फिर आर्थिक राजधानी नहीं कहलाएगी। इस बयान पर खासा हंगामा मचा था। बाद में उन्होंने अपने बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया।
रायगढ़ में रैली का नेतृत्व करते उदयनराजे भोंसले।
शिंदे सरकार की स्थापना में कोश्यारी की बड़ी भूमिका रही है। उस समय भी वो विवादों में आए थे। उद्धव ठाकरे जब सीएम थे, उस समय भी कोश्यारी की भूमिका विवादास्पद रही थी। बीजेपी द्वारा नियुक्त किए गए विवादास्पद राज्यपालों की जब सूची बनाई जाती है तो उसमें केरल के गवर्नर से ऊपर महाराष्ट्र गवर्नर कोश्यारी का नाम होता है।
बीजेपी सांसद उदयनराजे भोसले पीएम मोदी के साथ। मोदी ने शिवाजी की प्रतीकात्मक पगड़ी पहन रखी है।
कौन हैं उदयनराजे भोंसले
बीजेपी सांसद उदयनराजे भोंसले की संक्षेप राजनीतिक कहानी जानना जरूरी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में उदयन सतारा सीट से एनसीपी के टिकट पर जीते। सितंबर 2019 में उन्होंने बीजेपी में शामिल होने के लिए एनसीपी और सांसद सीट से इस्तीफा दे दिया। सतारा लोकसभा का उपचुनाव घोषित हुआ। बीजेपी ने उदयन को खड़ा किया। शिवसेना ने बीजेपी के उदयन को हरा दिया। लेकिन बीजेपी फिर उदयन को राज्यसभा से ले आई। यह अलग बात है कि उदयनराजे छत्रपति शिवाजी के परिवार से आते हैं या नहीं, इस पर आज भी बहस जारी है। कुछ पार्टियों ने इस पर सवाल उठाया है। पीएम मोदी महाराष्ट्र में जाते हैं तो उदयन उनके साथ मंच पर जरूर होते हैं। यानी कुल मिलाकर उदयनराजे की बीजेपी आलाकमान तक सीधी पहुंच है। फिलहाल वो कोश्यारी पर भारी पड़ रहे हैं।