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महाराष्ट्रः अजीत पवार, प्रफुल्ल पटेल दिल्ली क्यों आए, क्या पेंच फंसा है 

महाराष्ट्रः अजीत पवार, प्रफुल्ल पटेल दिल्ली क्यों आए, क्या पेंच फंसा है 

भाजपा के लिए महाराष्ट्र में मुश्किलें बढ़ रही है। अभी तक एनसीपी कोटे से मंत्री बने 9 लोगों को विभागों का आवंटन नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट ने भाजपा पर जबरदस्त दबाव बनाकर विभागों का आवंटन रुकवा दिया है। इसी मसले पर भाजपा के केंद्रीय नेताओं से बात करने अजीत पवार और प्रफुल्ल पटेल दिल्ली आए हुए हैं।  

महाराष्ट्र में एनसीपी के 9 विधायकों को शपथ लिए हुए दो हफ्ते हो चुके हैं लेकिन विभागों का बंटवारा नहीं हो पाया। दूसरी तरफ अगला मंत्रिमंडल विस्तार भी रुका हुआ है। एनसीपी नेता अजीत पवार खुद डिप्टी सीएम बन गए और बाकी 8 विधायक मंंत्री लेकिन सभी बिना विभाग वाले मंत्री हैं। अजित पवार की वित्त मंत्रालय पाने की हसरत पूरी नहीं हो पाई है। अब इस मामले को सुलझाने के लिए अजीत पवार और प्रफुल्ल पटेल बुधवार शाम दिल्ली में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व से बात करने पहुंच गए हैं। दरअसल, यह मामला अब इतना पेचीदा हो गया है कि भाजपा के केंद्रीय नेताओं के लिए इससे पिंड छुड़ाना मुश्किल हो रहा है।  

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस घटनाक्रम को इस रूप में भी देखा जा रहा है कि शिंदे की शिवसेना ने भाजपा नेतृत्व के सामने बाधा खड़ी कर दी है। शिंदे खेमा विद्रोही अजीत पवार वाले एनसीपी गुट को आवंटित किए जाने वाले महत्वपूर्ण विभागों का जोरदार विरोध कर रहा है।

शिंदे खेमा शुरू से ही अजीत पवार को वित्त मंत्रालय देने का कड़ा विरोध कर रहा था और उन पर एमवीए के सत्ता में रहने के दौरान वित्त मंत्रालय संभालते समय पक्षपात करने का आरोप लगाया है। शिंदे गुट यह भी नहीं चाहता कि ग्रामीण विकास मंत्रालय और सहकारी विभाग एनसीपी मंत्रियों के पास जाएं। शिंदे पर अपने विधायकों से जबरदस्त दबाव है कि ये सारे विभाग एनसीपी के बागी विधायकों को नहीं दिए जाएं। यही कारण है कि शिंदे, फडणवीस और अजीत पवार के बीच कम से कम तीन बैठकों के बावजूद मामला हल नहीं हुआ है, जिसके बाद अब गेंद भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के पाले में डाली जा रही है। 

इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक सूत्रों ने कहा कि जहां फडणवीस ने मुद्दे को सुलझाने की कोशिश की है, वहीं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का रुख नरम नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, शिंदे खेमे का गुस्सा सिर्फ विभागों को लेकर नहीं बल्कि शपथ लेने वाले कुछ विधायकों को लेकर भी है। उनके आने से शिंदे खेमे के कुछ विधायकों का समीकरण बिगड़ गया है।

एमवीए से अलग हुए निर्दलीय विधायक बच्चू कडू ने कहा, ''शिवसेना के कुछ विधायक (शिंदे खेमे से) मुझसे मिले हैं और उन्होंने मुझे बताया है कि वे नहीं चाहते कि वित्त विभाग अजीत पवार को दिया जाए क्योंकि वह एमवीए कार्यकाल के दौरान पक्षपाती थे और उन्होंने उन्हें बजट का पैसा भी नहीं दिया। वे नहीं चाहते कि उसे फिर से दोहराया जाए। शिवसेना विधायक भी एनसीपी के शामिल होने से नाराज हैं क्योंकि सरकार में एनसीपी के बिना उन्हें अधिक विभाग मिलते। बच्चू कडू भी बाकी शिवसेना विधायकों के साथ कैबिनेट गठन का इंतजार कर रहे हैं। कडू खुद भी अजीत पवार से नाराज हैं कि वित्त मंत्रालय उन्हें दिया जा रहा है। 

सांसद सुनील तटकरे की बेटी और विधायक अदिति तटकरे जैसे अन्य एनसीपी विधायकों के शपथ लेने से भी शिवसेना नाराज है। अदिति रायगढ़ जिले से हैं और शिंदे के करीबी सहयोगी और रायगढ़ के महाड से विधायक भरत गोगावले हैं। जिले में तटकरे परिवार के साथ उनका विवाद चल रहा है। लंबे समय से मंत्री बनने का इंतजार कर रहे गोगावले ने सार्वजनिक रूप से अदिति तटकरे को रायगढ़ का संरक्षक मंत्री बनाए जाने का विरोध किया है क्योंकि वह इसके इच्छुक हैं।

भाजपा नेताओं का कहना है कि शिंदे यह तय करने के लिए दबाव की रणनीति अपना रहे हैं कि भले ही अजीत पवार को वित्त विभाग मिल जाए, लेकिन बदले में वो शिवसेना के अधिक विधायकों को मंत्री बनाने और बड़े विभाग देने की मांग कर रहे हैं।

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