महाराष्ट्रः चुनाव में अजित पवार के घोटाले की चर्चा, भाजपा आज भी चुप
महाराष्ट्र में 70,000 करोड़ रुपये का कथित सिंचाई घोटाला फिर से सामने आ गया है। यह घोटाला हर विधानसभा चुनाव में सामने आ जाता है। 2014 और 2019 के विधानसभा चुनावों की तरह 2024 में भी इसकी चर्चा हो रही है। ताज्जुब यह है कि इसका जिक्र उस शख्स ने किया जो इसके विवाद के केंद्र में रहा है। सांगली जिले की तासगांव विधानसभा सीट पर एक रैली में एनसीपी प्रमुख और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने उन आंकड़ों का मजाक उड़ाया, जिनमें कहा गया था कि वेतन सहित परियोजना का कुल खर्च केवल 43,000 करोड़ रुपये है।
इसके बाद उन्होंने उस समय के महाराष्ट्र के गृह मंत्री आरआर पाटिल पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा "खुली जांच" का आदेश देकर उनके खिलाफ आरोपों की साजिश रचने का आरोप लगाया। पवार ने कहा, ''आर आर पाटिल ने मेरी पीठ में छुरा घोंपा है।'' बता दें कि उस समय तक एनसीपी टूटी नहीं थी और अजित व आर आर पाटिल दोनों ही एनसीपी में थे। आर आर पाटिल का अब निधन हो चुका है।
तासगांव रैली में, पवार ने कहा कि 2014 के विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत के बाद, सीएम के रूप में कार्यभार संभालने वाले देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें पाटिल के हस्ताक्षर वाली फाइल दिखाई, जिसमें मामले में उनके खिलाफ खुली जांच की सिफारिश की गई थी।
पवार ने जैसे ही पाटिल का नाम लिया, कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण का बयान सामने आ गया, जो एकीकृत एनसीपी के समर्थन वापस लेने के समय मुख्यमंत्री थे। चव्हाण ने कहा कि वह सही साबित हुए। उन्होंने कहा, ''मैंने अजित पवार के खिलाफ कभी भी खुली जांच का आदेश नहीं दिया। आर आर पाटिल द्वारा खुली जांच का आदेश देने वाली हस्ताक्षरित फाइल मुझ तक कभी नहीं पहुंची। दुर्भाग्य से, एनसीपी और अजित पवार ने मुझे जिम्मेदार ठहराया था और सरकार गिरा दी थी।''
सिंचाई घोटाले पर भाजपा का क्या स्टैंड था
अब जब सिंचाई घोटाले की चर्चा खुद अजित पवार कर रहे हैं तो इस पर भाजपा का स्टैंड क्या रहा है, यह जानना जरूरी है। क्योंकि अजित पवार खुद कह रहे हैं कि देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें फाइल दिखाई थी। यह घोटाला कांग्रेस के शासनकाल में हुआ था। 2014 और 2019 के विधानसभा चुनावों के दौरान और उसके काफी बाद तक, भाजपा ने कथित घोटाले को लेकर अजित पवार पर निशाना साधा और उन्हें जेल भेजने की धमकी दी। दरअसल, जेल भेजने की इन चेतावनियों के पीछे फडणवीस सबसे आगे थे। मराठी समाचार चैनलों पर ऐसा कहते हुए उनके कई वीडियो वायरल हुए थे।
लेकिन, जब अजित पवार ने पहली बार 2019 में शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के खिलाफ विद्रोह किया और भाजपा-एनसीपी सरकार बनाने के लिए फडणवीस से हाथ मिलाया, जो केवल चार दिनों तक चली, तो भाजपा के सुर एकदम से बदल गए। उसी समय भाजपा वाशिंग मशीन शब्द राजनीतिक शब्द बन गया, जिसका मतलब था कि भ्रष्टाचार करने वाले अगर भाजपा में शामिल हो जाते हैं तो उन पर से करप्शन का आरोप खत्म हो जाता है।
उस समय से लेकर आज तक भाजपा ने अजित पवार पर इस घोटाले के लिए निशाना नहीं साधा है। भाजपा का मुख्य लक्ष्य था एमवीए सरकार को गिराना, शिवसेना और एनसीपी के टुकड़े करना। जो उसने कर दिखाया। इस खेल के असली खिलाड़ी दिल्ली में बैठे थे और महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस इसका संचालन कर रहे थे।
दिसंबर 2019 में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने कथित घोटाले में अजित पवार को क्लीन चिट दे दी। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच को सौंपे गए एक हलफनामे में, ब्यूरो ने सिंचाई परियोजनाओं में कथित अनियमितताओं में अजित पवार की संलिप्तता से इनकार किया।
फडणवीस-अजित पर केस दर्ज होः राउत
बुधवार को, शिवसेना (यूबीटी) के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि फडणवीस और पवार दोनों पर गोपनीयता की शपथ के उल्लंघन का मामला दर्ज किया जाना चाहिए। “अजित पवार ने कहा है कि फडणवीस ने उन्हें आर आर पाटिल द्वारा हस्ताक्षरित एक आधिकारिक फ़ाइल दिखाई थी। ऐसा करके फडणवीस ने गोपनीयता की शपथ तोड़ दी। इन मुद्दों पर सार्वजनिक रूप से चर्चा कैसे की जा सकती है? राज्यपाल को फडणवीस और पवार के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश देना चाहिए।”