महाराष्ट्रःअजीत विधायकों के साथ शरद पवार से मिले, चाचा कुछ बोले नहीं

03:12 pm Jul 16, 2023 | सत्य ब्यूरो

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार सहित एनसीपी के सभी नवनियुक्त मंत्री रविवार दोपहर एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मिलने के लिए वाई बी चव्हाण केंद्र पहुंचे। बैठक के बारे में बात करते हुए, अजीत पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि वे “शरद पवार का आशीर्वाद लेने आए थे।” 

पटेल ने कहा कि वे लोग खुद से और “उनसे (शरद पवार से) अनुमति मांगे बिना आए थे। हमने शरद पवार से पार्टी को एकजुट रखने और निकट भविष्य में हमारा मार्गदर्शन करने का अनुरोध किया। इस पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। उन्होंने चुपचाप हम सब की बात सुनी। हम अजीत पवार के नेतृत्व में कल सोमवार से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में भाग लेंगे।''

अजीत और पटेल के अलावा बाकी मंत्री भी शरद पवार से मिले। जिनमें दिलीप वाल्से पाटिल, हसन मुश्रीफ, छगन भुजबल, धनंजय मुंडे, अदिति तटकरे और डिप्टी स्पीकर नरहरि ज़िरवाल शामिल थे। इन सभी ने राज्य सचिवालय 'मंत्रालय' के पास स्थित वाई बी चव्हाण केंद्र में शरद पवार से मुलाकात की।

पीटीआई के मुताबिक प्रफुल्ल पटेल ने संवाददाताओं से कहा, "हम अपने आदर्श शरद पवार का आशीर्वाद लेने गए थे। हम एनसीपी को एकजुट रखना चाहते हैं इसलिए हमने पवार साहब से इस पर विचार करने और हमारा मार्गदर्शन करने का अनुरोध किया। उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया, बस हमारी बात सुनी।”

इस मौके पर  एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल और पार्टी नेता जितेंद्र अव्हाण भी वाईबी चव्हाण केंद्र पहुंचे थे। पाटिल ने कहा, “अजीत पवार समूह ने खेद व्यक्त किया और शरद पवार से पार्टी में मौजूदा जटिलताओं से बाहर निकलने का रास्ता खोजने का आग्रह किया।”

विपक्ष की बैठक से पहले एक और मोड़?

यह घटनाक्रम अगले लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा से मुकाबला करने के लिए बेंगलुरु में विपक्षी दलों की एक महत्वपूर्ण बैठक से दो दिन पहले आया है। ऐसी आखिरी बैठक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा पटना में आयोजित की गई थी, जिसमें शरद पवार ने भाग लिया था।

शुक्रवार को, अजीत पवार मुंबई के एक अस्पताल में सर्जरी के बाद एनसीपी सुप्रीमो की पत्नी प्रतिभा पवार से मिलने के लिए उनके आधिकारिक आवास सिल्वर ओक गए। अजीत पवार अपनी चाची प्रतिभा के करीबी माने जाते हैं। 2019 में, विधानसभा चुनाव के बाद उन्होंने और देवेंद्र फडणवीस ने अल्पकालिक सरकार बनाई, जिसके बाद उन्होंने कथित तौर पर उन्हें एनसीपी में वापस लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।