महाराष्ट्रः राज्यपाल कोश्यारी के विवादित बयान पर उबाल, तीखी प्रतिक्रिया, प्रदर्शन
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बयान पर राज्य की सियासत एक बार फिर से गरमा गई है। विपक्षी पार्टियों ने कोश्यारी पर निशाना साधते हुए कहा है कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने महाराष्ट्र के मराठी और छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान किया है। कोश्यारी के इस बयान के बाद अब उनके खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गए हैं।
महाराष्ट्र के राज्यपाल पद की कमान जब से भगत सिंह कोश्यारी ने थामी हैं तभी से लगातार विवाद पैदा होते रहे हैं। अंधेरी में एक कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल कोश्यारी ने कहा कि महाराष्ट्र से खासतौर पर मुंबई और ठाणे से अगर गुजराती और राजस्थानी समाज के लोग निकल जाते हैं तो फिर यहां कुछ पैसा नहीं बचेगा और यह लोग अगर चले गए तो देश की आर्थिक राजधानी भी मुंबई नहीं रह जाएगी। जैसे ही कोश्यारी ने यह बयान दिया वैसे ही महाराष्ट्र की राजनीति भी गरमा गई।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने भगत सिंह कोश्यारी पर निशाना साधते हुए कहा कि यदि आप महाराष्ट्र के इतिहास के बारे में नहीं जानते हैं तो बात ना करें। राज्यपाल एक सम्मानजनक और सम्मानीय पद है इसलिए लोग उनके खिलाफ बोलने से हिचकते हैं, लेकिन आपने जो बयान दिया है उससे महाराष्ट्र के लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र में मराठी लोग यहां मन लगाकर खेती करते हैं और दूसरे राज्यों के लोग कारोबार भी करते हैं और लगातार आ भी रहे हैं। ठाकरे ने कहा कि किसी चुनाव से ठीक पहले इस तरह का बयान बोलकर माहौल खराब ना करें। आप हमें इतने भोले भाले आदमी भी ना समझे। मैं अभी आपको बस इतना ही बताना चाह रहा हूं।
"मराठी माणसाला डिवचू नका!" pic.twitter.com/0to6ByNyPk
— Raj Thackeray (@RajThackeray) July 30, 2022
राज ठाकरे के बयान के बाद शिवसेना सांसद और प्रवक्ता संजय राउत ने कोश्यारी के उस बयान का वीडियो भी शेयर किया है जिसमें राज्यपाल ने अपनी बात रखी थी। राउत ने कहा कि महाराष्ट्र में बीजेपी समर्थित मुख्यमंत्री होते हुए मराठी मानुष और छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान हुआ है। स्वाभिमान और अपमान के मुद्दे पर अलग हुआ गुट अगर इस पर चुप बैठता है तो शिवसेना का नाम यह लोग ना लें। कम से कम मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को इसका विरोध करना चाहिए यह महाराष्ट्र की जनता का अपमान है।
राज्यपाल महोदयांच्या बेताल विधानाचा समाचार घेण्यासाठी
— Sanjay Raut (@rautsanjay61) July 30, 2022
शिवसेना पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे यांची पत्रकार परिषद:
आज. मातोश्री.१ वाजता. pic.twitter.com/kEDEg0reO4
वहीं एनसीपी और कांग्रेस ने भी राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बयान का विरोध किया है। महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने राज्यपाल के बयान को मराठी लोगों का अपमान करने वाला बयान बताया है। वहीं एनसीपी प्रवक्ता महेश तपासे का कहना है कि राज्यपाल हमेशा से ही महाराष्ट्र की जनता का अपमान करते आए हैं। तपासे का कहना है कि एनसीपी के मुंबई कार्यअध्यक्ष और कार्यकर्ता राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के खिलाफ हुतात्मा चौक के पास प्रदर्शन करने वाले हैं।
गौरतलब है कि भगत सिंह कोश्यारी इससे पहले भी कई बार विवादों में आ चुके हैं। साल 2020 में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को कोरोना के वक्त मंदिर खोलने के लिए एक पत्र लिखा था जिसमें लिखी गई भाषा पर शिवसेना और खुद उद्धव ठाकरे ने ऐतराज जताया था। इसके अलावा भगत सिंह कोश्यारी उस समय भी चर्चा में आये थे जब उन्होंने सुबह-सुबह देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार को मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलवा दी थी। ऐसे में भगत सिंह कोश्यारी दिया गया यह बयान अब उनके लिए एक और मुसीबत बन चुका है।
