मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भले ही इस बार राज्य की सत्ता के शीर्ष पर नहीं पहुंचे हैं लेकिन इन दिनों वह लगातार राज्य में घूम रहे हैं। लोगों के बीच जा रहे हैं। अपने प्रति जनसमर्थन को दिखा रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि उनकी इस सक्रियता के क्या मायने हैं।
चुनाव के बाद हर दिन उन्होंने कुछ न कुछ ऐसे दौरे किए या लोगों से मुलाकात की है या कुछ ऐसा काम किया है जिससे वह मीडिया की सुर्खियों में रहे हैं। 14 दिसंबर को सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक फोटो शेयर कर उन्होंने लिखा है कि मेरा परिवार। इस फोटो में दिख रहा है कि वह एक बड़े जनसमूह से घिरे हुए हैं।
इसी दिन उन्होंने एक्स पर एक वीडियो शेयर किया जिसमें वह ट्रैक्टर चलाते हुए दिख रहे हैं। इस वीडियो के साथ उन्होंने लिखा है कि अपने मध्यप्रदेश की माटी सोना उगलती है...धरती माँ धन-धान्य से, घरों को खुशहाल बना देती है। पसीने की कुछ बूंदों से माटी को नमन किया। आज खेतों की जुताई कर चने की बुआई की।
इससे पहले भी वह चुनाव के बाद लगातार विभिन्न जिलों, मंदिरों का दौरा कर जनसंपर्क कर चुके हैं। इनके जरिये वह जनता तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। वे सोशल मीडिया साइट पर भी भाजपा मध्य प्रदेश के दूसरे बड़े नेताओं की अपेक्षा ज्यादा सक्रिय हैं।
राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि शिवराज सिंह की इस सक्रियता के पीछे अपना महत्व बरकरार रखने की कोशिश है। शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश के सबसे चतुर राजनेता माने जाते हैं। अपनी बुद्धिमता के कारण ही डेढ़ दशक से ज्यादा तक वह सीएम रह चुके हैं। कई चुनाव में भाजपा को जीत दिला चुके हैं।
उनकी इस अत्यधिक सक्रियता को लेकर सवाल उठ रहा है कि जब भाजपा ने उन्हें सत्ता से बाहर कर दिया है तब भी वह क्यों इतनी मेहनत कर रहे हैं। स्थिति यह है कि चुनाव में हार का मुंह देखने वाली कांग्रेस के नेता अभी सदमें में हैं और अपने घरो में ही बंद है लेकिन चुनाव जीतने वाली भाजपा के नेता शिवराज हर दिन मध्य प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर घूम रहे हैं।
इस बार के विधानसभा चुनाव को लेकर भले ही यह कहा जा रहा है कि पीएम मोदी के चेहरे और उनकी गारंटी के कारण भाजपा जीती है लेकिन यह आधा सच है। मध्य प्रदेश में भाजपा की जीत का एक चेहरा शिवराज सिंह चौहान भी हैं। जिनकी लाडली बहना योजना जैसी अनेकों कल्याणकारी योजनाओं ने उन्हों राज्य का एक लोकप्रिय मुख्यमंत्री बनाया था। अपनी लोकप्रियता की बदौलत की शिवराज लंबे समय तक मध्य प्रदेश पर राज करते रहे हैं।
अब उनका राजनैतिक जीवन पहले जैसा नहीं रहने वाला है
इस बार के विधानसभा चुनाव में जब भाजपा ने उन्हें सीएम पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया तब उन्हें एहसास हो चुका था कि अब उनका राजनैतिक जीवन पहले जैसा नहीं रहने वाला है। उन्हें जब अंदेशा होने लगा कि उन्हें पार्टी किनारे लगा सकती है तब उन्होंने जनता के बीच अपनी गतिविधियों को काफी बढ़ा दिया। पूरे चुनाव के दौरान उन्होंने दूसरे नेताओं से कहीं अधिक राजनैतिक सभाएं की थी। इसके बावजूद उन्हें फिर से सीएम नहीं बनाया गया और उनकी जगह मोहन यादव को सीएम बना दिया गया।ऐसे में वह लगातार यह साबित करने में लगे हैं कि भले ही पार्टी ने मोहन यादव को सीएम बनाया है लेकिन राज्य में सबसे लोकप्रिय नेता वह ही हैं। कहीं न कही यह सच भी है। अब शिवराज के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपनी राजनैतिक जमीन को बरकरार रखना है। उनके लिए मुश्किल इसलिए भी है कि वह अब सीएम नहीं हैं।
शिवराज ने भले ही इसको पार्टी का फैसला मान कर स्वीकार कर लिया और कहीं कोई बगावत नहीं की है लेकिन राजनैतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि शिवराज ने अभी भी हार नहीं मानी है। वे अभी भी मध्य प्रदेश की राजनीति में हाशिये पर जाने के लिए तैयार नहीं हैं। वे जानते हैं कि अगर वह घर पर बैठ गए या राजनैतिक गतिविधियों से कुछ महीनों के लिए भी दूर हुए तो उन्हें मध्य प्रदेश में भाजपा किनारे लगा सकती है।
कई राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए भी शिवराज मध्य प्रदेश में जनसंपर्क अभियान जारी रखे हुए हैं। वह कई बार कह भी चुके हैं कि अब उनका लक्ष्य मोदी जो लोकसभा चुनाव में 29 सीटें लाकर देना है। लोकसभा चुनाव में अगर भाजपा को मध्य प्रदेश में बड़ी जीत मिलती है तो शिवराज का कद और महत्व बरकरार रहेगा। इसे बरकरार रखने के लिए ही वह लगातार मेहनत कर रहे हैं।