क्या मुंबई से लॉकडाउन हटाने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से महाराष्ट्र सरकार पर दबाव डाला जा रहा है क्या केंद्र सरकार दिल्ली की तरह मुंबई शहर को भी खोलकर मास्टर स्ट्रोक खेलने का श्रेय लेना चाहती है महाराष्ट्र में लॉकडाउन 5.0 कैसा होगा, इसे लेकर गठित वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों की टीम का तो यही कहना है कि केंद्र की तरफ से दबाव है लेकिन राज्य सरकार हाल-फिलहाल किसी जल्दबाजी में नहीं है।
टीम में शामिल अधिकारियों के मुताबिक़, वे पहले केंद्र के कार्यक्रम की समीक्षा करेंगे और उसके बाद ही कोई निर्णय लेंगे। इन अधिकारियों का कहना है कि दिल्ली में छूट देने का नतीजा भी सबके सामने आ गया है लिहाजा सभी पहलुओं पर पूरा विचार किया जाएगा।
रेल सेवा का खुलना ज़रूरी
केंद्र की तरफ से जो बात कही जा रही है, वह यह है कि कंटेनमेंट ज़ोन को छोड़कर पूरे शहर को खोल दिया जाए। लेकिन मुंबई तब ही खुल सकती है, जब यहां की उपनगरीय रेल सेवा शुरू हो। एक संस्था द्वारा कराये गए सर्वे में यह बात सामने आई है कि मुंबई की उपनगरीय रेलों में सफर करने वाले 61 फीसदी लोग इस माहौल में इसकी सवारी नहीं करना चाहते।
मुंबई महानगर की रचना और यहां के कार्यक्षेत्र के केंद्रीयकृत होने की वजह से उपनगरीय रेलों में सुबह और शाम के समय में बड़ी संख्या में लोग आते-जाते हैं और इस भीड़ को संभालने के लिए फिलहाल कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है।
महाराष्ट्र सरकार के अधिकारियों ने लॉकडाउन से बाहर निकलने की जो योजना बनाई है उसमें मुंबई ही नहीं, प्रदेश के 18 महानगरपालिका क्षेत्र और शेष महाराष्ट्र का दो भागों में विभाजन किया गया है।
अधिकारियों का मानना है कि पहले वे शेष महाराष्ट्र को पटरी पर लाने को प्राथमिकता देंगे तथा वहां क्या और कैसे परिणाम दिखेंगे, उसके आधार पर आगे बढ़ेंगे। इन अधिकारियों ने महापालिका क्षेत्रों में खेल के मैदान, उद्यान, साइकलिंग, जॉगिंग आदि को शुरू करने की बात कही है। लेकिन इसके अतिरिक्त उद्यान और मैदानों में किसी और प्रकार के आयोजन की अनुमति नहीं दी जाएगी।
ये बात इस ओर संकेत करती है कि भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह अपनी रणनीति बनाने में जुटे हों लेकिन गैर भारतीय जनता पार्टी वाली राज्य सरकारों में अब इस महामारी से लड़ने में केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों को लेकर असहजता बढ़ती जा रही है। इन राज्य सरकारों ने अब लॉकडाउन के तरीकों पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।
केरल, पश्चिम बंगाल के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने स्पष्ट रूप से कह दिया है कि लॉकडाउन घोषित करने से पूर्व केंद्र सरकार ने उनसे कोई राय-मशविरा नहीं किया है।
केंद्र पर हमलावर ठाकरे
ठाकरे ने कहा कि आज जो देश भर में प्रवासी मजदूरों को लेकर इतनी भयावह स्थिति पैदा हुई है उसके पीछे सबसे बड़ा कारण भी यही है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन से पूर्व जिस तरह से हम एक-एक चीज बंद कर रहे थे, उस समय गांव जाने वाले प्रवासी मजदूरों की मुंबई के रेलवे प्लेटफ़ॉर्म पर भीड़ बढ़ती जा रही थी।
ठाकरे ने कहा कि भीड़ को देखकर हमने केंद्र सरकार को न सिर्फ आगाह किया था अपितु मांग भी की थी कि मुंबई और महाराष्ट्र के लिए अतिरिक्त ट्रेन दी जाएँ ताकि लोगों को आसानी से भेजा जा सके लेकिन ऐसा हुआ नहीं और जब कोरोना का संकट बढ़ गया तब प्रवासी मजदूरों के लिए ट्रेन चलाई जा रही है।
उद्धव ठाकरे ने कहा कि जब घरेलू हवाई सेवाएं शुरू किये जाने की बात आई, तब भी हमने सवाल उठाये थे कि हवाई अड्डा क्षेत्र में तो सभी प्रकार की गतिविधियां शुरू करनी पड़ेंगी जिससे सड़कों पर और अधिक लोगों को उतरना पड़ेगा और भीड़भाड़ बढ़ेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन का कड़ाई से पालन नहीं होने की वजह से आज भी कोरोना का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है। यदि लॉकडाउन घोषित करने से पहले उसके सभी पहलुओं पर विचार किया गया होता तो लॉकडाउन के दौरान बार-बार ढील देने या मजदूरों की आवाजाही का जो सवाल खड़ा हुआ वह नहीं होता और हम कोरोना से ठीक तरह से लड़ सकते थे।