महाराष्ट्र: वोटरों को घर से निकालने की रणनीति क्यों बना रही बीजेपी?

08:26 am Apr 25, 2024 | संदीप सोनवलकर

महाराष्ट्र में ख़बर आ रही है कि पहले दौर की वोटिंग कम होने के बाद भाजपा अब सतर्क हो गयी है। एक तरफ उसने जहां हिंदुत्व का छौंका लगाना शुरू कर दिया है वहीं दूसरी तरफ अब दूसरे दौर में वोटरों को निकालने की पूरी रणनीति पर काम हो रहा है।

जानकारी है कि संघ और बीजेपी के कार्यकर्ताओं से कहा गया है कि वो वोटरों के आने का इंतज़ार न करें बल्कि हर दो घंटे में वोटर लिस्ट की समीक्षा करने के साथ ही हर सोसायटी और घर-घर जाकर वोटरों को बाहर निकालें क्योंकि पहले दौर की रिपोर्ट बहुत अनुकूल नहीं लग रही है। हालाँकि पहले दौर की 102 सीटों में केवल 42 पर ही बीजेपी जीत या टक्कर देने की स्थिति में है लेकिन अगले दौर से उसकी चुनौती और बढ़ेगी, खास तौर पर, महाराष्ट्र में क्योंकि अब उसे हर सीट पर जीतना होगा।

इस दौर में सबसे बड़ा फैक्टर है- दलित मराठा मुस्लिम और कुनबी यानी डीएमके। इस बार विदर्भ की पांच और मराठवाड़ा की तीन सीट पर चुनाव है लेकिन इनमें से कई पर बीजेपी को कड़ी मेहनत करनी होगी। असल में महाराष्ट्र में दलित मतदाता विदर्भ और मराठवाड़ा में निर्णायक होता है जहाँ पर अब ये बात फैलने लगी है कि अगर बीजेपी सत्ता में आयी तो वो बाबा साहेब आंबेडकर के संविधान को बदल देगी। दलितों में बाबा साहेब का दर्जा भगवान से कम नही हैं इसलिए चाहे बौद्ध हों या दलित, वो संविधान से छेड़छाड़ सहन नहीं कर सकते। 

इंडिया की जगह पर केवल भारत करने जैसी बातें करने से बीजेपी पर दलित समाज को शक होता है कि उसकी असली चिंता असल में आरक्षण है। आरएसएस के मोहन भागवत एक बार आरक्षण की समीक्षा जैसा बयान देकर हाथ जला चुके हैं लेकिन संदेश तो दलित समाज में चला ही गया है।

दूसरी तरफ़ मराठा समाज भी आरक्षण की मांग को लेकर लगातार आंदोलन करता रहा है लेकिन उसका कोई अब हल नहीं निकला है। जरांगे पाटिल ने साफ़ तौर पर किसी का समर्थन करने से मना कर दिया लेकिन मराठा समाज सरकार से नाराज़ है जिस तरह से लाठियाँ चलीं उसके वीडियो अब भी घूम रहे हैं। राज्य में मराठा समाज करीब 22 फीसदी तक माना जाता है। 

अगर ये नाराज हो गया तो बीजेपी के कई दिग्गज नेता मुश्किल में आ सकते हैं। मराठवाड़ा में मुस्लिम समाज भी पूरी तरह से बीजेपी के खिलाफ नजर आ रहा है। ये संख्या कहीं सात प्रतिशत तो कहीं पर 13 प्रतिशत तक है। विदर्भ और मराठवाड़ा तक फैला कुनबी समाज पहले से बीजेपी के विरोध में नजर आ रहा है। ऐसे में राज्य में अब यदि कोई बड़ा मुद्दा नहीं आया तो परिणाम बहुत चौंकाने वाले हो सकते हैं।

जानकारों का दावा है कि पहले दौर की पांच सीटों में से दो पर कांग्रेस और तीन पर बीजेपी और सहयोगी जीत सकते हैं। वहीं दूसरे दौर की आठ सीटों में से पांच पर बीजेपी और सहयोगी, तीन पर कांग्रेस और सहयोगी जीत सकते हैं। यानी हर दौर में कम से कम चालीस प्रतिशत तक सीट का घाटा सत्ता पक्ष को हो सकता है। यही ट्रेंड रहा तो चुनाव परिणाम के साथ साथ राज्य सरकार पर भी इसका असर दिखाई देगा।