मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार 26 सितंबर को वल्लभ भवन के अफसरों को कथित तौर पर ‘अलविदा’ आखिर क्यों कह दिया? यह बड़ा सवाल, प्रदेश की राजनीतिक और प्रशासनिक वीथिकाओं में चर्चा का विषय है। मध्य प्रदेश में विधानसभा के चुनाव निकट हैं। उम्मीद है चुनाव आयोग, चुनाव की तारीखों का ऐलान अक्टूबर के पहले अथवा दूसरे सप्ताह में कर सकता है।
अभी चुनाव की तारीखों की घोषणा के पहले ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा मंत्रालय के अफसरों के ‘आभार जताने’ के तमाम निहितार्थ निकाले जा रहे हैं
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी ने सोमवार को 39 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी की है। इस सूची में मध्य प्रदेश से आने वाले तीन केन्द्रीय मंत्रियों और चार अन्य सांसदों को टिकिट दिये गये हैं। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और राज्य के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय को भी इंदौर-1 विधानसभा सीट से प्रत्याशी घोषित किया गया है।
विधानसभा के लिए भारी-भरकम नामों के ऐलान के करीब 13 घंटे बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक ट्वीट करके ‘खुशी’ का इजहार किया था। अपने साथियों को लेकर उन्होंने संकेतों में कहा, ‘ये चेहरे चुनावों में गेमचेंजर साबित होंगे।’
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ट्वीट के साथ मंगलवार को कैबिनेट की बैठक और उसके बाद मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों की प्रतिमाओं को वल्लभ भवन में स्थापित करने संबंधी आयोजन में शिवराज का चेहरा बुझा-बुझा नज़र आया। शिवराज सिंह ने चौथे मुख्यमंत्रित्वकाल में कंधे से कंधा मिलाकर ‘सहयोग’ करने वाली ब्यूरोक्रेसी का कैबिनेट बैठक में और बाद में भी आभार जताया। पूरा आयोजन एक तरह से ‘फेयरवेल भाव’ वाला रहा।
शिवराज को चौथी बार मुख्यमंत्री बने पौने चार साल होने जा रहे हैं। जो खबरें निकलकर बाहर आयीं, उनके अनुसार शिवराज ने कोविड के कठिन वक्त (कोविड के दौरान ही वे चौथी बार सीएम बने थे) से लेकर अब तक के कार्यकाल में सहयोग के लिए मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों-सचिवों, अन्य सहयोगियों एवं स्टॉफ को धन्यवाद दिया। आभार जताया।
बताते हैं, उन्होंने कहा, ‘केन्द्र सरकार की योजनाओं में मध्य प्रदेश के बेहतर प्रदर्शन के साथ सूबे की जन कल्याणकारी योजनाओं को बनाने एवं उनका क्रियान्वयन कराने के लिए सभी का आभार व्यक्त करता हूं। लाड़ली बहना योजना की सफलता के लिए भी वे टीम को बधाई देते नज़र आये।
बीजेपी की दूसरी लिस्ट और उसमें मुख्यमंत्री पद के बहुतेरे दावेदारों के बाद से न केवल मध्य प्रदेश बल्कि राजनीति में दिलचस्पी रखने वाला देश का आम शख्स भी पूछ रहा है, शिवराज सिंह का अब क्या होगा? दरअसल, जब-जब शिवराज सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाये जाने की अटकलें चलीं तब-तब उनके उत्तराधिकारी के तौर पर जो नाम आये, उसमें नरेंद्र सिंह तोमर नंबर एक पर रहे।
ओबीसी वर्ग से आने वाले प्रहलाद पटेल का नाम लिया गया। आदिवासी ऐंगल से फग्गन सिंह कुलस्ते सीएम की दौड़ में शामिल किये जाते रहे। वैश्य को चुना जाता है तो कैलाश विजयवर्गीय का नाम भी चर्चाओं में रहा। मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में मध्य प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष एवं जबलपुर के सांसद राकेश सिंह का नाम भी कई बार सामने आया।
