केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के बेटे और बीजेपी विधायक नितेश राणे की मुश्किलें बढ़ गई हैं। नितेश राणे की मुंबई हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत की याचिका खारिज हो गई है। दरअसल, नितेश राणे ने शिवसेना कार्यकर्ता के ऊपर हुए हमले में अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए मुंबई हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाईकोर्ट द्वारा अग्रिम जमानत की याचिका खारिज किए जाने से नितेश राणे के ऊपर अब गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है। महाराष्ट्र में को-ऑपरेटिव बैंक के चुनाव के दौरान शिवसेना के एक कार्यकर्ता पर जानलेवा हमला हुआ था जिसमें नितेश राणे और उनके सहयोगियों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया था।
नितेश राणे महाराष्ट्र के कोंकण के कणकवली से बीजेपी के विधायक हैं। राणे ने निचली अदालत से जमानत की याचिका खारिज होने के बाद मुंबई हाईकोर्ट में गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत की याचिका दाखिल की थी। इस याचिका पर 2 हफ्ते तक चली सुनवाई के बाद सोमवार को मुंबई हाईकोर्ट के फ़ैसले से नितेश राणे को झटका लगा।
दरअसल, महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग ज़िला सहकारी बैंक चुनाव प्रचार के दौरान शिवसेना के स्थानीय कार्यकर्ता संतोष परब पर जानलेवा हमला हुआ था। संतोष परब ने विधायक नितेश राणे और उनके सहयोगियों के ख़िलाफ़ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज करवाया था। परब ने नितेश पर आरोप लगाया था कि वह अपनी मोटरसाइकिल से कहीं जा रहे थे, तभी इनोवा कार में सवार नितेश राणे ने उनको टक्कर मार दी।
परब ने साथ ही यह भी कहा था कि उसके बाद उन्हें जान से मारने का भी प्रयास किया गया। सिंधुदुर्ग पुलिस ने नितेश राणे का इस मामले में उनका बयान भी दर्ज किया था। नितेश राणे ने आरोप लगाया था कि शिवसेना के बड़े नेताओं के इशारे पर पुलिस उनको गिरफ्तार करना चाहती है। यही कारण रहा कि नितेश ने अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए सिंधुदुर्ग की सेशन कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दाखिल की थी।
मुंबई हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत की सुनवाई के दौरान नितेश राणे के वकील ने कहा था कि नितेश राणे और शिवसेना के काफी पुराने वैचारिक मतभेद रहे हैं। यही कारण है कि शिवसेना के बड़े नेताओं की शह पर उनके ख़िलाफ़ फर्जी मुक़दमा दायर किया गया। राणे के वकील ने अदालत के सामने यह भी कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा के सत्र के दौरान 23 दिसंबर 2021 को विधान भवन के बाहर नितेश राणे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे पर कुछ टिप्पणी की थी जिसके बाद उन्हें बेवजह फर्जी मामले में गिरफ्तार करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन हाईकोर्ट ने नितेश राणे के वकीलों की दलील को नहीं माना।
इससे पहले 13 जनवरी को हाई कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान सिंधुदुर्ग पुलिस ने अदालत में दावा किया था कि हत्या के प्रयास के मामले में विधायक नितेश राणे के ख़िलाफ़ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं।
पुलिस ने अदालत को यह भी बताया था कि नितेश राणे के ख़िलाफ़ पुलिस ने किसी भी राजनीतिक दबाव के चलते मामला दर्ज नहीं किया है बल्कि उनके ख़िलाफ़ कई ऐसे सबूत मिले हैं जिससे यह साबित हो जाता है कि नितेश राणे की इस मामले में पूरी भागीदारी रही है।
सरकारी वकील सुदीप पासबोला ने अदालत के सामने दलील दी कि नितेश राणे के ख़िलाफ़ राजनीति से प्रेरित मामले में पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है। पासबोला ने साथ ही यह भी कहा कि पुलिस के पास नितेश राणे के ख़िलाफ़ पर्याप्त सबूत हैं। सरकारी वकील ने यह भी दलील दी कि अगर नितेश राणे को पुलिस गिरफ्तार करना चाहती तो वह उस दिन भी उन्हें गिरफ्तार कर लेती जिस दिन नितेश राणे पूछताछ के लिए पुलिस स्टेशन में हाजिर हुए थे।
नारायण राणे का क्या कहना है?
नितेश राणे के ख़िलाफ़ मामला दर्ज होने के बाद उनके पिता और केंद्रीय मंत्री नारायण राणे का कहना है कि नितेश राणे हमेशा से शिवसेना के कामकाज पर सवाल उठाते रहे हैं और ठाकरे परिवार की खिलाफत करते रहे हैं। यही कारण है कि उनके बेटे नितेश को निशाना बनाया जा रहा है एवं झूठा मुकदमा दर्ज कराया जा रहा है।
बता दें कि बीजेपी विधायक नितेश राणे के ख़िलाफ़ सिंधुदुर्ग के कणकवली पुलिस स्टेशन में धारा 307 (हत्या का प्रयास) और 120 बी (आपराधिक साज़िश) के तहत मामला दर्ज किया गया था।