बसपा सुप्रीमो मायावती ने आज दिल्ली में प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस को समर्थन देने का एलान कर दिया है। इससे मध्य प्रदेश में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस का रास्ता काफ़ी आसान हो गया है। 230 सदस्यों की मध्य प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस को 114 सीटें मिली थीं जो कि बहुमत के 116 के आंकड़े से 2 सीटें कम थी। बीएसपी ने 2 सीटें जीती हैं। अब इस तरह बीएसपी के 2 विधायकों को लेकर कांग्रेस ने बहुमत के आंकड़े को छू लिया है।
मायावती ने कहा कि उन्होंने यह फ़ैसला बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए किया है। उन्होंने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनावी नतीजों से साफ़ हो गया है कि जनता बीजेपी की नीतियों के पूरी तरह ख़िलाफ़ है। कांग्रेस को मिली सफलता के बारे में मायावती का कहना था कि बीजेपी के ख़िलाफ़ कोई और विकल्प नहीं होने के कारण लोगों के कांग्रेस को वोट दे दिया।
कांग्रेस मध्य प्रदेश में सरकार बनाने के लिए राज्यपाल के पास मंगलवार में ही अपना दावा पेश कर चुकी है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कांग्रेस को अंतिम नतीजे आ जाने तक इंतजार करने की सलाह दी थी। अब अंतिम नतीजे आ गए हैं और मायावती के समर्थन दे देने के बाद कांग्रेस का दावा और मजबूत हो गया है क्योंकि बीएसपी विधायकों को मिलाकर कांग्रेस ने बहुमत का आँकड़ा पा लिया है। उम्मीद है कि कांग्रेस को समाजवादी पार्टी का भी समर्थन मिल जाएगा। कल रामगोपाल यादव इस आशय का बयान दे ही चुके हैं।कांग्रेस के नेता दोपहर 12 बजे राज्यपाल से मिलने जा रहे हैं।
मायावती ने राजस्थान में भी कांग्रेस को समर्थन देने का एलान किया है। कांग्रेस को वहाँ 99 सीटें मिली हैं जो बहुमत के आंकड़े से 1 कम है। चुनाव पूर्व कांग्रेस के साथ गठबंधन में शामिल राष्ट्रीय लोकदल का 1 विधायक जीता है। उसे मिलाकर कांग्रेस ने बहुमत का आंकड़ा छू लिया है। राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी ने कल ही अपने एकमात्र विधायक को कांग्रेस का समर्थन करने का निर्देश दे दिया था। अब बीएसपी को विधानसभा चुनाव में 6 सीटें मिली हैं। कांग्रेस को समर्थन देने के मायावती के एलान के बाद अब राजस्थान में भी कांग्रेस को सरकार बनाने में कोई दिक़्क़त नहीं आएगी। कांग्रेस को समर्थन देने का मायावती का एलान अगले लोकसभा चुनाव में उभरने वाले विपक्ष के संभावित समीकरणों का भी संकेत देता है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव पहले ही मायावती से हाथ मिलाकर चुनाव लड़ने को तैयार हैं। अब मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को मिली सफलता के बाद गठबंधन बनाने के विपक्ष के प्रयासों में और तेज़ी आएगी।