सूबे में विधानसभा की 230 सीटें हैं। बीजेपी ने अभी 79 उम्मीदवारों का ऐलान (मंगलवार को एक अन्य नाम घोषित होने के साथ) किया है। पार्टी को 151 उम्मीदवारों की घोषणा अभी और करना है। राज्य की जिन सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान बचा है, उसमें मुख्यमंत्री पद के कई और दावेदार शामिल हैं। ये वे लोग हैं, जिन्हें शिवराज (मुख्यमंत्री पद) के ‘उत्तराधिकारी’ के तौर पर देखा या उनका नाम लिया जाता रहा है। ऐसे दावेदारों में नरोत्तम मिश्रा भी एक ‘दमदार नाम’ बना रहा है।
क्या सिंधिया को भी उतारा जाएगाजो खबरें आ रही हैं, उसके अनुसार भारतीय जनता पार्टी ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी उनके पुराने निर्वाचन क्षेत्र गुना-शिवपुरी अथवा ग्वालियर की किसी सीट से चुनाव मैदान में उतार सकती है। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा का नाम भी विधानसभा चुनाव के लिए भोपाल अथवा उनके अपने निर्वाचन क्षेत्र खजुराहो की किसी भी सीट से घोषित कर दिए जाने की चर्चाएं बलवती हैं। राज्य की कुल 29 लोकसभा सीटों में 28 बीजेपी के पास हैं। पार्टी 7 सांसदों को चुनाव मैदान में उतार चुकी है। चर्चाओं के अनुसार आधा दर्जन या उससे कुछ ज्यादा सांसदों पर बीजेपी विधानसभा का दांव खेल सकती है, यह चर्चाएं सरगर्म हैं।
चीफ मिनिस्टर के 7 दावेदार..! - पार्टी ज्योतिरादित्य सिंधिया और वीडी शर्मा को भी टिकिट दे देती है, ये दोनों जीत जाते हैं और भाजपा सत्ता में वापसी करने में कामयाब हो जाती है तो स्वभाविक रूप से मुख्यमंत्री पद के दावेदार ये भी होंगे। साथ में नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय, फग्गन सिंह कुलस्ते और नरोत्तम मिश्रा भी दावेदार रहेंगे। शर्त यही होगी पांचों (तोमर, पटेल, विजयवर्गीय, कुलस्ते और मिश्रा) को अपने-अपने चुनाव जीतने होंगे...!
वरिष्ठ पत्रकार का विश्लेषण
मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक अरूण दीक्षित ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘चुनावी राजनीति में नरेंद्र दामोदर दास मोदी से बेहद वरिष्ठ शिवराज सिंह चौहान को 25 सितंबर को भोपाल में भरे मंच, लाखों-लाख पार्टी कार्यकर्ता एवं राज्य की जनता (कार्यक्रम लाइव था) के सामने पीएम मोदी ने जिस तरह से लज्जित एवं अपमानित किया, उसके बाद शिवराज के पास चारा क्या बचा है?’ दीक्षित कहते हैं, ‘ऐसे अपमान पर शिवराज को जलसा खत्म होते ही मुख्यमंत्री पद छोड़ने का ऐलान कर देना चाहिए था।’अरुण दीक्षित कहते हैं, ‘भरी महफिल में, वे (शिवराज सिंह) अथवा इस तरह के अपमान-लज्जा पर...कड़ा कदम उठाने एवं स्वयं को चुनावी राजनीति, सत्ता से दूर कर लेने जैसा साहस, अब किसी राजनेता, नेता एवं कार्यकर्ता में बचा ही नहीं है। तमाम खमियों और कमियों के बावजूद शिवराज ने पार्टी के लिए सदा किला लड़ाया। चुनावी जलसे में मोदी ने न तो शिवराज का नाम लिया और ना ही मध्य प्रदेश की योजनाओं का जिक्र किया।’ दीक्षित ने कहा, ‘और तो और, उस लाड़ली बहना योजना का उल्लेख करना भी मोदी ने मुनासिब नहीं समझा, जिसे गेमचेंजर मानकर शिवराज मध्य प्रदेश नाप रहे हैं। पार्टी और सरकार ने मुंबई-दिल्ली एयरपोर्ट से लेकर मध्य प्रदेश के गांव-गलियों को रंगा हुआ है। लाड़ली बहनों के भाई शिवराज के फोटो, नारे-जुमलों से दीवारें रंगी एवं पुती हुई हैं।’