प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में मिली मुआवजा राशि को लेकर मध्य प्रदेश में सियासत गर्मा गई है। बैतूल जिले में एक किसान को बीमा के एवज में महज एक रुपया मुआवजे के तौर पर मिला है। अतिवर्षा से किसान को एक लाख रुपये के लगभग का नुकसान हुआ था। फसल बीमा के लिए उसने 1050 रुपये का प्रीमियम अदा किया और क्षतिपूर्ति के रूप में मिला सिर्फ़ एक रुपया।
बैतूल अकेला ऐसा जिला नहीं है। राज्य में अनेक जिले ऐसे हैं जहां सैकड़ों किसानों के बैंक खातों में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 11, 14, 23 और 54 रुपये जैसी शर्मनाक राशि पहुंची है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को प्रदेश के 22 लाख किसानों के बैंक खातों में एक क्लिक पर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की 4 हजार 686 करोड़ रुपये की राशि ट्रांसफर की है।
फसल बीमा की राशि ट्रांसफर होते ही बवाल खड़ा हो गया है। राज्य की 28 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव होना है, लिहाजा सियासत भी तेज हो गई है।
बैतूल जिले के गोधना गांव निवासी किसान पूरनलाल का नाम ऐसे किसानों में सबसे ऊपर है, जिन्हें मुआवजे के तौर पर एक रुपया मिला है। खाते में बीमा राशि आने का एसएमएस देखने के बाद वे हैरान रह गये हैं।
पूरनलाल बताते हैं कि ढाई हेक्टेयर के रकबे में अतिवर्षा के कारण लगभग एक लाख रुपये की फसल खराब हुई, लेकिन उन्हें बीमा राशि महज एक रुपये मिली। खाते में आयी बीमा राशि को देखकर अब वे सवाल उठाते हुए कह रहे हैं, ‘समझ नहीं आ रहा है कि इस राशि पर हंसे या रोएं’
फसलों के नुकसान के एवज में मिली बीमा राशि को लेकर कृषि महकमे के अफसरों के पास सही जानकारी उपलब्ध नहीं है। मुआवजा देने के बीमा कंपनी के तरीके पर सवाल उठाते हुए एक अफसर ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर 'सत्य हिन्दी' से कहा, ‘बीमा कम्पनी द्वारा नुकसान का आकलन करने का अपना तरीका है।’ अधिकारी के अनुसार जिन किसानों के खातों में 200 रुपये से कम राशि आई है, उनकी लिस्ट दोबारा बीमा कम्पनी को भेजी जा रही है।
बैतूल जिले में कुल 64 हजार 893 किसानों को फसल बीमा के तहत 81 करोड़ 71 लाख की राशि जारी की गई है। ज्यादातर किसान उन्हें मिली बीमा की राशि को लेकर आक्रोशित हैं। बैतूल जैसी ही स्थिति अन्य जिलों के किसानों में भी देखी जा रही है।
कांग्रेस ने सरकार को घेरा
मध्य प्रदेश कांग्रेस ने किसानों के साथ कथित मजाक और अन्याय को लेकर सरकार की घेराबंदी शुरू कर दी है। पीसीसी मुख्यालय पर सोमवार को एक बैनर टांगा गया। इस बैनर में चार किसानों के नाम, गांव, रकबा नंबर और मिली मुआवजा राशि का जिक्र था। इन किसानों को सोयाबीन की फसल खराब होने के एवज में 11, 14, 23 और 54 रुपये का फसल बीमा मिलने का दावा कांग्रेस ने किया है।
किसानों की समस्याओं पर सुनिए, वरिष्ठ पत्रकार शैलेश और किसान नेता वीएम सिंह की चर्चा।
बैनर में शिवराज सरकार पर तंज कसते हुए लिखा गया है कि इस बम्पर फसल बीमा राशि से ‘किसान हुआ निहाल, वाह री किसान हितैषी सरकार।’ पोस्टर में सबसे आखिर में पांच बार मध्य प्रदेश सरकार का ‘आभार’ भी जताया गया है।
उधर, भारतीय किसान संघ ने भी बीमा राशि के सर्वे और वितरण पर सवाल उठाए हैं। संघ ने कहा है कि बीमा के मुआवजे के तौर पर 4, 10, 20 रुपये जैसी राशि वितरित किया जाना अन्नदाता के साथ क्रूर मजाक है। पूरे मामले की जांच की मांग भी की गई है।
मध्य प्रदेश में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। पहले भी इस तरह के वाकये सामने आये हैं। साल 2015 में हरदा में 1.28 रुपये से लेकर तीन और चार रुपये का फसल बीमा मुआवजा देश भर के मीडिया की सुर्खियां बना था। कमल नाथ सरकार में भी फसल बीमा मुआवजा से जुड़ी इसी तरह की खामियां सामने आयीं थीं।
इसे लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है, ‘मध्य प्रदेश की सरकार न्यूनतम मुआवजा राशि को लेकर नीति बनायेगी।’ एक रुपये से लेकर 50 और 100 रुपयों तक की मुआवजा राशि वितरण के बाद मचे बवाल के बीच मुख्यमंत्री चौहान ने इस आशय की घोषणा की है।