महाराष्ट्र में चल रहे सियासी नाटक में अब राजनीतिक दलों ने अपने विधायकों को ‘सुरक्षित’ करने का काम शुरू कर दिया है। विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही कांग्रेस और शिवसेना ने अपने विधायकों को ख़रीद-फरोख़्त से बचाने के लिए होटलों में शिफ़्ट कर दिया था। अब वही काम फिर से शुरू हो गया है। शनिवार को तेजी से बदले राज्य के राजनीतिक घटनाक्रम में कांग्रेस ने अपने विधायकों को जयपुर शिफ़्ट किया है तो एनसीपी से बग़ावत कर बीजेपी को समर्थन देने वाले 9 विधायकों को विमान से दिल्ली लाया गया है।
चुनाव नतीजे आने के बाद जब बीजेपी-शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर लड़ाई चल रही थी तो शिवसेना ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाये थे। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में लिखा था कि बीजेपी उसके विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर रही है। शिवसेना ने बीजेपी पर आरोप लगाया था कि वह सरकार बनाने के लिये धनबल का इस्तेमाल कर रही है।
बता दें कि महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा उलटफेर हो गया है। शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की सरकार बनने की चर्चाओं के बीच राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शनिवार सुबह देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजीत पवार को उप मुख्यमंत्री के पद की शपथ दिला दी।
बीजेपी साबित कर पाएगी बहुमत?
बीजेपी ने एनसीपी में सेंधमारी तो कर दी है लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि क्या वह विधानसभा में बहुमत साबित कर पाएगी? हालाँकि बीजेपी ने दम भरा है कि वह विधानसभा में बहुमत साबित करेगी और उसके पास 170 विधायकों का समर्थन है। लेकिन ऐसा होना मुश्किल दिखाई देता है। कहा जा रहा है कि एनसीपी के 56 में 22 विधायक अजीत पवार के साथ हैं और कई जगह यह आंकड़ा 35 बताया गया है। इसके अलावा कुछ शिवसेना के विधायकों के भी बीजेपी के संपर्क में होने की बात कही जा रही है। 288 विधायकों वाली राज्य की विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों की ज़रूरत है। लेकिन सिर्फ़ 9 विधायकों को ही दिल्ली लाया गया है, ऐसे में एनसीपी से अगर सिर्फ़ 9 विधायकों ने ही बग़ावत की है तो दल-बदल क़ानून के तहत इनकी सदस्यता जाने का ख़तरा रहेगा और बीजेपी के लिए बहुमत साबित करना मुश्किल हो जाएगा।