हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र की ऑक्सीजन सप्लाई की बहाल, केंद्र को लगाई फटकार
बंबई हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की ऑक्सीजन आपूर्ति में कटौती करने के लिए केंद्र सरकार को लताड़ लगाते हुए आदेश दिया है कि वह पहले की तरह ही आपूर्ति सुनिश्चित करे।
अदालत ने स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय की 18 अप्रैल की उस चिट्ठी का हवाला दिया जिसमें केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र सरकार से कहा था कि भिलाई संयंत्र से उसे ऑक्सीजन की आपूर्ति 110 टन रोज़ाना से कम कर 60 टन कर दी जाएगी।
ऑक्सीजन आपूर्ति बहाल
हाई कोर्ट ने कहा कि केंद्र का यह फ़ैसला महाराष्ट्र सरकार के लिए एक आकस्मिक मुसीबत बन कर आया। जस्टिस सुनील सुकरे व जस्टिस एस. एम. मोदक के खंडपीठ ने इस पर केंद्र सरकार की खिंचाई करते हुए सवाल किया कि उसने ऐसा क्यों किया जबकि देश के 40 प्रतिशत कोरोना रोगी सिर्फ महाराष्ट्र में ही हैं।
खंडपीठ ने कहा कि सबसे ज़्यादा कोरोना रोगी महाराष्ट्र में होने को देखते हुए केंद्र सरकार को ऑक्सीजन आपूर्ति बढ़ा कर 200-300 टन कर देना चाहिए था, लेकिन उसमें कटौती कर दी।
हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि महाराष्ट्र को पहले की तरह ही रोज़ाना 110 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दिया जाना चाहिए।
अदालत ने बहुत ही तल्ख़ टिप्पणी करते हुए कहा,
“
हमें इस दुष्ट समाज का हिस्सा होने पर शर्म आ रही है, आपको शर्म क्यों नहीं आ रही है? आप महाराष्ट्र के असहाय रोगियों के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं। आपके पास इस समस्या का क्या समाधान है?
बंबई हाई कोर्ट का आदेश
रेमडिसिविर आपूर्ति भी बहाल
इसके पहले बंबई हाई कोर्ट के नागपुर बेंच ने रेमडिसिविर दवा की आपूर्ति में कटौती किए जाने के फैसले को भी निरस्त कर दिया था। अदालत ने आदेश दिया था कि महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र को उसके हिस्से का 12,404 वायल रेमडिसिविर इंजेक्शन दिया जाना चाहिए।
दिल्ली हाई कोर्ट ने भी लगाई फटकार
इसके ठीक एक दिन पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने ऑक्सीजन आपूर्ति नहीं करने पर केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि उसके लिए मानव जीवन की कोई कीमत नहीं है। अदालत ने बुधवार को कड़ी टिप्पणी करते हुए केंद्र सरकार से कहा, 'भीख माँगो, किसी से उधार लो या चोरी करो, पर ऑक्सीजन दो।'
जस्टिस विपिन संघी और जस्टिस रेखा पल्ली के खंडपीठ ने इस पर सुनवाई करने के बाद ऑक्सीजन आपूर्ति करने का आदेश केंद्र सरकार को देते हुए बहुत ही तीखी टिप्पणी की। अदालत ने केंद्र सरकार से कहा, 'हम यह देख कर दुखी और सदमे में हैं कि सरकार वास्तविकता नहीं देख रही है।'
दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार से कहा, 'हमें लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करनी है और हम आदेश देते हैं कि आम भीख मांगें, उधार लें या चोरी करें, जो करना हो करें लेकिन आपको ऑक्सीजन देना है। हम लोगों को मरते हुए नहीं देख सकते।'
ऑक्सीजन के लिए हाहाकार!
बंबई हाई कोर्ट की यह तल्ख़ टिप्पणी ऐसे समय आई है जब ऑक्सीजन के लिए कई राज्यों में हाहाकार मचा है। ऑक्सीजन की कमी होने से मरीज़ों के मरने की ख़बरें आ रही हैं।
कर्नाटक से लेकर दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी है। कई अस्पतालों में सिर्फ़ कुछ घंटों के लिए ऑक्सीजन बची है। हाई कोर्टों में मामला पहुँचा और फिर सुप्रीम कोर्ट ने भी दखल दे दिया।
इस पूरी अव्यवस्था के केंद्र में केंद्र सरकार तो है ही। कई जगहों पर ऑक्सीजन की सप्लाई रोके जाने तक की ख़बरें आईं। एक समय तो दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बीच में विवाद भी हो गया।
यह विवाद कितना बड़ा संकट बनता जा रहा था इसका अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि केंद्र सरकार को आदेश जारी करना पड़ा कि ऑक्सीजन परिवहर को कोई रोक नहीं सकता है। दिल्ली हाई कोर्ट ने तो कहा कि ऑक्सीजन की सप्लाई रोके जाने पर आपराधिक कार्रवाई की जाएगी।