महाराष्ट्र के अस्पताल में 7 और मौतें, 48 घंटे में 31 मरीजों की मौत
महाराष्ट्र के नांदेड़ के सरकारी अस्पताल में सोमवार देर रात को सात और मरीजों की मौत हो गई। इसमें से चार बच्चे थे। इस अस्पताल में 48 घंटे में 31 मरीजों की मौत हो चुकी है। पहले 24 घंटे में 24 मौतों के बाद सोमवार को यह मामला पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर आया था। इसके बाद भी मौतों का सिलसिला नहीं रुका। मरने वाले 31 मरीजों में से 16 शिशु या बच्चे थे।
इस घटना पर राज्य सरकार की आलोचना करते हुए शिवसेना यूबीटी सांसद संजय राउत ने स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत के इस्तीफे की मांग की। उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'कुछ महीने पहले इसी तरह की घटना कलवा के सरकारी अस्पताल में हुई थी। इससे पता चलता है कि महाराष्ट्र में स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा कैसा हो गया है या सरकार ने राज्य में स्वास्थ्य विभाग की किस तरह उपेक्षा की है। इन सबके बावजूद सरकार अभी भी त्यौहार आयोजित करने में व्यस्त है।'
यह भी आरोप लगे हैं कि ये मौतें अस्पताल में दवाओं की कमी के कारण हुईं। वंचित बहुजन अघाड़ी के प्रवक्ता फारूक अहमद ने 24 मौतों के बाद ही आरोप लगाया था, 'दवा की कमी और लापरवाही के कारण 24 लोगों की जान जाना गंभीर मामला है। जवाबदेही तय करने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए गंभीर जांच की जानी चाहिए। राज्य सरकार को सार्वजनिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी चाहिए।'
बहरहाल, अस्पताल के डीन डॉ. श्यामराव वाकोडे ने चिकित्सकीय लापरवाही के आरोपों को खारिज कर दिया है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने यह भी कहा है कि दवाओं या डॉक्टरों की कोई कमी नहीं है, और इस बात पर जोर दिया कि सही इलाज के बावजूद मरीजों पर इलाज का कोई असर नहीं हुआ।
महाराष्ट्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि मौतों की जांच के लिए एक समिति का गठन किया गया है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान निदेशक डॉ. दिलीप म्हैसेकर ने सोमवार को कहा था, 'छत्रपति संभाजीनगर जिले की तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है, जिसे कल दोपहर 1 बजे तक रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया गया है। मैं स्थिति की समीक्षा करने के लिए व्यक्तिगत रूप से अस्पताल का दौरा कर रहा हूं।'
अस्पताल की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि मरने वाले वयस्क मरीजों में हृदय रोग के चार मामले, जहर का एक मामला, गैस्ट्रिक रोग का एक मामला, गुर्दे की बीमारी के दो मामले, प्रसूति संबंधी जटिलताओं का एक मामला और दुर्घटनाओं के तीन मामले थे। बाल रोगियों में से चार अंतिम चरण में थे और उन्हें निजी अस्पतालों से रेफर किया गया था।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार बयान में कहा गया, 'हाल के दिनों में अधिक गंभीर मरीज़, विशेष रूप से आख़िरी स्टेज वाले, जिला और अन्य क्षेत्रों से आ रहे हैं। चिकित्सा टीम और कर्मचारी पूरी लगन से उनकी देखभाल कर रहे हैं। इस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का समुदाय को उत्कृष्ट सेवाएं देने का एक लंबा इतिहास है, और सभी भर्ती मरीजों को ज़रूरी देखभाल मिल रही है।'
रिपोर्ट के अनुसार अस्पताल के एक डॉक्टर ने कहा, 'हालांकि हमारी क्षमता 600 बिस्तरों की है, वर्तमान में हमारे पास 800 से अधिक मरीज भर्ती हैं। हमारे यहां अक्सर गंभीर हालत वाले मरीज आते हैं।'