इनका नाम 'कोश्यारी' है। लेकिन एक गवर्नर के तौर पर जो बोलते हैं और करते हैं उसमें थोड़ी भी 'होशियारी' नहीं होती। ये कुर्सी पर सिर्फ इसलिए बैठे हैं क्योंकि 'हम दो' के आदेश का निष्ठा पूर्वक पालन करते हैं।
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) July 30, 2022
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इस बीच, कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने शनिवार को कहा, उनका नाम 'कोश्यारी' है। लेकिन एक राज्यपाल के तौर पर वह जो कहते और करते हैं उसमें जरा भी 'चतुरता' नहीं है। वह कुर्सी पर इसलिए बैठे हैं क्योंकि 'हम दोनों' (पीएम मोदी-अमित शाह) की आज्ञा का ईमानदारी से पालन करते हैं।
कांग्रेस नेता सचिन सावंत ने भी बयान पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह भयानक है कि एक राज्य का राज्यपाल उसी राज्य के लोगों को बदनाम करता है। उनके शासनकाल में राज्यपाल की संस्था का स्तर और महाराष्ट्र की राजनीतिक परंपरा न केवल खराब हुई है, बल्कि महाराष्ट्र का भी लगातार अपमान हुआ है। शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि यह महाराष्ट्र और मराठी मानुष के लोगों की कड़ी मेहनत का अपमान है, जिन्होंने राज्य को देश का अग्रणी राज्य बनाने के लिए दिन-रात मेहनत की है। राज्यपाल को तुरंत माफी मांगनी चाहिए, ऐसा नहीं करने पर हम उन्हें बदलने की मांग करेंगे।
राज्याला देशातील आघाडीचे राज्य बनवण्यासाठी अहोरात्र झटणाऱ्या महाराष्ट्रातील जनतेचा आणि मराठी माणसाच्या कष्टाचा हा अपमान आहे. राज्यपालांनी ताबडतोब माफी मागावी, तसे न झाल्यास त्यांची बदली करण्याची मागणी करू.@priyankac19 pic.twitter.com/WtqTMxdq0F
— Office Priyanka Chaturvedi🇮🇳 (@Priyanka_Office) July 30, 2022
इन राजनीतिक हस्तियों के अलावा महाराष्ट्र के लोग भी सोशल मीडिया पर राज्यपाल के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। जिसमें लोगों ने राष्ट्रपति से महाराष्ट्र के राज्यपाल को बर्खास्त करने की मांग की है। कुछ लोगों ने लिखा है कि बीजेपी के राष्ट्रीय नेता हमेशा महाराष्ट्र के लोगों से नफरत करते रहे हैं, इसलिए राज्यपाल ने ऐसा बयान दिया। कुछ लोगों ने राज्यपाल को बदलने की मांग की है। लोगों ने हैरानी जताई है कि बीजेपी ने राज्यपाल के बयान की निन्दा तक नहीं की।
कोश्यारी ने पेश की सफाई
राज्यपाल कोश्यारी ने सारे विवाद पर लीपापोती करते हुए कहा है कि मुझे गर्व है कि मुझे छत्रपति शिवाजी महाराज और मराठी जनता की इस धरती पर राज्यपाल के रूप में सेवा करने का अवसर मिला। इस वजह से मैंने बहुत ही कम समय में मराठी भाषा सीखने की कोशिश की। कल राजस्थानी समाज के कार्यक्रम में मैंने जो बयान दिया था, उसमें मेरा मराठी आदमी को कम करके आंकने का कोई इरादा नहीं था। मैंने केवल गुजराती और राजस्थानी मंडलों द्वारा पेशे में किए गए योगदान पर बात की। मराठी लोगों ने मेहनत कर महाराष्ट्र का निर्माण किया। इसीलिए आज कई मराठी उद्यमी प्रसिद्ध हैं। वे न केवल महाराष्ट्र में, बल्कि भारत में और पूरी दुनिया में मराठी का झंडा बड़े पैमाने पर लगा रहे हैं। इसलिए मराठी लोगों के योगदान को कम करके आंकने का सवाल ही नहीं उठता। लेकिन हमेशा की तरह मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया।
हालांकि कोश्यारी के बयान के वीडियो मौजूद हैं, जिसे वो खुद भी सुन सकते हैं। जिस बयान को वो तोड़ने-मरोड़ने का आरोप लगा रहे हैं, सोशल मीडिया पर उसे असंख्य लोगों ने ट्वीट करके वायरल किया है।
कोश्यारी ने कहा एक समुदाय की सराहना करना दूसरे समुदाय का अपमान नहीं है। राजनीतिक दलों को इस पर अकारण विवाद नहीं खड़ा करना चाहिए। कम से कम मेरे द्वारा मराठी लोगों का कभी अपमान नहीं किया जाएगा। विभिन्न जातियों और समुदायों से बनी इस मराठी भूमि की प्रगति और विकास में सभी का योगदान है और मराठी लोगों का योगदान अधिक है।